पृष्ठम्:श्रीवेङ्कटाचलमहात्म्यम्-१.pdf/३२९

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3 1 } वकुलमालिका के साथ सखियों का धरणी के पास आना इसी बीच वह कन्या अगस्त्येश की पूजा समाप्त कर धरणी देवी को देखने के लिए बकुलमालिका के साथ आ गयी । हाँ आये हुए ब्राह्मणों का सुन्दर सुन्दर भोजनादि से पूजन कर, वस्त्र अलङ्कारादि के साथ साथ पूरीपूरी दक्षिणा दे, वांछित अनिलःषा की सिद्धि का आशीर्वाद पाकर तथा सभी ब्राह्मणों को विसजित (विदा) कर अगस्त्येश भगवान की पूजा करने आयी हुई अपनी मनस्विनी स्त्रियों से उसने पूछा ! (६७-६९) इति श्रीवाशाहपुराणे भूगोलोपाख्याने धरणीवराहसंवादे श्रीवेङ्कटाचल माहात्म्ये उत्तरार्धे वकुलमालिकां प्रति सखीनिवेदित-पद्मावत्युदन्त विष्णुभक्तलक्षणादिवर्णनं नाम षष्ठोऽध्यायः । ।