( ३५६ ) (पु०) सूर्य तीक्ष्ण रस (५०) १ शोरा २ विषेला सरत्न पदार्थ जौह (न०) ईस्पात शुक, (पु०) जौ । तीक्ष्णः ( पु० ) १ शोरा | २ बालमिर्च | ३ कालीमिर्च | ४ राई । तीक्ष्णं ( न० ) १ लोहा । २ ईस्पात | ३ गर्मी सीतापन ४ युद्ध | ५ विष | ६ मृत्यु | ७ हथियार ८ समुद्री निमक | 8 शीघ्रता । तीम् ( धा० परस्मै० ) [ तीम्यति ] भींगना | नम होना । तीरं (न०) १ तट । किनारा २ हाँशिया छोर। किनारा । तोरः ( पु० ) १ बाण । २ सीसा | ३ टीन । जस्ता । तीरित (वि०) तै किया हुआ | निर्णीत | साक्षी के अनुसार फैसला किया हुआ तीरितम् (न०) किसी कार्य की समाप्ति या अवसान । तीर्ण (वि०) १ पार किया हुआ । गुज़रा हुआ | २ फैला हुआ । बढ़ा हुआ। ३ सब से आगे निकला हुआ। सर्वोत्तम । तीर्थम् (न०) १रास्ता | मार्ग | घाट उतारा | २ घाट । ३ अलस्थान | ४ पवित्रस्थान | द्वारा शरिया माध्यम । ६ उपाय | ७ पवित्र या पुण्यप्रद् व्यक्ति योग्य पुरुष । प्रतिष्ठा योग्य पदार्थ | उपयुक्त पात्र ८ गुरु आचार्य । ७ उद्गम स्थान । १० यज्ञ | ११ सचिव १२ उपदेश । निर्देश | १३ उपयुक्त स्थान ( स्त्री० ) तीर्थ में जाकर वहाँ कर्म विशेष करने की पद्धति सेविन ( वि० ) तीययात्री । ( पु० ) सारस । तीर्थे ( न० ) संन्यासियों की एक उपाधि । तीर्थिकः ( पु० ) तीर्थयात्री । ब्राह्मण साधु । तीवरः ( पु० ) १ समुद्र । २ शिकारी | ३ राज पुतिन की वर्णसङ्कर श्रौलाद। तीव्र ( वि० ) १ उम्र । प्रचण्ड | २ गर्म | उष्ण । ३ चमकीला ४ व्यापक । ५ अनन्त । असीम | ६ भयानक ।-आनन्दः, ( पु० ) शिव जी ---गति, (वि० ) तेज़ । फुर्तीला /- पौरुष. ( न० ) १ दुस्साहस पूर्ण वीरता २ चोरता /- संवेग, (वि० ) १ हृढ़ विचार सम्पन्न | २ अति प्रचण्ड | ती ( न० ) १ उष्णता | गर्मी । २ तट | ३ लोहा । तु (अन्य ) : किन्तु । प्रत्युत |२ और । अत्र | इस सम्बन्ध में। ४ भेदसूचक भी है। तुक्खारः तखारः तैयार: "} में से एक जाति के लोगों का नाम । ( पु० ) विन्ध्याचल वासी जातियों 7 तुङ्ग तुंग ) (वि०) १ ऊँचा । उन्नत | लंबा । प्रधान । २ प्रलंब | ३ मेहरावदार | ४ मुख्य ५ द - वीजः, ( पु० ) पारा | भद्रः, ( पु० ) मदमाता हाथी ।—भद्रा, ( स्खी० ) एक नदी का नाम जो कृष्णा नदी में गिरती हैं । -- - वेणा, (स्त्री० ) एक नदी का नाम । - शेखरः, ( पु० ) पर्वत । या । । तुङ्गः ) ४ बुधग्रह। ५ गेंड़ा । ६ नारियल का वृक्ष । तुंगी ) ( स्त्री०) १ रात्रि | २ हल्दी | - ईशः, ( पु० ) १ चन्द्रमा | २ सूर्य । ३ शिव ४ कृष्ण - पतिः, (पु० ) चन्द्रमा । " १५ हाथ के कई भाग जो देव और पितृ कार्य के लिये पवित्र माने जाते हैं । १६ दार्शनिक सिद्धान्त | विशेष | १७ स्त्रियों का रज | १८ ब्राह्मण | १३ | तुङ्गी अग्नि-उदकम् (न० ) पवित्र जल | - करः, ( पु० ) १ जैनचर्हत | २ संन्यासी | ३ नवीन दर्शन- कार । ४ विष्णु का नाम / काकः, ध्वांसः, वायसः, (पु०) लोलुप -भूत, (वि०) पवित्र । विशुद्ध।–यात्रा, (स्त्री० ) पुण्यप्रद स्थानों में गमन --राजः, ( पु० ) प्रयाग का नाम - राजिः, - राजी, (स्त्री० ) बनारस ! काशी - वाकः, ( पु० ) सिर के बाल 1- विधि, तुच्छ ( न० ) भूसी । - + · तुच्छ (वि० ) १ खाली | रहित । व्यर्थ | हल्का १२ छोटा | थोड़ा । न कुछ | ३ व्यक्त । स्यागी हुआ । ४ नीच | कमीना । अकिञ्चित्कर । तिरस्करणीय। निकम्मा ६ शरीव अभागा दुखिया , ( पु० ) एरण्ड वृक्ष - धान्यः, - धान्यकः, ( पु० ) फूस | पुश्राल ।
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