[[[क्द्रीय त्षदीय (वि० ) तुम्हारा सेरा स्वद् ( सबै० ) तेरा । तुम्हारा । त्वद्विध ( वि० ) तेरी तरह तुम्हारी तरह त्वर् ( धा० आत्म० ) [ त्वरते, त्वरित ] शीघ्रसा | त्विष् ( सी० ) १ रोशनी | प्रकाश आभा चमक | करना । २ सौन्दर्य | ३ अधिकार| वजन ४ अभिलाषा । कामना | ५ रीतिरस्म । ६ प्रचण्डता । ७ वाणी। - ईशः, ( त्विषांपतिः भी ) ( पु० ) सूर्य । त्विपिः ( पु० ) प्रकाश की किरन । त्सवः ( पु० ) १ रेंग कर चलने वाला कोई भी जान- वर । तलवार की मूँठ या अन्य किसी हथि यार की मँठ । ( ३६६ ) त्वरा त्वरिः ।। त्वरित ( वि० ) तेज | फुर्तीला वेगवान | त्वरितं (न०) जल्दी | तेज़ी । (अन्यया०) जल्दी से त्वष्ट्र ( पु० ) १ बदई । मैमार कारीगर । २ विश्वकर्मा । 1 ( स्त्री० ) शीघ्रता | जल्दी वेग त्वादश ) (वि० ) [ स्त्री०- त्वाद्वशी ] तेरी तरह त्वाद्वशे तुम्हारी तरह । तेरी जाति का । थ थ संस्कृत या नागरी बर्णमाला का सत्रहवाँ व्यञ्जन और | धुडनम् ( न० ) ढक्कन । लपेटन सवर्ग का दूसरा वर्ण । इसका उच्चारण स्थान दन्त है। धः ( पु० ) पहाड़ थम् ( न० ) १ रक्षा | रक्षण | २ भय | डर । ३ शुभत्व | महल । थुङ् (धा० परस्मै० ) [ थुडति ] १ ढकना । पर्दा चैं ( अव्य० ) नृत्य के समय मृदङ्ग के बोल | डालना।२ छिपाना । द संस्कृत या नागरी वर्णमाला का अठारहवाँ व्यञ्जन और तवर्ग का तीसरा वर्ण। इसका ऊंच्चारण- स्थान दन्तमूल है दन्तमूल में जिह्वा के अगले भाग के स्पर्श से इसका उच्चारण होता है। यह अल्पप्राण है और इसमें संवार, नाद और घोष प्रय होते हैं। दशः त्विष ( घा० उमय ० ) [त्वेषति-त्वेषते] चमकना प्रदीप्त होना । द (वि० ) [ यह समास के पीछे आता है ] देना। उत्पन्न करना काटना | नष्ट करना अलग थुत्कारः (पु०) थूकते समय जो शब्द किया जाता है। थुर्व ( धा० पर० ) [ धूर्यति ] चोटिल करना । धूत्कारः ( पु० ) ) भूत शब्द जो थूकने के समय धूत्कृतं ( न० )) किया जाता है। द करना। जैसे धनद, अन्नद, गरद, तोयद, अनलद आदि । वं ( न० ) भार्या | पत्नी । दः ( पु० ) १ दान | पुरस्कार | २ पहाड़ दा ( स्त्री० ) १ गर्मी । २ पश्चात्ताप । परिताप दंश ( धा० परस्मै० ) [ दशति, दष्ट ] काटना | डंकमारना डसना दंशः ( पु० ) १ डसना । काटना । डंक मारना २ सर्प का विषदन्त । वह स्थान जहाँ ढसा
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