( ११ अब + नाश अघ+ नाश, अघ + नाशन ( वि० ) प्रायश्चितात्मक | पाप दूर करने वाला। अधर्म (वि० ) ठंडा | जो गर्म न हो । अघमर्षणम् (न० ) पापनाशक मंत्र विशेष यह मंत्र वैदिक सन्ध्या में पढ़ा जाता है। अघविषः ( पु० ) सर्प । अघशंसः ( 30 ) दुष्ट मनुष्य यथा चोर आदि । अघशंसिन (वि० ) मुखवर दूसरे के पाप कर्म या जुर्म की ( अधिकारीवर्ग को ) सूचना देने वाला । घायुः (पु०) पापपूर्ण। जिसका जीवन पापमय हो । अघोर (वि० ) जो भयानक न हो। –रः ( पु० ) शिव महादेव ।-पथः, -मार्गः ( पु० ) शैव । शिवपंथी ।-प्रमाणं ( न० ) भयङ्कर शपथ या परीक्षा | अधोरा ( स्त्री० ) भावमास के कृष्ण पक्ष की १४शी । इस तिथि को शिव जी की पूजा की जाती है। इसीसे इसका नाम "अघोरा" पड़ा है। अघोः सम्बोधनवाची अव्यय । अघोष (वि० ) प्लुतस्वर ।-पः (पु० ) व्यञ्जन अपरों में से किसी का प्लुत स्वर । यः (go ) प्रजापति । पर्वत । ( वि० ) मारने के अयोग्य | धन्या ( स्त्री०) सौरमेयी । गौ। जो न मारी जाय या जो न मारे । अयम् ( म० ) : सूधने के अयोग्य | २ मदिरा | शराब । अंकः, अङ्क ( पु०म० ) १ गोदी | क्रोड़ | २ चिन्ह | निशान । ३ संख्या | ४ पार्श्व | ओर । तरफ़ | ५ सामीप्य। पहुँच ! ६ नाटक का एक भाग ७ काँटा। काँटेदार श्रौज़ार ८ दस प्रकार के रूपकों में से एक ६ टेढ़ी रेखा । रेखा अवतारः (अङ्कावतारः) (पु०) किसी नाटक के किसी एक अकोलका अंक के अन्त में अगले दूसरे अंक के अभिनय की सूचना या आभास जो पात्रों द्वारा दी जाय।-तंत्रं ( न० ) अङ्कगणित या बीजगणित विद्या |-- धारणं ( न० ) धारणा ( स्त्री० ) १ चिन्हित २ किसी पुरुष को पकड़ कर रखने की रीति परिवर्तः ( 50 ) दूसरी ओर उलटना। करबट । २ किसी को आलिङ्गन करने के लिये करवट बदलना । —पालि:- पाली (स्त्री०) १ आलिङ्गन । २ दायी। धाय ।-पाशः ( पु० ) गणित की विधिविशेष | - भाज् (वि० ) १ गोद में बैठा हुआ अथवा किसी को ( बच्चे की तरह ) कमर पर रखकर ले जाते हुए । २ सहज में प्राप्त समीपवर्ती शीघ्र प्राप्तव्य। -मुखं या - यास्यं ( १० ) किसी नाटक का वह स्थल जिसमें उस नाटक के सब दृश्यों का खुलासा किया गया हो। -विद्या ( स्त्री० ) गणितशास्त्र । अंकनम् अङ्कनम् ( न० ) १ चिन्ह । चिन्हानी | २ चिन्हित करने की क्रिया । अंकुटः, अङ्कुटः अंकुरः, अङ्करः ( पु० ) १ आँखया | नवोद्भिद | गाभ | अँगुसा । २ डाभ करवा । कनखा । ३ नुकीले चौघड़े दाँत : ( आलं- ) ४ प्रशाखा | पल्लव सन्तति । २ जल ६ रक्त | ७ केश | ८ सूजन | गुमड़ा। अंक, अ ( धा० आत्मने० ) टेढ़ामेढ़ा चलना । | अंकुरित अङ्कुरित ( वि० ) अँखुआ निकला [अकयेति-~अङ्कयते, अङ्कयितुं अङ्कित] 1 चिन्हित करना | निशान लगाना | २ गणना करना । हुआ। उगाँ हुआ जमा हुआ | अंकुशः, अश: १ काँटा विशेष, जिससे हाथी जाता ३ कलकित करना | दाग़ी करना | ४ चलना । जाना। सगर्व चलना। है। २ रोक थाम -ग्रहः ( पु० ) महावत । हाथी चलाने वाला । - दुर्धरः ( पु० ) मतवाला हाथी । - धारिन (पु० ) हाथी रखने वाला अथवा जिसके पास हाथी हो । ) अंकतिः, अतिः (पु० ) १ पवन | २ अग्नि | ३ ब्रह्म अग्निहोत्री ब्राह्मण · ३ ( पु० ) चाबी । ताली । अंकृषः, अङ्कषः देखो “अङ्कुश” । अंकोटः, अंकोठः, अंकोलः, श्रङ्कोटः अङ्कोटः अकोलः (पु० ) पिश्ते का पेड़ । प्रकालिका, अङ्गोलिका ( स्त्री० ) आलिङ्गन ।
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