असु भय भुतूंं. ( पु० ) जीवधारी । प्राणी! सम, (वि० ) प्रायोपम /- समः, ( पु० ) पति । प्रेमी । प्रस्त. असूतिः (स्त्री०) १ वामपन | वंजरपन | २ अड़चन | स्थानान्तरितकरण | असूयति ( क्रि० परस्मै०) १ डाह करना। ईर्ष्या करना । २ अप्रसन्न होना । नाराज होना तिरस्कार सुः (पु० ) स्वांस । जीवन । आध्यात्मिक जीवन | २ मृतात्माओं का जीवन ३ (बहुवच मान्त ) प्राणादि पांच वायु करना । प्रसुमत (वि० ) जीवित । स्वांसयुक्त । ( पु० ) १ प्राणधारी । जीवधारी । २ जीवन | असुख (वि० ) दुःखी। शोकाकुल । २ ( जिसका पाना ) सहज नहीं। कठिन | असुखम् (४०) दुःख शांक पीड़ा-जीविका, ( स्त्री० ) दुःखमय जीवन । अयक ( वि० ) १ ईयज्ञ डाही अपवादरत । कुत्साशील । २ असन्तुष्ट अप्रसन अयनम् (न०) निन्दा अपवाद | २ ईर्ष्या डाह असूया (सी० ) १ डाह ईर्ष्या असहिष्णुता २ निम्दा | अपवाद | ३ क्रोध रोष | अठ्युः (g० ) १ डाही || २ अप्रसन्न व्यसूर्य (वि० ) सूर्यरहित । सूर्यपश्य (वि० ) जो सूर्य को भी न देखे । असूर्यपश्या (खी०) १ सती पतिव्रता श्री | २ राज- · 1 " असुखिन् (वि० ) दुःखी। शोकाकुल । [न हो । प्रसुत ( वि० ) वेधौलाद। जिसके कोई बाल बचा असुरः ( पु० ) १ दैत्य राक्षस दानव । २ भूत ! मेत ३ सूर्य ४ हाथी ५ राहु की उपाधि | ६ बावल-अधिपः, - राज, राजा, (पु०) | १ असुरों के राजा । २ प्रह्लाद के पौत्र राजा बलि की उपाधि प्राचार्यः, गुरुः, (५०) शुक्रा- चार्य | २ शुक्रग्रह आई, (न० ) टीन और ताँबे को मिला कर बनायी हुई धातु विशेष|-- द्विष्, (पु०) असुरों के बैरी। अर्थात् देवता -- रिपुः -सूदनः, (पु०) असुरों का नाश करने वाले । विष्णु भगवान की उपाधि । - हन्. (१०) | १ असुरों को मारने वाला | २ अनि, इन्द्र की | प्रसाद की खियाँ। रजवास की रानियाँ, जिन्हें सूर्य तक के दर्शन मिलना दुर्लभ है। असृजू ( न० ) १ खून : रक्त । लोडू | २ मङ्गलमह । ३ केसर-करः, (५०) रस-धरा (स्त्री०) पर्म चमड़ा। -धारा (श्री०) लोहू की धार। -पः, --पाः, (पु०) राइस रफ पीने वाला । -वहा. (स्त्री० ) रक्तधमनी । नाड़ी। -विमो- क्षणं ( न० ) रक्त का बहना। श्रावः, स्रावः ( पु० ) रक्त का बहना 1 असेवन 2 ( वि० ) अत्यन्त प्रिया जिसे देखते असेचनक देखते कभी जी न भरे । असौष्ठव (वि० ) 3 सौन्दर्य या मनोहरता का अभाव | २ बदसूरत । विकलाङ्ग । उपाधि । ३ विष्णु का नाम । असुरा ( बी० ) १ रात्रि । २ राशिक्षक सम्बन्धी | प्रसौष्ठवम् ( न० ) १ निकम्मापन | गुणाभाव । एक राशि | ३ धेश्या । २ विफलाइता। बदसूरती । अस्खलित (वि० ) १ जो हिले नहीं । स्थिर । असुरी ( वि० ) दानवी | राजसी । असुर की स्त्री । श्रसूर्य (चि० ) असुरों का असुरसा (स्त्री० ) पौधे का अनेक जातियाँ। यासुरी। नाम स्वायी। २ बेचुटीला | ३ सावधान। की असुलभ (वि० ) जो सहज में न मिल सके। सुसूः ( पु० ) तीर याद । असुहृद् (पु० ) शत्रु | बैरी यस्ता (न० ) बेइज्जती । अप्रतिष्ठा | [ बंजर | मसूत असूतिक } { वि० ) जिसमें कुछ भी न हो । म अस्त ( ० ० ) : फेंफा हुआ डाला हुआ। त्यागा हुआ छोड़ा हुआ । २ समास | ३ भेजा हुआ करुण, (वि० ) दयाहीन । निठुर धी, (वि० ) मूर्ख व्यस्त (वि० ) इधर उधर गड़बड़ 1- संख्य, (वि० ) असंख्य अस्तः ( पु० )अस्ताचल पर्वत । पश्चिमाचमंत्र | २ सूर्य का विपना | ३ बिपना तिरोना
पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१२२
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति