( २४३ ) कुल अथवा विशेष रीति |-- कलङ्कः, ( पु० ) अपने खानदान में धब्बा लगाने वाला । –क्षतः, ( पु० ) १ वंश का नाश । २ कुल की बरबादी। - गिरिः भूभृत् (पु०) । –पर्वतः, -शैलः, ( go ) प्रधान सप्त पर्वतों में से एक । कुला- चल । -घ्न, (वि० ) वंश को बरबाद करने वाला 1-ज, जात, (वि० ) १ कुलीन | अच्छे खनिदान का। खानदानी । २ पैतृक बाप दादों का । पुरखों का जनः, ( पु० ) खान्दानी । कुलीन । -तन्तुः, (पु०) अपने कुल को कायम रखने वाला । - तिथिः, ( पु० स्त्री० ) १ चतुर्थी, अष्टमी, द्वादशी, चतुर्दशी। वह तिथि जिस दिन कुलदेवता का पूजन होता है। तिलकः, ( पु० ) अपने वंश को उजागर करने चाला। वंशउजा- गर। दोपः, दोपकः, ( पु० ) कुलउजागर । --दुहित, (स्त्री०) कुलकन्या ।-देवता (स्त्री०) खानदानी देवता। वह देवता जिनका पूजन अपने कुल में सदा से होता चला आता हो । -धर्मः, चशपरम्परा से प्रचलित धर्म । अपने खान्दान की पद्धति या रीतिरस्म । - धारकः, ( पु० ) पुत्र - धुर्यः ( पु० ) वह पुत्र जो अपने घर वालों का भरणपोषण कर सकता हो । वयस्क पुत्र । -नन्दन, ( वि० ) अपने कुल को प्रतिष्ठा बढाने वाला । –नायिका, ( स्त्री० ) वह लड़की जिसकी पूजा वाममार्गी ताँत्रिक भैरवीचक्र में किया करते हैं। -नारी, ( स्त्री० ) कुलीन और सती स्त्री । -नाशः, ( पु० ) १ खान्दान का नाश या बरबादी | २ जातिच्युत | पंक्तिबहिष्कृतः । ३ ऊँट । परम्परा, (स्त्री० ) वंशावली। पतिः ( पु० ) १० हजार शिष्यों का भरण पोषण कर, उनको पढ़ाने वाला ब्रह्मर्षि सुनीनां दशसाहस्त्र योऽन्नदानादिपोषणात् । अध्यापयति विमर्थिरसी कुलपतिः स्मृतः ॥ -पांसुका, ( स्त्री० ) कुलटा स्त्री । -- पलिः, - पालिका, -पाली, (स्त्री०) सती या कुलीन स्त्री । -पुत्रः, (पु०) उत्तम कुल में उत्पन्न लड़का |- पुरुषः, ( पु० ) १ कुलीन पुरुष | खान्दानी आदमी | २ पुरखा । बुजुर्ग - - पूर्वगः, ( पु० ) कुलायम् पुरखा। बुजुर्ग भार्या ( स्त्री० ) पतिव्रता या सती स्त्री । भृत्या, स्त्री० ) गर्भवती स्त्री की परिचर्या करने वाली । - मर्यादा, ( स्त्री० ) कुल की प्रतिष्ठा | खान्दानी इज्जत 1-मार्गः, ( पु० ) खान्दानी रस्म । योषित, वधू, ( स्त्री० ) कुलीन और अच्छे आचरण वाली स्त्री । -वारः ( पु० ) मुख्य दिवस अर्थात् मंगलवार और शुक्रवार 1 — विद्या, (स्त्री० ) वह ज्ञान जो किसी घर में परम्परा से प्राप्त होता चाया हो । – विप्रः, ( पु० ) पुरोहित (वृद्धः, (पु०) कुल का वृद्ध और अनुभवी पुरुष ।-व्रतः, -व्रतम्. ( न० ) खान्दानी व्रत । – श्रेष्टिन्, ( पु० ) १ किसी वंश का प्रधान २ कुलीन - घराने का कारीगर संख्या, (स्त्री०) १ खान्दानी इज्जत | २ सम्मानित घरानों में गणना- सन्ततिः, ( स्त्रो० ) ग्रालश्रौलाद /-सम्भव, (वि० ) कुलीन घराने का। -- सेवकः, (पु० ) उत्कृष्ट नौकर | -स्त्री (स्त्री० ) अच्छे घराने की औरत । नेक औरत । - स्थितिः, ( स्त्री० ) घराने की प्राचीनता या समृद्धि । कुलक (वि० ) कुलीन । कुन्नकः ( पु० ) १ किसी जत्था का मुखिया । किसी थोक का प्रधान २ किसी प्रसिद्ध घराने का कलाकोविद | ३ बाँबी । कुलकम् ( न० ) १ समूह | समुदाय । २ १५ तक के लोकों का समूह जो बनाते हों या एकान्वयी हों। कुलटा (स्त्री०) छिनाल औरत। व्यभिचारिणी स्त्री | -पतिः ( पु० ) कुटना। मछूंदर । कुलतः ( अन्यया० ) जन्म से । कुलत्थः ( पु० ) कुलथी । एक प्रकार का अनाज । कुलंधर | ( वि० ) अपने कुल या वंश को कायम कुलन्धर / रखने वाला। कलंभरः, कलम्भरः कुँलंभलः, कुलम्भल : } ( पु० ) चोर । कलवत् (वि०) कुलीन । | कजायः कुलायम् ऐसे ५ से एकवाक्य ( पु० ) ) १ पक्षी का घोंसला | २ ( न० ) शरीर । ३ स्थान | जगह । ४ जाला। बुना हुआ वस्त्र | २ किसी वस्तु के रखने
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