ध्यनंन्य बादल । का नाम वासुकी नाग का नाम । २ ३ एक प्रकार का मसूण खनिज पदार्थ अभ्रक । ४ अनन्ता--जो एक रेशम का ढोरा होता है और जिसमें १४ गांठे लगा कर अनन्त चतुर्दशी के दिन दहिनी बौह पर बाँधा जाता है। अनन्तम् (न०) आकाश । व्योम | २ अनन्तकाल | ३ निस्तार । उद्धार अव्याहति । पापमोचन | पापचमापन | ४ परब्रहा | अद्यः (पु० ) सफेद सरसों अनंतर ) ( वि० ) १ जिसके भीतर स्थान न हो। अनन्तर । निस्सीम | २ | धन | ३ जो बहुत दूर अनद्यतन (वि० ) व्याकरण में क्रिया का काल- विशेष-बाधक शब्द | अन्यतनः (पु०) आज का दिन नहीं। न हो। अति निकट का मिला हुआ। सटा हुआ (जड़ा हुआ ) --जः (पु०) या-जा ( स्त्री० ) क्षत्रिय या वैश्य माता के गर्भ तथा ब्राह्मण वा क्षत्रिय पिता के वीर्य से उत्पन्न २ छोटा या बदा भाई या बहन । अनधिक ( वि० ) १ अधिक या अत्यधिक नहीं । २ असीम पूर्ण। मनधीनः ( पु० ) बढ़ई जो रोज़नदारी पर काम न अनंतरम्, अनन्तरम् (न० ) १ निरन्तरता । २ ब्रह्म । नंतरम्, अनन्तरम् (थव्यया० ) पीछे । पश्चात् । बाद को। कर स्वतंत्र अपने लिये ही काम करें। अनध्यक्ष (वि०) १ जो देख न पड़े। अगोचर अनदुद्दी अनही अनाही } : स्त्री० ) गौ । गाय । अनति (अव्यया० ) बहुत अधिक नहीं। अनतिरेकः ( पु० ) अमेव । ( ३४ ) अनतिविलम्बिता (स्त्री० ) विलम्ब का अभाव | २ बक्ता का एक गुण । ३५ वागगुण हैं, उनमें से एक। अनंतरीय २ अध्यक्ष या नियन्ता वर्जित । ( वि० ) क्रम से एक के बाद दूसरा । अनन्तरीय अनध्यायः ( पु० ) अध्ययन के लिये अनुपयुक्त समय | अनंतता ) ( स्त्री० ) १ पृथिवी । २ एक की संख्या । या दिन। पढ़ने के लिये निषिद्ध काल या दिन। छुट्टी का दिन । अनन्तता ३ पार्वती का नाम ४ परब्रह्म २ कई अननम् ( म० ) स्वांस लेना। प्राण धारण करना। अननुभावुक (वि०) धारण करने के अयोग्य न समझने लायक । अनंत ) ( वि० ) अन्तरहित । निस्सीम सीमा अनन्त | रहित | कभी समाप्त न होने वाला - तृतीया (स्त्री० ) भाद्रपद शुक्ला तृतीया। मार्ग- शीर्ष शुद्धा तृतीया थौर वैशाख शुद्धा तृतीया - दृष्टि: ( पु० ) इन्द्र या शिव का नाम । -देवः (पु० ) १ शेषनाग २ शेषशायी नारायव्य का नाम -पार ( वि० ) । अन्तरहित चौड़ाई या औढ़ाई। निस्सीम 1 रूप १ ( वि० ) संख्यातीत आकार प्रकार का । २ विष्णु भगवान की उपाधि - - विजयः ( पु० ) युधिष्ठिर के शहू का नाम । अनन्तः (पु० ) विष्णु का नाम शेष जी का नाम श्रीकृष्ण और उनके भाई का नाम शिव पौधों के नाम जैसे, दूर्वा, अनन्तमूल आदि । अनन्य (वि०) १ अन्य से सम्बन्ध न रखने वाला। एक- निष्ट एक ही में लीन २ एकरूप अमिव । ३ एकमात्र | अद्वितीय | ३ अविभक्त । -गतिः ( स्त्री० ) गत्यन्तर रहित । - चित, -चिन्त- चेतस, -मानसू, —मानस, - हृदय ( वि० ) एक ही ओर मन या ध्यान लगाने वाला जः, -जन्मन् (पु०) कामदेव । अनङ्ग/पूर्वः (पु० ) जिसकी दूसरी स्त्री न हो। पूर्वा ( स्वी० ) कारी अविवाहिता । जिसका पति न हो। -भाज् ( वि ) स्त्री जो अन्य किसी पुरुष में अनुराग न रखती हो । - विषय (g०) वह विपय जिसका किसी से सम्बन्ध न हो या जिस पर किसी अन्य की सत्ता न हो । -वृत्ति (वि०) १ एक ही स्वभाव का । २ जिसके आजीविका का अन्य कोई द्वार न हो। ३ एकाग्रचित्त सामान्य साधारण ( वि० ) असाधारण एक ही में जो अनुरागवान् हो । J 1-
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