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4 0 करनेवाला नहीं होता है उसके स्त्री-पुञ्ज इत्यादिकों से दिये कुछ काल सका अनिष्ट करनेवाले होते है ! ऐसा कहकर भगवान विष्णु ने उस श्रेष्ठ राजाको शाप दिया कि हे दुर्बुद्धि ! मेरे दुःख को उत्पन्न करनेवाले छाग से तुभ पिशाच हो जाशो 1 । ५१.। इत्थं शप्तो नृपश्रेष्ठः पतितः शापमूच्छितः । मुहूर्तान्ते सुत्थायं प्रोवाच जगदीश्वरम् ।। ६० ।। इति श्रीभविष्योत्तरपुराणे श्रीवेङ्कटाचलमाहात्म्ये स्वामितीर्थपश्चिम तीरस्थावल्मींकाच्छीनिवासाविर्भाववर्णनं नाम तृतीयोऽध्यायः । व राजा इस प्रकार पाए ऐ याप्त एवं शो9 से मूर्छिठत होकर गिर पड़ा और दो घड़ी के माद ॐठन्न भगवान से वोला }। ६० ।।