पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२३५

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कार्य ( २२८ ) काल ३ पेशा । उद्योग व्यापार । अति आवश्यक कारोवार ४ धार्मिक अनुष्ठान ५ हेतु। कारण । प्रयोजन । ६ आवश्यकता | अपेक्षा ७ आचरण । ८ अभियोग। मुकदमा | ६ कर्तव्य कार्य । १० नाटक का शेष अङ्क ११ उत्पति- स्थान | -अकार्यविचारः, (पु० ) किसी विषय की सपक्ष । कार्यम् ( न० ) १ काम । व्यवसाय | २ कर्त्तव्य कर्म | विपण युक्तियों पर वादानुवाद | किसी कार्य के यौचित्य प्रनौचित्य पर धादानुवाद । अधिपः, (१०) कार्याध्यक्ष २ ज्योतिष में वह ग्रह जिसकी परिस्थिति देखकर किसी प्रक्ष का उसर दिया जाय । - अर्थः, (पु० ) 1 उद्देश्य प्रयोजन | २ नौकरी पाने के लिये थावेदनपत्र | ~ अर्थिन्, ( न०) १ ग्रार्थी १२ किसी पदार्थ की प्राप्ति के लिये प्रयत्नशील | ३ पदार्थी। नौकरी चाहने वाला ४ अदालत में किसी दावे के लिये वकालत करने वाला अदालत का आश्रय ग्रहण करने वाला शासनं, (न० ) वह स्थान जहाँ लैन दैन या खरीद फरोख्त होती हो। दूकान गदी। इसमां (न०) सार्वजनिक कार्यों की देख कम्( म० ) रेख/-उद्धारः, (पु० ) कर्तव्यपालन --कर, (न०) गुणकारी।– कारणे, (हिवचन) कारणे | कार्य किया। कालः, ( पु० ) 3 काम करने | का समय । ऋतु। मौसम उपयुक्त समय या अवसर। --गौरखं, ( न० ) विषय का महत्व | चिन्तक, (चि० ) परिणामदशी | विचार- वान । विवेकी । –चिन्तकः, ( पु० ) किसी कार्यतः (अन्यवा० ) किसी प्रयोजन या उद्देश्य से | अन्ततोगत्वा । लिहाजा । अतएव । काये ( न० ) १ लटापन | दुबलापन पतलापन | २ कामी। स्वरूपता। थोड़ापन | कार्यः (२) किसान | खेतिहर । कापणः ( पु० ) भिन्न वज़न और मूल्य के सिके । कार्यापिणक: ( go ) कार्यापणम् ( म० ) रुपया । कार्षापणिक ( वि० ) श्री कापणी ] एक कार्यापण के मूल्य का। जिसका मूल्य एक कार्षापण हो । कार्षिक देखो "कार्यापण" - का (वि० ) [ श्री० - कार्णी ] श्रीविष्णु या श्रीकृष्ण से सम्बन्ध रखने वाला या वाली । २ व्यास का या की। ३ कृष्ण मृग का या की। कार्ष्णायस (वि०) [स्त्री-कायसी] काले लोहे । का बना हुआ था हुई। कायसम् ( न० ) लोहा का: ( पु० ) कामदेव की उपाधि । कार्य या कार्यालय का प्रबन्धकर्त्ता या व्यवस्थापक | ~~च्युत. ( वि०) बेकार। जो कहीं नौकर चाकर न हो। ठलुआ। किसी पद से हटाया या निकाला हुआ।-दर्शनं, (न०) १ अवेक्षण | मुआयना | पर्यवेक्षण २ अनुसन्धान तहकोकात /- -निर्णयः, (पु०) किसी काम का निपटारा।- पुदः, ( पु० ) १ निरर्थक काम करने वाला । २ पागल | चलितचित्त की । ३ निठल्ला । ठलुया-पद्वेषः, ( पु० ) अकर्मण्यता । काहिली। सुस्ती। -प्रेष्यः, ( पु० ) प्रतिनिधि | कारिंदा । सुनीम दूत। फासिङ विपत्ति, ( पु० ) असफलता | दुर्भाग्य /-शेष:, ( पु० ) १ किसी कार्य का अवशिष्ठ अंश । २ किसी कार्य की सम्पन्नता । पूर्णता /-सिद्धि: (बी० ) सफलता | कामयावी । - स्थानं, (न०) दत्तर | आफिस । फोठी। दूकान । -हंतु, ( वि० ) दूसरे के काम में बाधा डालने वाला। विपक्षी । /- . " काल (वि०) [ जी०- काली ] काले रंग का - अयसं, (न० ) - लोहा । अतरिकः ( पु० ) पदा लिखा। साक्षर।-अगरुः, (पु० ) चंदन वृक्ष विशेष । ( न० ) चंदन की लकड़ी। अग्निः, अनल, ( पु० ) प्रलय के समय की आग। -अजिनं, ( न० ) काले मृग का चर्म । अञ्जनम्, (न० ) एक प्रकार का अंजन अण्डजः ( पु० ) को- किल । - अतिपातः, अतिरेकः, ( पु० ) विलम्ब देरी। समय गंमाना। २ अवधिया म्याद बीत जाने के कारण होने वाली हानि। - अध्यक्षः, ( पु० ) १ सूर्य देवता । २ परमात्मा । -अनु. - .