चूर्ण चूर्णः ( पु० ) ) चूमम् ( न० ) । चूर्ण । २ थाटा | ३ धूल | ४ घिला हुआ चंदन | खुशवृक्षर चेटः- चूर्ण ( पु० ) १ खड़िया । २ चूना |-- कार. ( पु० ) चूना फूंकने वाला-फुन्तलः ( पु० ) घुँघराले बाल-खगडम् (न० ) | चेंड रोड़ा। कंकड़ गिट्टी- पारदः, (पु० ) सिंदूर इंगूर लालरंग - योगः, (पु० ) सुगन्धित चूर्णं । | चूर्णकः ( पु० ) भुना और पिसा हुआ अनाज चूर्णकम् ( म० ) १ सुगन्धयुक्त चूर्ण । २ सरल गय- सय निबन्ध | यथा । "अठोराहरवल्पसमा पूर्ण विदुः ॥" --चुम्दोमञ्जरी | ( ३२१ ) चूर्गानं ( म० ) चूर्ण करना चूर्ण J चर्णिः ) ( स्त्री० ) १ चूर्ण | २ सौ कोड़ियों का चूर्ण योग या जोड़ चूर्णका (स्त्री० ) 1 भुना और पिसा अनाज | २ गद्य रचना की शैली विशेष | चूर्णित ( बि० ) कूटा हुआ । पीसा हुआ । टुकड़े टुकड़े किया हुआ | चूलः ( पु०) बाल चूला (स्त्री० ) १ ऊपर के खन का कमरा । २ चोटी, कलंगी ३ प्रछल तारे की चोटी चूलिका ( स्त्री० ) १ मुर्गे की कलगी । २ हाथी का कर्णमूल नाटक में वह कथन जो पर्दे की आद से कहा जाता है। यथा - [सम्पर्जवनिकासपीः सूत्रमार्थस्वकृतिका । साहित्यदर्पण | चूप् ( घा० पर० ) [ चूपति, चूषित ] चूसना पीना | चूषा (सी० ) ( हाथी के लिये ) १ चमड़े का तंग | २ घूसना | ३ तंग पेटी । १ चेष्टा चेकितानः ( उ०.) १ शिवजी २ यादव वंशी राजा जो महाभारत के युद्ध में पाण्डवों की ओर से लड़ा था। चूष्यं ( न० ) कोई भोज्य पदार्थ जो चूस कर खाने योग्य हो: आम आदि । वृत् ( धा० पर० ) [ स्त्री० ~ चूतति ] १ चोटिल ' करना। मार डालना । २ बाँध लेना | आपस में | जोड़ कर मिला देना ३ जलाना । प्रकाश ! करना । ( पु० ) १ नौकर | २ धनुरागी | आशिक | यहीता। चेटिका, चेडिका चेटि, चंडी चेतन (वि० ) १ सजीव । धारी। २ दृश्यमान चेन्नः (पु० ) १ जीव 1 ( श्री० ) दासी । टहलनी। जीवित जीवधारी प्राण- इष्टिगोचर प्राणी २ जीवात्मा रूह | मन ३ परमात्मा 1 1 चेतना (स्त्री० ) १ संज्ञा बोध २ समझ। धी । ३ जीवन सजीवता । जान 18 बुद्धि विवेक । चेतस (न ) १ विवेक २ चित्त | मन । श्रात्मा । ३ तर्कना शक्ति विचारशक्ति -अम्मन्- 1 भवः, -भूः, ( ० ) १ प्रेम अनुराग | २ काम देव |-- विकारः (१० ) मन की विकलता । चेतोमत् (वि० ) जीवित सजीव | चेद् (अव्यया० ) अगर | बशर्ते कि । यद्यपि । चेदिः (पु०, बहुवचन) एक देश का नाम उस देश के अधिकारी । -पतिः, -~भूभृतः, ( पु० ) - राज्, ( १० )-राजः ( पु० ) शिशुपाल का नाम । यह दमघोष राजा का पुत्र था और श्रीकृष्ण के हाथ से युधिष्ठिर के राजसूययज्ञ में श्रीकृष्ण का अपमान करने के लिये मारा गया था। चेय (वि ) ढेर करने योग्य जमा करने योग्य चेल (धा० परस्मै० ) [ स्त्री० - चेलति ] १ चलना । जाना। २ हिलना। काँपना। थरथराना । चेन्नम् ( न० ) कपड़ा । -प्रतालकः, (पु.) घोबी चेलिका (स्त्री० ) अँगिया। चोली । चेट् (धा० आम० ) [ चेष्टते, चेष्टित ] १ डोलना । घूमना। जीवन के चिन्ह दिखाना। सजीव होने के लक्षण प्रदर्शित करना। २ उद्योग करना | ३ पूर्ण करना। ४ आचरण करना। चेटकः ( पु० ) श्रीप्रसङ्ग का आसन या विधान विशेष। रतिबन्ध | चेष्टनम् (न० ) उद्योग । चेष्टा । प्रयत्न चेष्टा ( श्री० ) १ यज्ञ | उद्योग २ हावभाव । ३ आचरण /- नाशः, (पु० ) मलय 1-निरु- सं० १० कौ ४१
पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/३२८
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति