का प्रार्यका ) ( स्त्री० ) श्रेष्ठा स्त्री | कुलीन प्रार्थिका 0- । श्रा (वि० ) [ स्त्री० -- आर्यो ] केवल ऋषियों द्वारा प्रयुक्त होने वाला या वाली ऋऋषियों की। वैदिक । पवित्र | पुनीत । अलौकिक । आर्षः (पु० ) ऋषिप्रोक्त आठ प्रकार के विवाहों में से एक। जिसमें कन्या के पिता को, वरपक्ष से एक या दो गौएँ दी जाती है। खादायार्यस्तु गोइयम् | आप ( न० ) ऋषिप्रणीत शास्त्र | वेद । (पु०) ( १३९ ) याज्ञवल्क्य । जो इतना बढ़ा हो कि काम में लाया जासके या साड़ बना कर छोड़ा जासके। पेय (वि० ) [ स्त्री – आयी ] १ ऋषि का । ऋषि सम्बन्धी | २ योग्य मान्य । प्रतिष्ठित । आई (वि०) [स्त्री०आईती] जैन सिद्धान्त-वादी । आईतः ( पु० ) जैनी । 1 आईतम् ( न० ) जैनियों का सिद्धान्त । आती ( पु० ) आन्न्यम् (न० आलः ( पु० ) ) आलं ( न० ) योग्यता 1 १ मछली आदि के झंडे २ पीतसंखिया | हरताल । श्रालानम् ( न० ) १ हाथी बाँधने का खंभा या खूंटा हाथी के बांधने का रस्सा | २ बेड़ी | ३ जंजीर । सकड़ी। रस्सा | ४ बंधन | [ वाला थालानिक (वि०) हाथी बांधने के खंभे का काम देने श्रालापः (g० ) १ वार्तालाप | बातचीत कथोप- कथन | सम्भापण | २ वर्णन | कथन | ३ तान | सङ्गीत के सप्त स्वरों का साधन । आलापनम् (२०) वार्तालाप | कथोपकथन । आलादुः आलावू } (स्त्री०) कुम्हड़ा । कुहँदा । कूष्माण्ड । आलख ( (पु०) १ अवलम्ब | आश्रम | धुनकिया। श्राजावतम् (न० ) कपड़े का बना पंखा। [सथा। आलंक: २ २ सहारा | रक्षण | आलंवनम् | ( म० ) १ धवलम्ब । श्राश्रय | २ आलम्बनम्। सहारा २ आधार अवस्थान ४ कारया हेतु २ रस में विभाग विशेष उसके अवलम्ब से रस की उत्पत्ति होती है। आलि (वि० ) १ निकम्मा | तुस्त | २ ईमानदार। | आलि. (पु० ) १ बिच्छू | २ मधुमक्षिका | आली ( स्त्री० ) १ सखी सहेली | २ कतार । अवलि | ३ पंक्ति | लकीर रेखा ४ पुस । सेतु। ५ बांध | थालिंगनं ) ( न० ) चिपटाना। गले लगाना । थालिङ्गम् ) परिम् । लिंगिन् । प्रालिङ्गिन् थालिंगी (स्त्री० ) लिङ्गी (स्त्री०) | श्रलियः ( पु० ) । आलियः ( पु० आलिङ्गयः श्रालयः (पु० ) आलयं ( न० ) १ घर । गृह | २ आधार | ३ स्थान | जगह। प्रालर्क ( वि० ) पागल कुता सम्बन्धी या पागल कुत्ते के कारण हुआ। ध्यालवरायं (न०) १ जिसमें निमक न हो। जिसमें स्वाद न हो । २ जिसमें कुछ लुनाई न हो। बदसूरत कुरूप। ध्यालगर्दः (पु० ) पनिया सौंप आलभनम् ( न० ) १ पकड़ना | २ स्पर्श करना। ३ मार डालना। आलंबिन् ? (वि०) १ लटकता हुआ चुका हुआ। मालम्बिन्। सहारा | लिये हुए । २ समर्थित | ३ | पहिने हुए। धारण किए हुए। ( पु० १ पकड़ना स्पर्श करना । 31 आलम्भः पु० २ चीरना। फाड़ना । २ आलंभनम् ( न० ) यज्ञ में बलिदान के लिये पशु आलम्भनम् (न० ) का वध करना। यथा “अश्वा- लम्भं गवालम्भम् ।" आलंभ प्रालवालं ( न० ) खोड्या थाला । भालस (वि०) [स्त्री० -- यालसी] सुस्त । काहिल । भालस्य (वि० ) बालसी । सामर्थ्य होने पर भी आवश्यक कर्तव्य का पालन न करने वाला । अकर्मण्य उदासीन । [ उदासीनता । आलस्यम् (न० ) सुस्ती काहिली | अकर्मण्यता । आालातम् (न० ) लकड़ी जिसका एक छोर जलता हो । लुाठी । लुक | ( वि० ) चिपटाये हुए ) सवाकार । छोटा ।
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