( २३८ गौरतल्पिक, गौरतल्पिकः, ( पु० ) गुरुपत्नी के साथ गमन करने | वाला या गुरु की शय्या को भ्रष्ट करने वाला। गौलक्षणिकः ( पु० ) गौ के शुभाशुभ लक्षणों जानने वाला । गौत्मिकः, ( पु० ) किसी सैनिक दल का एक सिपाही । गौशतिक ( वि० [ स्त्री०-गौशतिकी ] १०० गायें पालने वाला । ग्मा ( स्त्री० ) पृथिवी । ग्रंथ या ग्रन्थ ( भा० आत्मने० )[ अथते, ग्रन्थते ] १ टेढ़ा करना | तिरछा करना | झुकाना २ गुथना | रचना । प्रथनम् ( न० ) १ गादा करना जमाना । २ गूँथना | ३ पुस्तक की रचना करना | लिखना | [ प्रथना, भी अन्तिम दो अर्थों का वाची है।] ग्रथन ( पु० ) गुच्छा प्रथित ( व० कृ० ) १ गूँथा हुआ। रचा हुआ || श्रेणीबद्ध किया हुआ । यथाक्रम किया हुआ | ४ जमाया हुआ । गाड़ा किया हुआ | ५ गाँठ गठीला । ग्रन्थ (धा० परस्मै०) [ ग्रन्थित, प्रध्नाति, अन्थयति ग्रन्थयते प्रति और प्रथते भी रूप होते हैं ] १ बाँधना | गूंथना । यथाक्रम करना | श्रेणी बद्ध करना । २ लिखना। रचना करना । ३ बनाना पैदा करना । ग्रन्थः (पु० ) १ बांधना | गाँठ लगाना | २ रचना | ग्रन्थ । पुस्तक | साहित्यिक रचना ३ धन | सम्पत्ति ४ अनुष्टुप छन्द वाला पद्य - कारः, --कृत, (पु० ) ग्रन्थरचयिता लेखक - छु.टी, - फूटी, (स्त्री०) १ पुस्तकालय । २ दफ़्तर जहाँ काम किया जाय 1-विस्तरः ( पु० ) बृहदकारता प्रकाण्डता । प्रगल्भ शैली ।-- सन्धिः, ( स्त्री० ) काण्ड | अध्याय | सर्व । ग्रन्थनम् }देखो प्रथन । ग्रन्थिः ( स्त्री० ) : गिल्टी | गुमड़ा। गुमड़ी। २ रस्सी की गाँठ | ३ कपड़े के आँचल की गाँठ, जिसमें पैसे रुपये गठियाये जाते हैं। ४ बेंत या ) प्रह नरकुल के पोरू की गाँठ या जोड़ | ६ टेढ़ा- पन भद्दापन असत्य ७ सूजना या फूलना । -वेदकः, -भेदा–भोचकः, (पु०) गँठकटा | जेब कतरने वाला । - ए (पु० ) पर्णम्, ( न० ) १ एक सुगन्ध वृक्ष | २ एक सुगन्ध पदार्थ |–बन्धनम्, ( न० ) १ विवाह के समय दूल्हा दुलहिन का गठजोड़ा । २ पदी । —हरः, ( पु० ) सचिव | दीवान। ग्रंथिकः ) ( पु० ) १ दैवज्ञ | ज्योतिषी २ अज्ञात- ग्रन्थिकः ) वास के समय राजा विराट के यहाँ रहते समय नकुल ने अपना नाम ग्रन्थिक ही रखा था। ग्रंथित प्रस्थित ) ( वि० ) देखो अधित । ग्रंथिन ) ( पु० ) अन्थिन् । सुपठित | ग्रन्थ पढ़ने वाला | २ विद्वान अंथिल ) ग्रन्थिल) ( वि० ) गाँठ गठीला ग्रस् (धा० श्रात्म० ) [ ग्रसते, ग्रस्ते ] १ निगलना । लील लेना । निघटाना। वर्तं डालना । २ पकड़ना | ३ ग्रहण डालना। ४ शब्दों पर चिन्ह या दारा लगाना। ५ नष्ट करना । ( उभय० ) [ ग्रसति, प्रासयति, – प्रासयते ] खा डालना भक्षण कर जाना । प्रसनम् ( न० ) १ निगलना | खाना | २ पकड़ना । ३ चन्द्र और सूर्य का अपूर्ण ग्रास | प्रस्त (व० ० ) १ खाया हुआ भक्षण किया हुआ । २ पकड़ा हुआ अधिकृत किया हुआ प्रभाव पड़ा हुआ । ३ ग्रहण लगा हुआ । प्रस्तं (न० ) ग्रहण सहित सूर्य या चन्द्रमा का अस्त होना। - उदयः, (पु०) ग्रहण लगे हुए चन्द्रमा सूर्य का उदय होना । ग्रस्त (न० )चारित शब्द या वाक्य | ग्रह् ( घा० उभय० ) वैदिक साहित्य में प्रभु, [ गृह्णाति, गृहीत, ( निजन्त) ग्राहयति. जिघृ- क्षति ] १ पकड़ना । लेना ग्रहण करना २ पाना प्राप्त करना। अङ्गीकार करना वसूल करना। उगाहना। ३ गिरफ्तार करना बंदी बनाना। ४ रोकना थामना। पकड़ना । ५
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