276 चतुर्थोऽध्याय उद्यानवासिन्याः पद्मावत्याः समीपे नारदागमनम् उत्त भगवता तस्य वियत्पुत्रस्य नाम च । अयोनिजायास्तत्पुत्र्याः किं नाम च तदाऽकरोत् । १ ।। वियतराज कन्या जनम नामकरण संस्कार । पद्मावती यह भाग में नारदमुनि संचार ।। १ ।। सामुद्रिक लक्षणकथन विपिनगमन सखिसंग । पद्मावति सह मिलन तहं, प्रभु शिकार के ढंग ।। २ ।। उद्यानवासिनी पद्मावती देवी के निकट श्री नाश्दुजी का आगमन धरणी देवी ने पूछा कि आकाश राजा के पुत्र का नाभ तो आप से ही कहा गया, पर बिना गर्भवास के उत्पन्न हुई उस पुत्री का नाम क्या रखा ? (१) श्रीसूत उवाच :- इति पृष्टः पुनः प्राह श्रीवराहो जगत्पतिः । श्री सूतजी बोले :-यह पूछने पर जगत्पति श्री वराह भगवान पुनः बोले । श्रीवराह उवाच :- ‘आकाशराजो मतिमांस्तां दृष्टा कमलेशयाम् ।। २ ।। पद्मिनी'ति च नाम्ना वै चकार वसुधासुताम् । तां तु यौवनसम्पन्नां सखीभिः परिवारिताम् ।। ३ ।।
पृष्ठम्:श्रीवेङ्कटाचलमहात्म्यम्-१.pdf/२९४
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति