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भगवान द्वारा दी गयी कुला दुरुपतिकी सारूप्-प्राप्ति विभववाले कुलाल दम्पति विष्णु द्वारा दिये गये स्वर्गीय विमानपर चकर उस राज्ञा के देखते-देखते विष्णुभजन चलेगये और सायुज्एपदको प्राप्त हुए । फुलाल के पदको देख कर श्रेष्ठ राजा तोण्डमान लञ्चित हो कमलनयन श्रीनिवाससे बोले । (२३८) तोण्डमानस्थ भगब्द्द्दत्तसारूप्यप्राप्तिप्रकारः मद्राष्ट्रगतशूद्रस्य सर्वदा पापकारिणः । सतिस्तु त्वया दत्ता का गतिर्मम बान्धव ।। २३९ ।। भगवान द्वारा दी गयी तोण्डमान्की सारूप्याप्ति हे बन्धु ! मेरे राज्यने रहनेवाले, सदा पाप करदेवाले शूद्रको अपने उत्तम (२३९) एतद्देहं परित्यज्य चान्यं देहमुपाश्रय । तलाराध्य हृषीकेशं गच्छ सारूप्यमुत्तमम् ।। २४० ।। श्रीनिवास दोने -इस क्षेहको छोड़कर दूसरा शरीर धारण करो, वहाँपर हृषीकेश भगवान की अराधना कर उत्तम सारूप्यको चले डाओं । (२४०) इत्युक्तो नृपतिः सद्यः त्रात्वा स्वाभिसरोजलेः । कलेलबरी परित्यज्य पुनर्देहान्पुरं गतः ।। २४१ ।। तत्राराध्य हृषीकेश श्रीनिवासं निरामयम् । सारूप्यं गतवान् राजा स्वामिना पूर्वकल्पितम् ।। २४२ ।। शतानन्द बोले-ऐसा कहे जानेपर राजाले साक्षात स्वामिपुष्करिणी में स्नान कर तया शरीरको छोड़कर पुन दूसरा शरीर धारण किया । वाँ पर 96