१३७ ) आरण्यक ( 1 आरश्यक ( वि० ) जंगली । जंगल में उत्पन्न । आरश्यकः ( पु० ) यनरखा जंगली मनुष्य जंगल का रहने वाला। धारण्यकम् (२०) वेद के आरुः ( पु० ) १ सूअर २ काईट | केकड़ा | ब्राह्मणों के अन्तर्गत | आरू ( वि० ) भूरे या सांवले रंग का | एक भाग जो या तो वन में बैठ कर रचे गये थे | आरूढ (व० कृ० ) सवार चढ़ा हुआ बैठा हुआ। } झारूदिः ( स्त्री० ) चढ़ाई | उठान | उचान | कः (पु० ) १ खाली करना | २ कुञ्चन । या जिनको कम में जाकर पढ़ना चाहिये । [स्तू शारयक ययेऽध्ययनादेव आरश्यमुदाहृतम्] भारतिः ( स्त्री० ) १ नीरांजन ) भारती धारनालं (न० ) माँड चॉयल का पसाव । भारः ( श्री. ) आरम्भारम्भ | आरभट (पु० ) उद्योगी पुरुष उत्साही पुरुष आरभट: (पु० ) साहस। विश्वास (स्त्री०) वृत्ति | आरभी (स्त्री० ) विशेष प्रकार का नृत्य । आरंभः ) (पु.) १ आरम्भ आरम्भः ३ कर्म शुरूआत । २ भूमिका कार्य | ४ शीघ्रता | तेज़ी | २ 1 i उद्योग चेष्टा प्रयल ६ दृश्य ७ वध | हनन । आरभ ( न० ) १ पकड़ना । काबू में करना । २ पकड़ दस्ता बेंट हैंडिल | 1 धारवः १ धावाज । २ चिल्लाहट । गुराहट । भौंक धारावः ) ( कुते भेदिये आदि की बोली ) । धारस्य (न०) अस्वादिष्टता। जिसमें ज्ञायका न हो । आरात् (अव्यया० ) १ समीप पड़ोस में । २ दूर | फासले पर। ३ दूर से दूरी से ध्यराति: ( पु० ) शत्रु | वैरी । धारातीय (वि० ) समीप नज़दीक २ दूर धारात्रिकम् ( न० ) भगवान के विग्रह की धरती करना । पाकि धारामिकः ( पु० ) माली यारालिकः ( पु० ) रसोइया | आराधनम् (न०) १ प्रसन्नता | सन्तोष | २ पूजन | सेवा शृकार ३ प्रसन्न करने का उपाय | ४ सम्मान । प्रतिष्ठा २ पाचनक्रिया । ६ सम्पन्नता | सफलता। आराधना ( पु० ) पूजन सेवा । आराधनी ( स्त्री० ) पूजन। शृङ्गार प्रसादन ( देवता का ) । आराधयि (वि० ) पुजारी। पूजन करने वाला। विनम्र सेवक । [२] बाग बगीचा आरामः ( पु० ) हर्ष । प्रसवता | आदाद । सिकुड़न रेचित (वि० ) कुञ्चित | सिकुवा हुषा । धारोग्यं ( न० ) सुस्वास्थ अच्छी तंदुरुस्ती । आरोपः (पु० ) संस्थापन | २ कल्पना ३ एक पदार्थ में दूसरे पदार्थ की कल्पना करना। आरोपणम् ( म०) स्थापन लगाना मढ़ना । २ किसी पौधे को एक स्थान से हटाकर दूसरी जगह लगाना। रोपना। बैठाना | ३ किसी वस्तु के गुण को दूसरी वस्तु में मान लेना ४ मिथ्या ज्ञान अम २ धनुष पर रोदा चड़ाना | रोह (पु० ) १ सवार २ चदाई ( घोड़े की ) सवारी उठी हुई जगह । उचान | ऊँचाई | ५ अहंकार। अभिमान । २ पहाड़ | ढेर की फमर ) नितंय । चूतर |७ माप ६ (स्त्री विशेष | ८ खान। । प्रारोहकः ( पु० ) सवार चढ़ने वाला। रोहणम् (न० ) १ सवार होने की या ऊपर चढ़ने की किया । २ घोड़े पर चढ़ना ३ जीना सीढ़ी आर्कि ( पु० ) अर्क का पुत्र अर्थात् १ यम । शनिग्रह ३ राजा कर्ण ४ सुमो | १ चैवस्वत मनु | आ (वि० ) [ स्त्री०- सम्बन्धी ] नापचिक | तारका [ शहद की मक्खी। आर्धा (स्त्री० ) जाति विशेष अथवा पीछे रंग की तुष्टिसाधना (न० ) जंगली शहद | आर्च (वि० ) [ खो०- आर्थी] अर्चा करने वाला। पूजा करने वाला पुजारी। आर्थिक (दि०) ऋग्वेद सम्बन्धी । आर्चिकं (न० ) सामवेद की उपाधि | सं०१० कौ०-१८
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