( ३१७ वैक्ल्यं, (न०) वावलापन सिद्धीपन । - हारिन्, ( वि० ) मनोहर आकर्षक मनोमुग्धकारी । प्रिय | चित्तं ( न० ) १ विचार | २ मनोयोग | इच्छा | ३ उद्देश्य | ४ मन ५ हृदय | ६ युक्ति हेतु | ७ प्रतिभा | विचारशक्ति | तर्कनाशक्ति | चित्तवत् ( वि० ) १ युक्तियुक्त सहेतुक तर्कना- शक्ति सम्पन्न | २ दयालु हृदय मनभावन | सर्वप्रिय | चित्यं ( न० ) वह स्थान जहाँ शव भस्म किया जाय। श्मशान | चित्या ( स्त्री० ) चिता । चित्र (वि० ) १ चमकीला स्पष्ट साफ २ रंग- बिरंगा ३ रुचिकर । प्रिय | ४ भिद्ध भिन्न तरह तरह का आश्चर्यकारी अद्भुत अक्षी, ( पु० ) नेत्र, लोचना, ( श्री० ) सारिका । मैना पक्षी (अङ्ग (वि०) धारियोंदार धब्बेदार - अङ्गम, ( न० ) सेंदुर इंगुर ।-अर्पित, (वि० ) चित्रित /- ध्याकृतिः, (स्त्री० ) हाथ की बनी तसवीर /- आयसम् ( न० ) ईसपास जोहा।-आरम्भः, ( १० ) तसवीर का खाका ---उक्तिः, (स्त्री० ) १ आकाशवाणी | २ याश्चर्यमद् कहानी - ध्योदन:, (पु० ) पीला भात ।-कण्ठः, (पु०) कबूतर | परेवाकवलः, (पु० ) रंगबिरंगी हावी की मूल । २ रंग बिरंगा गलीचा । -करः, ( पु० ) चित्रकार | नाटक का पात्र-कर्मन् ( न० ) १ अखधारण कार्य २ शृङ्गार सजा- वट । ३ तसवीर । ४ जादू । १ चितेरा २ जादूगर 1-कामः, ( पु० ) चीता । बाघ । --कार: ( पु० ) चितेरा सङ्कर वर्ण विशेष | "स्पतेरपि गान्धिवर्षा विकारोजायत।" चित्र 1 खींचा जाय - जो जीवधारियों के पाप पुण्यों का लेखा रखते हैं। काययों के कुलदेवता (अल्पः, ( पु० ) नाना विषयों पर अस्तव्यस्त विचार /- त्वच् ( पु० ) भोजपत्र ।-दण्डकः (पु० ) कपास का पौधा -न्यस्त, (वि०) चित्रित /- पक्षः, ( पु० ) तीतर विशेष:-पटः, (पु० ) पट्टः, (पु० ) १ चित्र | २ रंगीन और खानेदार कपड़ा पद, ( वि० ) अनेक भागों में विभक्त अच्छे या सुन्दर भावों से भरा हुआ। पादा, ( स्त्री० ) मैना पक्षी।पिच्चकः, ( पु० ) मोर ~~ ( 30 ) एक प्रकार का सोर । -पृष्ठः, ( पु० ) गौरैया पत्ती-फलकं, ( न० ) या पट्टी जिस पर रखकर चित्र -बई, (पु० ) मयूर - भानुः ( पु० ) १ आग | २ सूर्य । ३ भैरव | मदार का पौधा - मण्डलः (पु० ) सर्प विशेष :- मृगः, ( 50 ) चीतल हिरन -मेखलः, ( ( पु० ) मयूर । - योधिन, ( पु० ) अर्जुन का नाम /- रथः, (पु० ) १ सूर्य । २ गन्धव के एक सरदार का नाम मुनि नाझी खी के गर्भ से उत्पन्न कश्यप ऋषि के सोलह पुत्रों में से एक का नाम |~ लेखा, ( स्त्री० ) उपा की एक सहेली का नाम ।-लेखकः, (पु० ) चितेरा। लेखनिका ( श्री० ) चितेरे की कूची --- विचित्र, (वि० ) रंग बिरंगा । -विद्या, (सी०) चित्रकला 1- शाला ( स्त्री० ) चितेरे का कार्यालय) शिखण्डिन् (पु० ) सप्तर्षियों की उपाधि । - संस्थ, (वि० ) चित्रित |~ हस्तः, ( पु० ) युद्ध के समय हाथ की विशिष्ट स्थिति। चित्रं ( न० ) १ तसबीर २ हाथ की खींची हुई तसवीर ढाँचा | खाका ३ धमकीला आभू- पण गहना ४ विजण दर्शन आश्चर्य - M 1 -पराशर -फूट, ( पु० ) तीर्थक्षेत्र विशेष जो बाँदा ( वुन्देलखगढ़ ) में है- कृत् (पु० ) चितेरा -किया, (स्त्री० ) चित्रणकला-ग, ( वि० ) -गत, ( वि० ) चित्रित गंधम्, ( न० ) | सुरवाल/-गुप्तः ( पु० ) यमराज के पेशकार | ) २ साम्प्रदायिक तिलक । ६ स्वर्ग । आकाश | ७ धन्या दारा केोद रोग विशेष चित्रः ( पु० ) 3 कई प्रकार के रंग के समूह का एक रंग | रंग बिरंगा रंग । २ अशोक वृक्ष | चित्रं (अव्यया० ) थाह । श्रोह कैसा आश्चर्य। कैसा विस्मय |
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