धन्वत, धन्वन्तर जमीन समुप्रतद कही जमीन /दुर्गम् . ( न० ) चारो ओर रेगस्तान होने से अनम्य दुर्ग धन्वंतरं ) धन्वन्तरं । ( ३०१ ) ( न० ) चार हाथ या दो गज़ का नाप धन्वतारः } (5०) देववैद्य । देवताओं के चिकिश्यक । - धन्विन् (वि० ) [ बी०- धन्विनी ] कमान से सज्जित । ( पु० ) १ तीरन्दाज़ | २ अर्जुन की उपाधि । ३ शिव की उपाधि । ४ धनुष राशि | धन्न ( पु० ) शूकर धम (वि० ) [ सी०- घमा, घमी] धौंकने वाला २ पिघलाने वाला। धमः ( पु० ) चन्द्रमा कृष्ण की उपाधि । ३ यम । ४ यक्षा | धमकः ( पु० ) लुहार। धमधमा ( खी० ) धम धन का शब्द । धमन (वि० ) १ धौंकने वाला | २ निष्ठुर | घमनः ( पु० ) एक प्रकार का नरकुल । धमनिः ) ( स्त्री० ) : नरकुल घमनी शिरा ३ गला ग्रीवा । धमिः ( स्त्री० ) धौकने की क्रिया । पाइप २ नाड़ी || धम्पलः घम्मिलः धम्मिल्लः धय (बि०) पीने बाजा । चूसने वाला। [यथा समंधय] | घर (वि० ) [ स्त्री०-धरा-धरी ] पकड़ने वाला। धारण करने वाला [यथा गङ्गाधर 1] धरः ( पु० ) पहा २ रुई का ढेर ३ विट कुटना ४ फवार ५ वसुओं में से एक का १ नाम | ) ( 50 ) स्त्री के सिर के बालों का जुड़ा जिसमें मोती और फूल आदि गुथे हों। धरण ( वि० ) [ स्त्री०- धरणी ] धारण करने वाला रक्षा करने वाला वहन करने वाला। धरणं ( न० ) १ सहारा देने वाला धारण करने वाला | २ कब्ज़े में रखने चाला। खाने वाला। ३ सहारा। संभा ४ दस पक्ष के समान की एक तौल । २ ज़मानत | धराः (पु० ) १ बांध | पुल | २ संसार ३ सूर्य । ४ स्त्री के कुछ | २ चपल धान्य | ६ हिमालय । - धरणिः ) ( स्त्री० ) १ पृथियो । २ भूमि | ज़मीन भरणी ३ ब की धन्न ४ शिरा धमनी । -ईश्वरः, (ड० ) १ राजा विष्णु | ३ शिव | कीलका, १ ( पु० ) पहादजः-पुत्र- सुतः, (पु० ) १ मङ्गल ग्रह । २ नरकासुर |- जा-पुत्री, सुता, ( स्त्री० ) जनक दुलारी जानको (-धरः, ( पु० ) १ शेष| २ विष्णु | ३ पर्वत । ४ कच्छप । २ राजा । ६ दिमाज - धृत ( पु० ) १ पर्वत २ विष्णु | ३ शेष | धरा ( स्त्री० ) १ पृथियो । २ शिरा ३ गर्भाशय योनि ४ गूदा मिंगी अधिपः, (पु० ) राजा -अमरः, देवः, सुरः, ( ५० ) ब्राह्मण -श्रात्मजः पुत्रः, सुनुः, ( पु० ) - १ मङ्गल ग्रह नरकासुर-आत्मजा, (खी०) सीता जीवः ( पु० ) १ पर्यंत | २ कृष्ए या विष्णु ३ शेप जी !-पतिः, (g० ) १ राजा २ विष्णु भुजू, ( पु० ) राजा - भृत, (पु० ) पर्वत । पहाड़ धरित्री (स्त्री० ) १ पृथिवी । २ ज़मीन | भूमि | धरिमन् ( पु० ) तराजू । तखरी । धर्तरः (पु० ) धतूरे का पौधा धर्त्रे ( न० ) १ मकान घर २ धुनकिया । सदाचार । खम्भा ३ यश ४ पुराय ३ धर्मः ( पु० ) वह कर्म जिसके करने से करने वाले का इस लोंक में अभ्युदय हो और परलोक में मोक्ष की प्राप्ति हो । २ आईन । कानून प्रचलन | पद्धति । फर्तव्य. ४ न्याय समानता || २ किसी वस्तु या व्यक्ति की यह वृत्ति जो उसमें सदा रहे और उससे कभी न हो । ६ नेम | ईश्वरभक्ति छवि फवन |७ कर्तव्याकर्त्तव्य अवधारण विषयक शास्त्र ८ समानता सादृश्य ३ यश | १० सरसङ्ग | धर्मात्मा पुरुषों का सह- वास | १३ भक्ति । १२ तौर तरीका ३१३ उप- निपड़ १३ युधिष्ठिर का नाम | १४ यम का नाम 1-अङ्गः (पु० ) --अङ्गा, ( स्त्री० ) सारस /- अधर्मी (पु० द्विवचन ) शुभ और अशुभ उचित और अनुचित | धर्म और अथर्म। अधिकरण ( न० ) धान के 1 अनु सं० श० कौ० ५१
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