(१६) श्रीअन्नपूर्णा-स्त्री-शिक्षालय । श्रीभारतधर्ममहामण्डल तथा श्रीआर्य-महिलाहितकारिणी महापरिषद्की पृष्टपोषकतामें यह शिक्षालय स्थापित हुआ है। इसमें ब्राह्मणी स्त्रियोंको धर्म-शिक्षा और धर्मवक्तृता देनेकी उपयोगिनी शिक्षा दी जाती है। योग्य पात्रियोंको इस संस्थाले नियमित मासिक वृत्ति भी दी जाती है। उनके रहनेकास्थान स्वतन्त्र है। श्रीमहामण्ड- लस्थ उपदेशक-महाविद्यालयके योग्य अध्यापकोंके द्वारा उनको शिक्षा दिलायी जाती है । पत्र-व्यवहारका पताः- अध्यक्ष, श्रीअन्नपूर्णा-स्त्री-शिक्षालय, मार्फत श्रीमहामण्डल कार्यालय जगतगज बनारस । श्रीमहामण्डलके सभ्योंको विशेष सुविधा। हिन्दू समाज की एकता और सहायताके लिये विराट् आयोजन । श्रीभारतधर्ममहामण्डल हिन्दू जातिकी अद्वितीय धर्ममहा- सभा और हिन्दू समाजकी उन्नति करनेवाली भारतवर्षके सकल प्रान्त- व्यापी संस्था है। श्रीमहामण्डलके सभ्य महोदयोंको केवल धर्मशिक्षा देना ही इसका लक्ष्य नहीं है; किन्तु हिन्दू समाजकी उन्नति, हिन्दुस- माजकी दृढ़ता और हिन्दू समाज में पारस्परिक प्रेम व सहायताकी वृद्धि करना भी इसका प्रधान लक्ष्य है इस कारण निम्नलिखित नियम श्रीमहामण्डलकी प्रबन्ध-कारिणी सभाने बनाये हैं। इन नियमोंके अनुसार जितने अधिक संख्यक सभ्य महामण्डल में सम्मिलित होंगे उतनी ही अधिक सहायता महामण्डलके सभ्य महोदयोंको मिल सकेगी। ये नियम ऐसे सुगम और लोकहितकर बनाये गये हैं कि श्रीमहामण्डलके जो सभ्य होंगे उनके परिवारको बड़ी भारी एक- कालिक दानकी सहायता प्राप्त हो सकेगी। वर्तमान हिन्दूसमाज जिस प्रकार दरिद्र होगया है उसके अनुसार श्रीमहामण्डलके ये नियम हिन्दू समाजके लिये बहुत ही हितकारी है इसमें सन्देह नहीं।
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