} धोध -पतिः [=धियांपतिः ] बृहस्पति । -मत्रिन, ( पु० ) -सचिवः, ( पु० ) कर्मसचिव का उल्टा । अर्थात् वह मंत्री जो केवल परामर्श दे | २ बुद्धिमान परामर्शदाता /- शक्तिः, (खी०) बुद्धि सम्बन्धी विशिष्टता।- सखः, ( पु० ) परामर्श- दाता | सचिव मंत्री | धीमत् ( वि० ) इद्धिमान ! प्रतिभाशाली । पण्डित | ( पु० ) बृहस्पति की उपाधि । धीत (वि० ) पिया हुजा चुसा हुआ। धीतिः ( स्त्री० ) १ पीना । साहसी बाज़ | घिन्ष् देखा घि धि ( न० ) धावासस्थान रहने की जगह | चिः (पु० ) बृहस्पति का नाम । विपणा ( श्री० १ बायी | चकृता १२ प्रशंसा | गीत | ३ बुद्धि प्रतिभा समझ ५ प्याला । कटोरा | कमण्डलु । शिष्ठ्यं ( न० ) १ बैठक स्थान मकान | २ धूम- केतु टूटता हुआ तारा। लूक | उल्का : ३ अग्नि । ४ नक्षत्र | सितारा । चूसना २ प्यास । ग्रहण करना | धरना । धीर ( वि० ) १ वीर हिम्मतवर | २ दृढ़ टिकाऊ सातित्य ३ हृह मन का दृढ़ प्रतिज्ञ । पक्के बिचार का ४ शान्त । ५ गम्भीर | संजीदा ६ मजबूत उत्साहवान ७ बुद्धिमान | समझदार। विवेकी । पण्डित । चतुर । ८ गहरा गम्भीर उच्च (श्वर ) ६ कोमल । मुलायम । अनुकूल प्रिय । १० सुस्त । काहिल ११ दुस्साहसी । १२ उजढ ज़िद्दी । - उदात्तः, ( पु० ) किसी काव्य या कविता का प्रधानपात्र जो वीर और उदात्त विचारों का हो । - उद्धतः, ( पु० ) किसी काव्य या कविता का प्रधान पात्र जो वीर सो हो किन्तु साथ ही तुनक मिज़ाज भी हो । चेतस, (वि० ) हृढ़ | हृदमनस्क | साहसी । हिम्मतवर 1- प्रशान्तः, ( पु० ) किसी काव्य या कविता का प्रधानपात्र जो वीर होने के साथ ही साथ शान्त प्रकृति का भी हो ।-ललितः, ( पु० ) किसी काव्य या कविता का प्रधानपात्र जो हद और वीर तो हो, किन्तु साथ ही आसोदप्रिय और लापरवाह भी हो स्कन्धः ( पु० ) भैंसा धीरं ( न० ) केसर । कुङ्कुम । विष्णयः (पु० ) १ वह स्थान जहाँ वशीय अग्नि स्थापन किया जाय । २ दैत्यगुरु शुक्राचार्य | ३ शुक्रग्रह पराक्रम बस । धीः (स्त्री० ) १ बुद्धि समझ मन । २ ख्याज | धीरं ( अव्यया० ) साहसपूर्वक | हृढ़ता से । विचार | कल्पना | ३ इरादा मंसूबा | ४ भक्ति | | धीरः (पु०) १ समुद्र । २ यालि का नामान्तर । धीरता (स्त्री० ) १ सहनशीलता । सहिष्णुता । मन प्रार्थना । ५ यज्ञ । इन्द्रियं, (न०) ज्ञानेन्द्रिय -गुणाः, ( बहु० ) बुद्धि सम्बन्धी गुण । [ वे गुण ये हैं--- की हड़ता। २ स्पर्धा आदि मानसिक वेगों का शमन | ३ गाम्भीर्य | संजीदगी । धार्मिणम् धार्मिणन ( न० ) धार्मिक लोगों का समूह | धार्थ ( न० ) अभिमान । ढिठाई । श्राव् ( धा० परस्मै० ) [ धावत धावित ] s भागना | आगे बढ़ना २ भाग जाना । धावकः (go ) धोबी | २ संस्कृत भाषा के एक कवि का नाम । धावनं ( न० ) १ पलायन । सरपट दौड़ | २ बहाव | ३ श्राक्रमण | ४ सफाई | २ किसी वस्तु से रगड़ना । धावत्यं ( न० ११ सफेदी । २ पोलापन | चि (धा० पर० ) [ धियति ] पकड़ना | घि ( पु० ) धारण करने वाला भाण्डार धिक (अव्यया० ) धिकार फटकार ! - कारः, - क्रिया, (स्त्री० ) भर्त्सना । तिरस्कार :- दण्डः, ( पु० ) फटकार । भर्त्सना । पारुष्यं, ( न० ) कुवाच्य | गाली । धिप्सु (वि० ) धोखा देने का अभिलाषी | धोखे- शुश्रूषा चव चैत्र ग्रहणं धारणं तथा कदापोह र्थविज्ञानं तत्यमांव घोगुणाः ॥ - कामन्दक । धीरा ( किसी काव्य का या कवि की कृति की मुख्य- पात्री, जो अपने पति या प्रेमी के प्रति अपने मन में
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