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32 सप्तमोऽध्यायः धरणीदेव्यै वकुलभालिकानिवेदितश्रीनिवासोदन्तः धरण्युवाच :- 'कैषा बूत वरा कन्या युष्माभिस्सङ्गता कुत ? । किमर्थमागता चेह पूज्यैषा प्रतिभाति मे ? ।। १ ।। धरणी से वकुला कथन, श्रीनिवास संदेश । वियतमन्त्रणा ब्याहं कुा, गिरतपशख नरेश ।। १ ।। गुरुमत परिणय लाभ इठि, प्रेषण क्षुक प्रभु पास । मण्डप गृह् साजन फिरन, शुक चकुला प्रभु वास ।। २ ।। ब्याह व्यवस्था शुक कथन्, निमाला शुश्रु संग । पद्मावति प्रेषण करन, अङ्किारु धरि अङ्ग ।। ३ ।। श्रीनिवास का कथन वकुलमालिका द्वारा श्री धरणी देवी से कहा जाना धरणी देवी बोली-हे कन्याओं ! यह तुम लोगों के साथ आयी हुई कौन है? तथा कहाँ से और किसलिये यहाँ आई हैं? मुझको यह बहुत ही पूज्या मालूम होती हैं। (१) कन्या ऊचु एषा दिव्याङ्गना देवी त्वयि कार्यार्थमागता । देवालये सङ्गतेयमस्माभिः शिवसन्निधौ ।। १ ।।