निखिल खब। निखिल ( वि० ) सम्पूर्ण समुचा समाम निगड ( २० ) ( १ लोहे की जंजीर जो हाथी के निगडः ( पु० ) ) पैर में बाँधी जाती है। २ बेड़ी। जंजीर | निगडित ( वि० ) वेदी पड़ा हुआ जंज़ीर से बंधा हुआ। निगाः ( पु० ) यज्ञीय धूम | निगदः ४ पराजय हार | ( पु० ) १ स्तुति-पाठ । स्रोत्रपाठ । २ निगादः व्याख्यान | संवाद | ३ अर्थ सीखना | ४ | निग्राहः ( पु० ) १ सज़ा | वर्णन | निगदितम् ( न० ) संवाद | कथोपकथन व्याख्यान | निगमः ( पु० ) वेद । वेदसंहिता | २ वेद का कोई अंशया अवतरण ३ वेदभाप्य थातवचन ४ धानु ५ निश्चय | विश्वास ६ न्याय ७ व्यापार व्यवसाय ८ हाट मंडी बाज़ार । J बैंक भेला ६ बनजारा फेरी वाला सौदागर ! १० मार्ग बाज़ार का रास्ता 1 99 नगर | निगमनम् ( न० ) १ वेद का श्रवतरण | २ न्याय में अनुमान के पाँच अवयवों में से एक परिणाम | नतीजा | ( ४२५ ) निगरः ) ( पु० ) निगलने की या भक्षण करने की निगारः } किया । निगरणम् (न०) निगलना। लीलना। खा डालना। निगराः ( दु० ) १ गला | २ यशीष अनि या यशीय जते हुए पदार्थ का बुधा। निगलः निगालः रगढ़ | मंथन | 1 J निघसः ( पु० ) १ खाने की क्रिया भोजन करने की क्रिया | २ भोजन खाने की सामग्री । निघातः ( पु० ) १ प्रहार घात | २ उच्चारण के का अभाव | निघातिः ( स्त्री० ) १ खोहे की गदा | लौहदण्ड | २ निहाई । } ) ( पु० ) १ निगलना क्षीजना | खा डालना | २ घोड़े का गला या गईन । -पत्. (पु० ) घोड़ा | निघुष्टं ( ज० ) शब्द | शोरगुल कोलाहल निन (वि० ) १ अधीन आदत्त वशीभूत आशा- कारी। २ नम्र । वरव | शिक्षणीय १३ गुणित गुणा किया हुआ | निग ( ० ० ) १ निगला हुआ। जीला हुआ । निलः (पु० ) १ सूर्य वंशीय राजा अनरण्य का पुत्र | २ एक राजा जो अनमित्र का पुत्र था । (आलं० ) २ छिपा हुआ । सम्पूर्णतया सोखा | नित्रयः ( पु० ) १ ढेर | समूह | समुदाय । २ सञ्चय । १ निश्चय | निचिकिः ( देखो नैचिकी ) । हुआ था खाया हुआ। निगूढ (वि० ) छिपा हुआ । २ अत्यन्त गुप्त | निगूढम् ( अव्यया० ) गोप्य रहस्यमय | निगूहनम् ( न० ) छिपाना दुराना निग्रंथनं निधनम् } { न० ) हत्या । वध | निचुलक । 1 नाश । विनाश | ७ चिकित्सा । रोग की रोकथाम ८ दण्ड सज्ञा १ भर्त्सना डाँट फटकार | १० अरुचि । घृणा । ११ ( न्याय में ) तर्क सम्बन्धी दोष विशेष | १२ दस्ता वॅट १३ सीमा हद निग्रहण (वि० ) रोकने वाला दबाने वाला। निग्रहणम् ( न० ) १ रोकने का कार्य | दवाने का कार्य । २ गिरफ़्तारी पकड़ | ३ दगड | सज्ञा । 1 था। आक्रोश निघ (वि० ) जितना लंबा उतना ही चौड़ा। निघः ( ५० ) १ गेंद | २ पाप । निघंटुः ) ( पु० ) १ वैदिक काश यास्क ने निघण्टु पकड़ना। गिरफ्तार करना ४ पकड़ कर बंद कर देना क़ैद कर लेना | ५ पराभव | पराजय | ६ | से प्रसिद्ध है। २ शब्दसंग्रह मात्र, जैसे वैद्यक का निघण्टु | निघः (go ) निघणं ( ज० ) निचायः ( पु० ) ढेर | निचित ( ० ० ) १ ढका हुआ फैला हुआ । २ 1 पूरित भरा हुआ | ३ उठा हुआ। निग्रहः (पु० ) ३ रोक | अवरोध २ दमन | ३ | निचुलः (पु० ) १ येत । २ कालिदास के एक कविमित्र | ३ ऊपर से शरीर ढाँकने का कपड़ा। निलकं ( म० ) अरस्त्राण) वर्म विशेष | सं० श० कौ० ५४
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