प्राभोग+ (०) गोलाई चकर | वृद्धि | सीमा कार। विस्तार लंबाई चौड़ाई | ३ उद्योग । ४ सांप का फैला हुआ फन । ५ भोगविलास | तृप्ति | प्राभ्यंतर ) (वि०) [स्त्री०-ग्राभ्यन्तरी] भीतरी । आभ्यन्तर अंदर का। भीतर की ओर। आभ्यवहारिक ( वि० ) [ स्त्री० -आभ्यवहारिकी ] खानेयोग्य । आभ्यासिक ( वि० ) १ अभ्यास से उत्पन्न या अभ्यास का फल । २ अभ्यास आवृत्ति । ३ समीपी। पड़ोस का अभ्यासिक । आभ्युदयिक ( वि० ) [ स्त्री० - अभ्युदयिकी ] १ शुभकर्मों की वृद्धि के लिये । २ उच्च । शुभ आवश्यक | याभ्युदयिकम् ( न० )) किली मङ्गल कार्य में पितरों के उद्देश्य से किया गया श्राद्ध कर्म । ग्राम् (अव्यया० ) स्वीकारोक्तवाची धन्यय | ध्याम ( वि० ) १ कञ्चा | अधसिका। २ अनपका | ३ अनसिका १४ आशयः, (पु० ) पेट की वह थैली जिसमें खाया हुआ न रहता है। पेट का ऊपरी भाग – कुम्भः, ( पु० ) कच्चा घड़ा । - गन्धि, (न० ) कच्चे माँस की या मुर्दे के जलने की गन्धि - ज्वरः, ( पु० ) एक प्रकार का ज्वर- त्वच, ( वि० ) कोमल चाम का । ~ रक्त, ( न०) दस्तों की बीमारी जिसमें आँव गिरे। - रसः, ( पु० ) अर्धजीर्ण भुक्तद्रव्य । - वातः ( पु० ) अजीर्ण | अनपच |~ शूल:, (पु० ) वायगोले का दर्द। आँव सुरेह का रोग । ध्यामः ( पु० ) १ रोग । बीमारी । २ अजीर्ण | कोष्ठ- चद्धता | ३ सुसी अलगाया हुआ अनाऊ । (वि० ) मनोहर | प्यारा । पेट की मरोड़ । मंजु } श्रमजु आमंड: आमण्डः ( १३४ ) } (लु०) रण्डवृष्ख । रॅडी का रूख । आमानस्य } ( न० ) पीढ़ा। शाक। प्रामुष्मिक बुलावा । न्योता विदाई । ३ बधाई । ४ अनुमति । ६ वार्तालाप | ७ सम्बोधन कारक । आमंद्र ) ( वि० ) गम्भीर स्वरवाला । गुड़गुड़ा- आमन्द्र ) हट का गम्भीर स्वर। गुड़गुडा- बीमारी । अस्वस्था । मंद्र ( ( पु० ) हल्का आमयः ( पु० ) १ रोग | श्रामन्द्रः हट । २ इति । चोट । श्रमावि (वि० ) बीमार । कब्जियत चाला | जिसको अनपच का रोग हो । आमंत्रणम् ( न० ) ) १ मंत्रणा (स्त्री० ) (२ D आमरणांत आमरणान्त आमरणांतिक आमरणान्तिक आमः ( पु० ) कुचलना । पीस डालना । रगड़ डालना । ( वि० ) [ स्त्री०–आमरणा- न्तिकी ] मृत्यु तक रहने वाला । यावजीवन रहने वाला । क्रोध कोप | रोप | गुस्सा | मर्श: (पु० ) १ स्पर्श करना | रगड़ना | २ परा- मर्श । सलाह मशवरा । अनसम्हला । आमः (पु० ) अनपचा-मर्पणम् ( न० ) ) अधीरता । आमलकः ( पु० ) आमलकी (स्त्री० ) ) प्रामात्यः ( पु० ) दीवान | वजीर | मुसाहिब । मलकम् (न० ) आँवले का फल । } आँवले का पेड़ | आमानस्य ( न० ) पीड़ा । शोक । श्रामिक्षा (स्त्री० ) मठा | छांछ | तक | आमिषं (न०) १ गोश्त | माँस | २ (आलं०) शिकार। आखेट ! भोग्य वस्तु | ३ भोजन | चारा | दाना । ४ रिश्वत | उत्कोच । घूस ५ अभिलापा । कामेच्छा | ६ भोगविलास । प्रिय या मनोहर वस्तु । प्रामीजनम् ( न० ) नेत्रों का बंद करना या मूँदना । आमुक्तिः ( स्त्री० ) पहनना। धारण करना। ( पोशाक या कवच । ) मुखं ( न० ) १ घारम्भ । २ नाव्य साहित्य में ) प्रस्तावना । ( अव्यया० ) सामने। आगे। आमुष्मिक ( वि० ) [ स्त्री०- श्रामुष्मिकी ] पर- लोक से सम्बन्ध रखने वाला। परलोक का।
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