क्षात्रम् ( २६४ ) क्षिप् क्षात्रम् (न० ) १ क्षत्रिय जाति । रात्रिय के कर्म । | चालित (वि०) : धुला हुआ साफ किया हुआ शुद्ध किया हुआ | २ पड़ा हुआ। भाड़ा हुआ। चि ( धा० परस्मै० ) [ तयति, क्षित या क्षोण ] गलना नष्ट होना। २ शासन करना हुकूमत करना। अधिकार जमाना।-- -[पति, तिगोति, क्षिणाति ] १ नाश करना बरबाद करना। बिगाड़ना | २ घटाना ३ मार डालना, चोटिल करणा (निजन्त) [ तययति या क्षपयति ) १ नाश करना । स्थानान्तरित करना । समाझ करना । २ व्यतीत करना। क्षांत (६० कृ०) १ धैर्यवान | सहनशील। चमा क्षान्त ) बान् | २ माफ किया हुआ। चांता क्षान्ता S (स्त्री०) पृथिवी । तान्तु } (बि०) धैर्यवान् । सहनशील । क्षांतुः } (g० ) पिता अनक बाप | क्षान्तुः नाम (वि०) १ झुलसा हुआ । जला हुआ । २ घा हुआ। पतला। नष्ट किया हुआ । लटा हुआ। 1 दुबला | ३ हल्का | थोड़ा। छोटा | 8 नियंत | | तितिः (स्त्री० ) १ पृथिवी २ गृह । आवासस्थान । बतहीन | मकान | ३ हानि नाश ४ प्रलय । ईशः - - क्षार ( वि० ) काट करनेवाला जलानेवाला। तेज़ | तीषण | खारा । नमकीन । ( न० ) समुद्री निमक ।-अञ्जनम्, (न०) खारी अन या लेप अम्बु ( न० ) खारी रस 1-उदः, -उदका, उदधिः, -समुद्रः, ( पु० ) सारी समुद्र त्र्यं-त्रितयम् (न०) सज्जी, शोरा और जवाखार ( या सोहागा )।-नदी, (जी०) नरक की खारी पानी की नदी विशेष |~~भूमिः (स्त्री०) -वृत्तिका, (बी०) लुनिया ज़मीन । -- मेलकः, (पु०) खारी पदार्थ | रसः, ( पु० ) सारी रस | 1 क्षारं ( म० ) १ काला निमक | २ पानी अल क्षार: (१०) १ रस | सार २ शीरा चोटा राव। जूसी | ३ केोई भी तीथ्य पदार्थ ४ शीशा | २ बदमाश सुच्चा | ठग क्षारकः (पु०) १ खार। २ रस सार ३ पिंजड़ा | टोकरी या जाल जिसमें पी रखे जाते हैं | ४ | चिद्रः (पु० ) १ रोग | २ सूर्यं । ३ सींग । धोबी | २ फूल | कली | क्षारणम् (न०). ) अभिशाप । अभियोग विशेष क्षारणा (स्त्री०) ) कर व्यभिचार या लम्पटता का। क्षारिका (स्त्री०) भूख १ ईश्वरा, (पु० ) राजा --कणः, (पु०) धूल। रज-कम्पः, (पु०) भूचाल | भूडोल।- 1-तित्, (पु०) राजा | राजकुमार (~-जः, (पु०) १ वृक्ष | २ केचुआ | ३ महगृह ४ भरकासुर-अम्, (न०) अन्तरि । -जा, (स्त्री०) सीता जी ।- तलं, (न०) पृथिवी सल। ज़मीन की सतह । -- देवः, (५०) ब्राह्मण धरः (पु०) पहाड़ - नाथः, -पः, पतिः पालः, भुज्, (पु० ) रक्षिन (पु० ) राजा सम्राट् पुष (पु०) महतग्रह-प्रतिष्ठ, (दि०) धरती पर बसनेवाला -मृत, ( पु० ) पर्वत | पहाड़ मण्डलम्, ( न० ) भूमण्डल भूगोलक-त्रम् (२०) गड़ा। गतै । रुड़, (४०) पेड़ | वृषवर्धनः ( पु० ) शव | मुर्दा। मृतकशरीर लाश - वृत्तिः, (स्त्री०) धैर्ययुक्त व्यवहार या आचरण । पृथिवी की गति । व्युदासः, ( पु० ) विल । से क्षारित ( वि० ) १ सारी पदार्थ से चुदाया हुआ । २ ) लम्परता का झूठा दोष लगाया हुआ। झालनं (न०) १ धोना। साफ करना । पखारना । २ छिड़कना | क्षिप (घा० उभय) [ किन्तु जब इसके पूर्व अभि, प्रति, और अति जोड़े जाते हैं तब ही यह परस्मै० होती है।] परस्मै० क्षिपति-क्षिपते, तिप्यति, क्षिप्त) १ फेंकना । पटकना । भेजना रवाना करना । छोड़ना मुक्त कर देना रखना। स्थापित करना । ३ लगाना । अर्पित करना। ४ फेंक देना | २ छीन लेना नाश कर डालना ६ खारिज कर देना। अस्वीकृत कर देना घृया करना ७
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