पृष्ठम्:श्रीवेङ्कटाचलमहात्म्यम्-१.pdf/७९०

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हे पार्वती ! सबॉके अध्यक्ष महाविष्णु इव लोलोंके एक हो भ्वामी, करुणा मूर्ति, आनन्द अररिमित ऐश्वर्यसे युक्त, करोड़ों तरुण सूर्यफी प्रभाशाश, करोड़ों विजलीकी चमक्षवाले, करोड़ों चन्द्रमाकी शावाले, रत्नों कोर जाम्बूनद (स्वर्ण) से सुणोभित एवं विमानकी देवतभूतियोंके तेजञ्छङल से युक्त, दिव्य विानपर साख्ढ़ बहुत सुन्दरतासे बैठे हुए, सबसे उत्तन, बहुत प्रसिद्ध छब अलङ्कारोंसे विभूषित, नील जीमूत (मेध) के समान वर्णवालेपीताम्ररूपी विजलीको पहने हुए, रत्नों तोरणसे प्रकाशित द्वार की शअसे युक्त, दिव्य श्रेष्ठ, मूर्तिमान, पछि शायुधों से उपवित, चण्डप्रचण्ड इत्यादि दुवरालोंसे स्तुत, सुनन्द-नन्द इत्यादि पार्षदोसे थमन्टिल, करोड़ों सूर्य के समान प्रकाशवालेक्षा तथा करोड़ों वन्द्रमाके समास शीतल, अमूल्य रत्नोंडे जड़े हुए दिव्य आभरणसे विभूषिः, च्युत, अनन् गोविन्व आदि और न्त रहित, सब उपनि ड्दों के साठे जानने यो शरीरवाले श्री तथ। भूमिदेवीसे युक्त, श्यामसुन्दर, वेङ्कटाचलाधीश्दर, अनेष करोड़ कामदेवोंकी शोभाको मथलेसे शत्पन्न, संसारको औोद्दित करनेवाले, गोपाली वित्रि लीलःऽधों के कारण, अनेकों शास्त्रोंके रसोंको जाननेवाले, बैखास इत्यादि भट्टर्षियों, झह्यः, अगस्य भरद्वाज, सनक, शुकदेव, वामदेव, शतानन्द भुगु एवं जनक इत्गादि श्रेष्ठ राजाओं से पूजित, पुरुषोत्तम, हे देवी पार्वती ! भुझ अंगिरा एवं लोकपालोसे अनेकों हजार वर्ष स्वामिपुरुझणी के टिपर पूजित, मेरे कुमार ! कालेिय) की कटिदेशमें संलग्न चारोंभुजङाले, संसारमें परम सुन्दर, कमलके ऐसे प्रसन्न मुखवाले, कारतका फैले हुए बड़े नेत्रों के कटाक्षरूपी अभुकी तरंगवले, मन्द हास्यवाले, सुन्दर नासिकाझे अग्र भागधाले, सुन्दर भौहोंवाले, सुन्दर ललाटवाले, जाम्बूलद. नूपुरसे लेकर किरीटता पूजित्, वज्र, अंकुश, ध्यजा, कमल इत्यादि रेखाओंसे शुद’ युगल चरण तथा नख-भण्डलस्.ी चन्द्रमाकी ज्योतिले जीती गयी मायावाले, स्तभोंकी धठिनता को अनुपद करनेसे कुंकुमली रेखा लगे हुए, कभला (लक्ष्मी) के हाथको कटिन बननेवाली, कोमलतावाले, एवं भजन करने वालोंको परम आनन्द देनेवाले, हुधों याणिक्यके मंजीरुप बिजलीको प्रभासे, मणिकं किंकिणीजालके वेदान्तरूपी शब्दोंसे चरणकभलों को शोभाके योग्य अमूल्य आभूषणोंसे, सुदर जानु अऔर कुरु (जंघा) भी सुन्दरताको प्रभासे शोक्षित, भूषणों से काँटदेथमें शोश्रते हुए पीत रेशमी यस्द्र तथा मेखलवाले, अमूल्य रत्नोंसे जड़े हुए, जाम्बूनद्यसे सुशोभित, विचित्र तेजकी राशिवांली कांचीले वैडूर्यशाले, पद्मकेशकी सुन्दरतासे सज्जवल