31 ( ३२६ ) 'अ संस्कृत था नागरी वर्णमाला का एक व्यञ्जन और खवर्ग का तीसरा वर्ग है। यह स्पर्श वर्ष है। इसका बाह्य प्रयत्न संचार और नाद घोष है। यह घल्पमायण माना जाता है। इसका उच्चारण स्थान तालु है। अ जम "ज" समास के अन्त में आता है। सब इसका अर्थ होता है उससे या इससे उत्पन्न हुआ। जैसे पहज =पज । अर्थात् कीचड़ से उत्पन्न । जः ( पु० ) १ पिता जनक २ उत्पत्ति जन्म ३ जहर । ४ पिशाच । २ विजयी | ६ कान्त्रि । आमा आव ६ विष्णु अक्षणम (न० ) ) जतिः (स्त्री०) जगत् (वि० ) घर अकुट: ( पु० ) मलय पर्वत । २ कुत्ता । अत्तू ( धा० परस्मै० ) [ अक्षिति, जक्षित, या अग्ध] रवाना नाश करना। निघटाना। खा डालना। निषय डालना। जगनुः जगन्तुः जघा-जङ्घर (पु० ) १ अग्नि २ कीट | ३ जानवर | जगरः (पु०) कवच | वक्सतर | जगल (वि०) गुगडा। बदमाश। कपटी । जगलं (न०) १ गोवर | २ कवच | ३ मदिरा । अन्तिम दो अर्थों में इस शब्द का प्रयोग में भी जग्ध (वि० ) खाया हुआ। जरिधः ( श्री० ) १ भोजन | भोज्य पदार्थ | जम्मिः ( पु० ) पवन । जघनं ( ० > १ कूल्हा | कमर । नितंब | २ सेना जो बचत में रक्खी जाय । - चपला ( स्त्री० ) असती की। । I जघन्य (वि०) १ सब से पीछे का पिछला । अन्तिम । सब से गया बीता। निकृष्ट नीच तिरस्करणीय | २ अकुलीन /-जः, ( पु० ) १ छोटा भाई २ शुद्ध | जवम्य. ( पु० ) शुभ जनिः ( पु० ) ( चाक्रमण करने का एक ) अन जन ( वि० ) मारने वाला मार डालने वाला। जंगम ) ( वि० ) घर जीवधारी चलने फिरने अङ्गम ) वाले इतर (वि० ) चचल । स्थावर जो चलफिर न सकेकुटी, (खी० ) छाता। चलने वाले। ( पु० ) हवा । पवन । ( न० ) संसार - प्रवा- अम्बिका, ( स्त्री० ) दुर्गा । --धात्मन, (पु० ) परमाष्मा | आदिजः, (पु०) शिव-श्रधारः, (पु० ) 1 काल । २ पवन ।-आयुः, - आयुस्. ( पु० ) -पवन । हवा । ईशः—पतिः (पु०) पर } ( ० ) चलने फिरने वाला पदार्थं । कर्तृ,- मोच ) ( पु० ) सूर्यनाथः, (पु०) सुटिस्वामी। --निवासः एकान्त जगह | ( पु० ) १ परमात्मा । २ विष्णु । ३ ससारिक स्थिति ~~प्रागाः, -बलः (पु० ) पवन - योनिः (पु०) १ परमात्मा। २ विष्णु। १ शिव जगालः } (S० ) खेत की सेंद। ४ मझा। (श्री०) पृथिवी ।वहा (स्त्री० ) पृथिवी । सात्तिन, (पु०) १ परमात्मा । २ सूर्य जगती (स्त्री० ) १ पृथिवी | २ मानवजाति | लोग । ३ गौ । ४ छन्द विशेष जिसके प्रत्येक पद में १२ चक्षर होते हैं।-~यधीश्वरः, - ईश्वरः, ( पु० ) राजा-रुद्द ( पु०) | जङ्गमम् ( न०) | जंगलम् भूमि अवस्था स्थान जंगुलम् ) ( म० ) जहर | विष जंघा ) ( श्री० ) जाँघ जङ्घा ) भाग यार, हल्कारा डाकिया । ( न० ) टागों के लिये कवच | एड़ी से घुटनों तक का कारिक, ( पु० - त्राणं, ) घर | दौरैया
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