( २३७ ) च्छं (न०) कमल की जाति विशेष | कुजः (५०) १ च १२ मङ्गलग्रह | राक्षस विशेष -जा, (स्त्री०) सीताजी का नाम । जंभनः, कुजम्भनः १ (४०) घर में सेंध लगाने जंभिलः, कुजम्भिलः) वाला चोर | मदिः, ) उमटिका (स्त्री० ) कुहासा । नीहार । पाला। टी कुहरा । उच्च } देखो कुच्”। चू कुंचनम् । उञ्चनम् (न०) । झुकाना । सकोड़ना । चिः, हे (पु० ) आठ अंजुली या पसों का माप पश्चिः, ' विशेष | कंचिका ? (स्त्री०) १ ताली | चाबी | २ बाँस का ञ्चिका अर सुचित ) (वि०) सिकुड़ा हुआ । मुड़ा हुआ । कुञ्चित ) सुका हुआ। कुंजः (पु०) कुञ्जः (पु०) १ १ लता वृक्षों से परिवे- जम् (न०) कुञ्जम् (न०) ) ष्ठित स्थान । लतागृह लतावितान । "वल सखि कुटु सतिमिरपुञ्ज शीलय नीलनिचोलं ।” - गीतगोविन्द २ हाथी के दाँत कुटीरः, (पु०) लतागृह कुंजरः ( (पु०) हाथी | २ श्रेष्ठार्थवाचक | [अमर श्रेष्ठार्थवाचक अरः कोपकार ने निम्न शब्द बतलाये हैं-व्याघ्र, पुङ्गव, वर्षभ, कुअर, सिंह, शार्दूल, नाग |] ३ अवस्थ वृत्त । ४ हस्त नक्षत्र | - अनीकं, ( न० ) सेना का अंग विशेष जिसमें हाथीसवारों की टोली हो 1-- यशनः, ( पु० ) पीपल का वृत – अतिः, ( पु० ) १ शेर | २ शरभ / – ( पु० ) हाथी पकड़ने वाला। द (धा० पर०) (कुठति, कुटित) १ मुड़वाना । भुकवाना | २ मोड़ना । मुकाना । ३ बेईमानी करना । धोखा देना । छलना । (कुव्यसि ) टुकड़े टुकड़े कर डालना कूटना विभाजित करना । चीरना। टः ( पु०) } जलपात्र | कलसा | घड़ा । ( पु० ) टम् (०) [१] दुर्ग । गढ़। २ हथौड़ा | धन | कुटीरक' ३ वृत्त | ४ घर | ५ पर्वत । अः, (पु० ) १ एक वृक्ष का नाम | २ अगस्त जी का नाम । ३ द्रोणाचार्य का नाम 1~-हरिका, ( स्त्री० ) दासी । चाकरानी । कुटकं (न०) हल जिसमें बाँस लगा न हो । कुटंकः }(g०) छत्त । छावनी । }(पु०) मदैया । झौपड़ी । कुटंगकः कुटङ्गकः कुटपः (पु०) माप विशेष | तौल विशेष | २ गृहउद्यान। घर के निकट का बाग | ३ ऋषि । कुटपम् (न०) कमल | कुटरः ( पु०) खंभा जिसमें मयानी की रस्सी लपेटी जाय। कुटलं ( न० ) छत | छप्पर । कुटि: (पु०) १ शरीर | २ वृक्ष | (स्त्री०) १ झोपड़ी । २ मोड़ । सुकाव चरः, (पु०) सूस | शिशु- मार | कटिरं (न०) कुटीर | कुटी। सौपड़ी। कॅटिल (वि०) 1 टेढ़ा | झुका हुआ | मुड़ा हुआ | घूमधुमाव का घूमा हुआ। दुःखदायी | ३ झूठा। बनावटी। कपटी । बेईमान । - प्राशय, (वि०) दुष्ट नियत का दुष्टात्मा । - पदमन्, (वि०) झुके हुए पलकों वाला। -स्वभाव, (वि०) कपटी। छली। धोखेबाज़ | कुटिलिका (स्त्री०) १ पैर दवा कर चलने वाला (जैसे शिकारी चलते हैं)। २लुहार की भट्टी। लोहसाही । कुटी (स्त्री०) १ मोड़ | २ भौपड़ी | ३ कुटनी | ४ --चकः, (पु०) चार प्रकार के संन्यासियों में से एक। "A चतुर्विधा भिक्षवरते कुटीचकबहुदको । यो यः पश्चात् स उत्तमः || -- महाभारत । -चरः. (पु०) वह संन्यासी जो अपनी गृहस्थी का भार अपने पुत्र को सौंप स्वयं सप और धर्मानुष्ठान में लग जाता है। कुटीर: ( पु० ) कुटीरम् (न०) (झौपड़ी। कुटी । मड़ैया । | कुटोरकः (५०).
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