पृष्ठम्:श्रीवेङ्कटाचलमहात्म्यम्-१.pdf/२०४

एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

186 शस्तरस्त्रैश्शितैबाणैभिण्डिपालैः परश्वधैः । कुन्ततोमरचत्रैश्च परिधैः पट्टिशैः सितैः ।। २४ ।। शक्तितोमरशूलैश्च गजचर्मासिाधनैः । शतघ्नीपरिघाभिश्च चित्रैरन्यैश्च साधनैः ।। २५ ।। अन्योन्यं च यथापूर्व देवदानवराजयोः । सुदर्शनभटाश्चापि निजघ्नुस्तान्किरातकान् ।। २६ ।। अस्त्र, शस्त्र, बाण, फरसा भिदिपाल, कृन्त, तोमर, चक्र, परिध, तेज पट्टिश, शूल, ढाल, तलवार, शतघ्नी, तोप, परिघ तथा अन्यान्य अनेकों तरह के साधनों से परस्पर यथापूर्वं महा तुमुल युद्ध हुआ, जिस में सुदर्शन के महावीर योद्धाओं ने उन किरातों को मार डाला । (२३-२६) विविधायुधहस्ताश्च शूलमुद्रपाणयः । गदाभिर्पट्टिशैर्दण्डैरायसैर्मुसलैभृशम् ।। २७ ।। परिधैभिण्डिपालैश्च भल्लैः प्रासैः परश्वधैः । रथैः कवचिनस्त्वन्ये ध्वजैश्च समलङ्कृतै ।। २८ ।। हिरण्यजालविहितैः खरैश्च विविधाननैः । हयैः परमशीधैश्च गजेन्द्रेश्व मदोत्कटैः ।। २९ ।। सुदर्शनभटांश्चापि निर्जघ्नुस्ते किरातकाः । अनेकों प्रकार के आयुधों को हाथों में िलये, शुल, मुद्गर तथा कवचधारी, गदाओं, पट्टिशों, दण्डों, लोहे के मुसलों, परिषों, मिदिपालों भालों, प्रासों, ध्वजाओं, रथों तथा सुवर्ण ज्वालाशोभित, विविधान गदहों खच्वरों ; परम तेज छोड़ों तथा मदोत्कट हाथियों के साथ उन किरातों ने भा सुदर्शन के वीरों की मारा । (२७-२९)