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180 विष्णुचक्रेण तं घोरं जघान वनगोचरम् । हते किरातराजे तु तद्वनं निर्मलं बभौ ।। ५१ ।। लघुविक्रम वह किरातराज अपनी सारी सेना को मरा देख, शीघ्र दिव्य अस्त्र चढाकर, 'ठहरो-ठहरो'पुकारते हुए रथ पर सवार हो प्रति शीघ्र आ गया । तब सुदर्शन के महाकोप से उत्पन्न बडवान ने उस भयङ्कर राक्षस को विष्णुचक्र से मार डाला । उस किरातराज के मर जाने पर वह सारा वन निर्मल हो गया । (४९-५१) इति श्रीबाराहपुराणे श्रीवेङ्कटाचलमाहात्म्ये दरुणदिश्यसुर सुदर्शनसेनायुद्धप्रशंसादिवर्णनं नाम षट्पञ्चाशोऽध्यायोऽत्र चतुर्विशः ।