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ललितासहस्रनामावलिः
शोभनाये | दनत्रयंॐयतायें |
सुरनायिकायं | वादिकायुधोपेतायें |
कालकषीमें | शमर्यादिभिरावृतायै । |
कान्तिमत्थं | रक्तवर्णीयं |
क्षोभिष्यं | ओं- ४ मांसनिष्ठायै ५०० |
सूक्ष्भर्जपण्यं | भ-४ गडालश्रीतमानसायै |
वज इवयं | समस्तभक्तसुखदायं |
वामदेव्यं | लाकिन्यम्बाथरूपिण्यै । |
ओं- वयोवस्थावित्रतायै | स्वाधिष्ठानाम्बू जगत£य |
ब-४ सिद्धेश्वर्षे | चंतुर्वक्त्रमनोहरायं |
सिद्धविद्यार्थी | शैलवयघसम्पमयं |
सिद्धमत्रे | पीतवणय |
यशस्जिन्यं | अतिगतायें |
विशुद्धिचक्रनिलयायै | मेदोनिष्ठ्यं |
आरक्तवर्णीयै | ओं-४ मचंप्रतमं |
त्रिलोचनाय | अ-४ इन्धिन्यादिसमन्वितयं |
खट्वाङ्गदिप्रहरणायै | दध्यन्नासक्तहृदयाये |
वेदनैकसमन्वितायै | काकिनीरूपधारिण्यै |
ऑों-४ पायसान्नप्रियये | मूलाधाराम्बुजारूढायै |
ओं-¥ वक्कथायं | पञ्चवक्त्रायें |
पशुलोकभयङ्करें | अस्थिसंस्थितये |
अमृतादिमहाशक्तिसंवृतार्षे | अभृशदप्रहरणायं |
डकिनीश्वर्ये | वरक्षदिनिषेवितायै |
अनइन्जनिलयायं | मुद्गदनासक्तचित्ताय |
श्यामाभायै | श्रों-४ साकिन्यम्बास्वरूपिणे |
वंदनत्रयों | श्रों•४ अशचक्राब्जनिलयायै |
ईष्ट्रोज्ज्वलायें | श्लथणयं |
अक्षमालदिधरायै | षडाननाय |
भ४ हषिरसंस्थितायै | सबसस्थय |
ओं•¥ कालराश्यादिशयघवृतायं | हंसयतीमुख्यशक्तिसमन्वितायें |
स्निग्धोदनप्रियायै | इष्ठिान्नकरसिकायै |
रदयं | हैकिनीरूपधारिणं |
रातिभ्यशस्वहपिण्यै | सहस्रदलपद्मस्थाएँ |
मणिपूरान्म्रनिलयायै | सर्ववर्णापशोभितायं |
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