पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१२१

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असाधारण । असाधारण ( वि० ) असामान्य । अपूर्वं । विलक्षण | असाधारणः (०) न्याय में सपर और विपक्ष | यसाधु (वि०) १ जो साधु न हो | अप्रिय । २ ३ असभ्यरित्र । ४ अपभ्रंश अशुद्ध । असामयिक (वि० ) [ सी० --असामयिकी, ] वे अवसर का। बिना समय का बेवक्त का। असामान्य ( वि० ) आसाधारण । विलक्षण । अपूर्व । ) यसु लोकों में उत्पन्न होता है।-पत्र, (न०) सलवार की धार।पुच्छ, पुच्छकः, (४० ) सूँस संगमाही ।-पुत्रिका – पुचो, (स्त्री०) पुरी। --मेदः, (४० ) सड़ा हुआ खविर /-हत्यं, (२०) छूरी या तलवार की लड़ाई 1-हेतिः, (g० ) तलवार चलाने वाला तलवार यहा- असामान्यं ( न० ) विलक्षण या विशेष सम्पत्ति | साम्मत (वि० ) अयोग्य अनुचित । अयुक्त । कालान्तर । [ साम्तम् ( अव्यया० ) असार ( वि० ) १ सारहीन अनुचित २ व्यर्थ योग्यता से। | रूप से । निकम्मा | ३ जो लाभदायक न हो। ४ निर्बल | कमज़ोर | १ वेशरूरी हिस्सा। अनाव- एक अंश २ रेंदी का पेड़ । ३ ऊद या अगर की लकड़ी असारता (श्री०) १ सारहीनता। निस्सारता | तत्व- [ का भाग। असिकं ( म० ) निचले ओठ और ठुड्डी के बीच असिक्की ( ० ) १ अन्तःपुर की युवती परिचारिका या दासी २ पंजाब की एक नदी का नाम । अलका ( स्त्री० ) युवसी दासी । असित (बि०) जो सफेद न हो। काडा। श्रम्वुजं, -उत्पलं, (न० ) जील कमल (अर्चिस्, ( पु० ) अनि । -अश्मन् (पु० ) - उपलः, ( पु० ) कालोहानीला पत्थर ।---केशा, (स्त्री०) काले बालों वाली - गिरिः, (स्त्री० ) नगः, ( पु० ) नीलपर्वत । पर्वत विशेष | -श्रीव, ( वि० ) काली गर्दन वाला। -प्रीवः, ( पु० ) अ1ि-~नयन, (वि० ) काले नेत्रों वाली 1- पक्षः, (पु० ) अंधियारा पाख ।~फलं, (न०) मीठा नारियल :--मृगः, ( पु० ) काला हिरन । कृष्णमृग असारः ( पु० असारं ( न० - शून्यता | २ निरर्थकता। तुच्छता । ३ मिथ्याव असाहसं ( न० ) वेग या प्रचण्डता का अभाव । सुशीलता। असिः ( पु० ) १ तलवार । २ धुरी जो जानवरों | असितः (पु० ) १ काला या नीला रंग | २ कृष्ण पक्ष | ३ शनिग्रह ४ काला सौंप । " को हात करने के लिये इस्तेमाल की जाती है। गण्डः, (पु० ) छोटा तकिया जो गालों के नीचे रखा जाता है।-~जीविन्, { वि० ) तल- चार के फर्म से आजीविका करने वाला। -~-दंष्ट्रक:, ( पु० : मगर घड़ियाल १-दन्तः असिता ( स्त्री० ) १ नील का पौधा | २ कन्या जो अन्तःपुर में रहती है और जिसके बाल अधिक | प्रसिद्ध (वि०) १ जो सिद्ध अर्थात् पूरा न हुआ हो। होने पर भी सफेद नहीं होते)। ३ यमुना नदी । २ अधूरा अपूर्ण ३ अप्रमाणित | ४ कथा | अनपका ५ जिसका परिणाम कुछ न हो । ( ५० ) मगर । घड़ियाल ( स्त्री० ) तलवार की धार । नक 1-धारा. धारावतं, ( न० ) १ किसी किसी के मतानुसार एक व्रत विशेष, जिसमें तलवार की धार पर खड़ा होना पड़ता है। २ अन्य मतानुसार युवती स्त्री के साथ सदैव रह कर भी उसके साथ मैथुन करने प्रसिद्धः ( 50 ) न्यायानुसार हेतु के तीन दोष ये तीन दोष ये हैं-~~याश्रयासिद्ध स्वरूपासिद्ध । न्याप्यतासिद्ध । की इच्छा को रोकना । (आलं०) कोई भी असाध्य या असम्भव कार्य। - धावः, - धावकः, (पु०) सिगळीगर हथियार साफ करने वाला । -धेतुः, धनुका (श्री०) छुरी चुरा ।-पत्रः, (पु०) १ ऊख । ईख । गन्ना । २ वृक्ष विशेष जो अधो- असिद्धिः ( स्त्री० ) : अप्रासि अनिष्पत्ति । २ कच्चा- पन | कचाई ३ अपूर्णता सिरः ( पु० ) १ किरण | २ तीर । ३ चटखनी । असु ( म० ) दुःख | शोक 1 - भङ्गः ( पु० ) १ जोवन का नाश । २ जीवन की आशा या