( २० प्रतस कारण। श्रतपुर्व इस कारण से।-एव इसी कारण से।उध्ये इसके आगे पीछे से। -परं आगे और आगे। इसके पीछे इसके परे इससे भी आगे। 1 अतसः (पु० ) १ यवन। हवा २ आत्मा। जीव ३ पटसन का बना हुआ वस्त्र । अतसी (स्त्री० ) अलसी । सन । पटसन --तैलम् ( न० ) अलसी का तेल | अति (अव्यया०) यह एक उपसर्ग है जो विशेषणों और क्रियाविशेषणों के पहले लगायी जाती है। इसका 1 1 4 अर्थ है --बहुत बहुत अधिक परिमाण से बहुत अधिक उत्कर्ष प्रकर्ष प्रशंसा क्रिया में जुड़ने पर यह उपसर्ग-ऊपर, परे का अर्थ बतलाती है। जब यह संज्ञा या सर्वनाम जुड़ती है, तब इसका अर्थ होता है परे । बढ़ कर श्रेष्ठतर प्रसिद्ध प्रतिपन्न । उञ्चतर ऊपर। - । अतिकथा (स्त्री० ) बहुत बड़ा कर कहा हुआ वृत्तान्त | २ व्यर्थ की या वेमतलब की बातचीत । अतिकर्षणं ( न० ) अत्यन्त पीड़ित । अत्यधिक परिश्रम | अतिक्रमणीय ( स० क० कृ० ) अतिक्रमण करने योग्य उत्तरान करने योग्य बचा देने के योग्य छोड़ देने के योग्य | अतस्क (वि० ) असंयतेन्द्रिय जो अपनी इन्द्रियों ! अतिक्रान्त (भू० क० कृ० ) को अपने वश में न रख सके। अतिकश ( वि० )कोड़े को न मानने वाला घोड़े की तरह हाथ में न आने वाला। ) प्रतिकृच्छ्र (वि० ) बहुत कठिन | बड़ा मुश्किल । ध्यतिकृण्ड्रम् (म०) प्रतिकुच्छ्रः (पु.) १ असाधारण कठिनता । २ एक प्रायश्चित विशेष, जो १२ रात में पूर्ण होता है। प्रतिर अतिक्रमः ( पु० ) नियम या मर्यादा उलङ्गन विरुद्ध व्यवहार | २ अप्रतिष्ठा असम्मान बे- इज्जती ३ चोट | ४ विरोध ५ ( काल | का ) व्यतीत हो जाना । बीत जाना । दमन करना पराजित करना । हराना ६ छोड़ जाना। उपेक्षा करना भूल जाना ७ ज़ोर शोर 1 काय ६ दुपयोग | १० निर्धारण स्थापन आदेश करसंस्थापन । अतिक्रमणम् (न०) उशन | पार करना बढ़ जाना । सीमा के बाहिर जाना। समय को व्यतीत करना । आधिक्य | दोष अपराध | सीमा या मर्यादा का उल्लहन किये हुए बढ़ा हुआ। बीता हुआ। व्यतीत । अतिखद् (वि०) शय्यारहित शय्या की आवश्यकता को दूर कर देने योग्य | I प्रतिग (वि०) अत्यधिक अपेक्षा कृत। उत्कृष्ट | प्रतिगन्ध (वि०) ऐसी गन्ध जो सब के ऊपर हो। प्रतिगन्धः (पु०) १ गन्धक २ भूतृण ३ चंपा का 1 अतिगव (वि० ) १ बड़ा भारी मूर्ख । गण्ड मुर्ख । २ अवर्णनीय अकथनीय । अतिगण्डः (पु०) ज्योतिष शास्त्र वर्णित योग विशेष । (वि०) बड़ा गले वाला । अतिकाय (वि० ) दीर्घकाय असाधारण डीलडौल | अतिगो (स्त्री० ) श्रेष्ठ गौ | उत्तम गाय । का। प्रतिगुण (वि०) १ वह जिसमें सर्वोत्कृष्ट अथवा श्रेष्ठतर गुण हों। २ गुणशून्य निकम्मा अतिगुणः (५०) श्रेष्ठ गुण प्रतिग्रह (वि० ) जो बोधगम्य न हो। अविग्रहः अतिग्राहः } ( 30 ) १ इन्द्रियगम्य । इन्द्रियगोचर । २ सत्यज्ञान | ३ श्रेष्ठ होने के लिये कर्म या क्रिया। अतिचम् (बि०) सेनाओं पर विजय प्राप्त । प्रतिचर (वि०) बड़ा परिवर्तनशील । अनित्य । अचिर- स्थायी विध्वंसी। राणिक | प्रतिवरा (स्त्री०) स्थलपद्मिनी पद्मिनी | पद्मचारिणी- } लता। प्रतिचर (न० ) अत्यधिक अभ्यास अधिक काम करना।
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