कवलित कचलित (वि० ) : खाया हुआ । निगला हुआ । २ चवाया हुआ | ३ ग्रहण किया हुआ | पकड़ा हुआ। कवाट ( देखो कपाट ) कवि ( वि० ) १ सर्वज्ञ | सर्ववित् । २ बुद्धिमान चतुर । प्रतिभावान | ३ विचारवान | ४ प्रशंस- नीय । श्वान्य। कविः (पु०) १ बुद्धिमान पुरुष। विचारवान । पण्डित । पद्यरचना करनेवाला। शायर | ३ असुराचार्य शुक्रदेव की उपाधि । ४ श्रादिकवि वाल्मीकि । ५ ब्रह्मा । ६ सूर्य । (स्त्री० ) लगाम । - ज्येष्ठः, ( पु०) वाल्मीकि जी की उपाधि । -पुत्रः (पु०) शुक्र जी की उपाधि 1- राजः, (पु०) १ बड़ा शायर | २ एक कवि का नाम एक पद्य का रच यिता जो राघवपाण्डवीय के नाम से प्रसिद्ध है। कविकः ( पु० ) लगाम । कविता ( स्त्री० ) पद्यरचना । कवियं } (न०) लगाम । कवोष्ण (वि०) गुनगुना । कुछ कुछ गर्म । कव्यं (न०) पितरों के लिए तैयार किया हुआ अन कन्य और देवताओं के लिये तैयार किया हुआ श्रन हय कहलाता है | - वाहू (पु०) - वाहः -वाहन: ( पु०) अग्नि । कव्यः (पु०) पितर विशेष | कशः (पु० ) कोड़ा। चाबुक । कशा ( स्त्री० ) १ चाबुक | कोड़ा | २ कोड़े मारना । ३ डोरी। रस्सी । कट कश्मीरः ( पु० बहुवचन ) देश विशेष | तंत्र ग्रन्था- नुसार इस देश की सीमा यह है। शारदानटमारभ्य कुङ्कुमाद्रितटान्तकः । तावरकर देश स्यात् पक्षाशयोजनात्मकः ॥ ज..-जं, जन्मन् (पु० न० ) केसर | जाफ्रान । कश्य (वि० ) चावुक लगाने योग्य | कश्यं ( न० ) शराद | मदिरा । मद्य । कश्यपः (पु०) १ कछुआ । २ अदिति और दिति के पति, एक ऋषि का नाम । कधू ( घा० उभय० ) [ कवति, कपते, कपित ] मलना । खरोचना । छीलना । २ जाँचना । परीक्षा लेना। (कसौटी पर रगड़ कर ) परीक्षा लेना । ३ घायल करना नष्ट करना । ४ खुजलाना। उत्पन्न होने वाला फल विशेष जिसे कसेरू कहते हैं। कश्मल (वि०) गंदा मैला । लज्जाकर घृणित कश्मलं (न०) १ मन की उदासो । २ मोह | ३ पाप। ४ मुर्छा | कप (वि० ) रगड़ा हुआ। खुरचा हुआ | कपः (पु०) १ रगड़ २ कसौटी का पत्थर | कषणम् (न०) १ रगड़न । चिन्हकरण । छीलना । २ कसौटी पर से सुवर्ण की परख । कषा देखा 'कशा' | कषायः (वि०) १ कहुआ। कसैला | २ सुगन्धित । ३ लाल | कलौंहा लाल । ४ मधुर स्वर वाला । १ भूरा ६ अनुचित | मैला । कषायः (पु० ) ) १ कसैला या कडुवा स्वाद या रस | कपायम् (न०) ) २ लाल रङ्ग | ३ काढ़ा। ४ लेप । उबटन | ५ तेल | फुलेल लगाकर शरीर को सुवा- सित करना ।६ गोंद । राल । ७ मैल । मैलापन ८ सुस्ती | मूढ़ता ६ सांसारिक पदार्थों में अनु- राग या अनुरक्ति। ( पु० ) १ अत्यासक्ति । अनुराग २ कलियुग । रंजित | रक्तरक्षित | २ कशिपु ( पु० या न० ) १ चटाई | २ तकिया । ३. विस्तर । शय्या | [ भोजन बस्त्र | कशिपुः (पु०) 8 भोजन २ परिच्छद । वस्त्र | ३ कषि (वि०) हानिकर । अनिष्टकर | क्षतिजनक | कशेरु } (g०) ( न० ) १ मेरुदण्ड-अस्थि । पीठ के कवेरुका } (स्त्री० ) पीठ के बीच की हड्डी । मेरु- | २ कपायित (वि० ) १ रंगीन भावान्तरित । विकृत । कष्ट (वि०) १ बुरा । खराब | दुष्ट गलत | २ पीडा- कारक । सन्तापकारी । ३ क्लिष्ट | कठिनाई से वश में होने वाला । ४ उपद्रवी । अनिष्टकारी । क्षत्ति- जनक । स्थगे होने वाला । अशुभ बतलाने वाला।
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