निचाल नियोल ( पु० ) १ ( घोडनी घूंघट सुरका १२ पनगपांश डाली का पर र 1 मित्रोलक ( पु ) १ जार्केट | अंगिया | २ उरस्त्राय | निच्छवि: (स्त्री० ) तीर युकि देश | तिरहुत निच्छिवि (पु० ) एक प्रकार के वात्य सक्रिय सद 1 स्त्री से उत्पन्न व्रात्य क्षत्रिय की सन्तान | निज् (धा० उभय० ) [ नैकि, नैनिक, प्रोनोक्ति, ) निक, ] धोना साफ करना। पवित्र करना। २ अपने शरीर को धोना या पवित्र करना | २ पोषण करता | ४२६ ) निज (वि० ) १ जन्म से। स्वाभाविक प्राकृतिक २ अपना ३ विलक्षण ४ सदैव प्रमा रहने वाला । निज्ज्ञ } ( धा० आत्म० ) [ निक्के ] धोना । निदर्ज ) ( न० ) मस्या माथा प्रतः (पु०) निटिले ) शिव जी का नाम । निडीनम् ( न० ) पत्तियों का नीचे की ओर उड़ना या झपट्टा। नितंब: ) (पु०) चूतड़। कमर का पिछला उभरा हुआ नितम्बः ) भाग। (विशेषत: स्त्रियों का ) | २ ठालुवाँ किनारा ( पर्वत का ) ३ नदी का ढाँ तट || ४ कंधा | ५ खड़ी चट्टान–विस्व, (वि० ) | j गोल कमर का पिछला भाग । नितम्वत् } ( वि० ) सुन्दर कमर बाला। नितंववती ) नितम्वती । ( वि० ) सुन्दर कमर वाली । नितंचिन् नित } (वि० ) अच्छे नितम्बों वाली। नितंचिनी ) ( स्त्री० ) : बड़े और सुन्दर नितम्बों नितम्बिनी ) वाली स्त्री | २ स्त्री | नितरां ( धन्यवा० ) १ सदैव | हमेशा | २ समूचा सम्पूर्ण : तमाम | ३ अत्यधिक । अत्यन्त बहुत अधिक | ४ निश्चय रूप से। अवश्य । नितलं ( न० ) सात पातालों में से एक। नितांत नितान्त ) अतिशय । नितांत नेतान्तम् ) से | निदिग्ध नित्य ( वि० ) जो सब दिन रहे जिसका कभी नाश न हो शाश्वत अविनाशी त्रिकालम्यापी कर्मन, – ( म० ) कृत्यं - ( न० ) -- किया, (स्त्री०) प्रतिदिन का काम नित्य की क्रिया जैसे सन्ध्या, तर्पण अग्निहोत्रादि । - गतिः, (पु०) वायु । पवन |-- दानं, (न०) नित्यदान देने की क्रिया । - नियमः, (५०) प्रतिदिन का बंधा हुआ काम । -नैमित्तकम्, ( न० ) पर्वश्राद्ध प्रायश्चित्तादि कर्म |~-प्रलयः ( पु० ) नींद | निद्रा ( युक्तः ( पु० ) परमात्मा । श्रीरामानुज सिद्धान्तानुसार. विश्वक्सेनादि सूरिंगण जिनके विषय में वेदों में लिखा है- - ( वि० ) असाधारण । अत्यधिक तद्विष्णोः परमं पदं यदा पश्चन्ति सूरयः । -यौवना, ( स्त्री० ) सदैव युवती बनी रहने चाली अथवा जिसका यौवन वरावर या बहुत काल तक स्थिर रहै। -शक्ति (वि०) सदैव शक्ति रहने वाला /- सामासः, ( पु० ) समास विशेष | 1 नित्यता ( स्त्री० ) ३ १ अनश्वरता । नित्य होने का नित्यत्वं ( न० ) भाव | २ आवश्यकता | नित्यदा ( अव्यया० ) सर्वदा | हमेशा | नित्यशस् (अन्यय० ) सदैव । हमेशा सर्वदा । निददुः ( पु० ) मनुष्य | मानव | निदर्शक (वि० ) १ देखने वादा २ जानने वाला। पहचानने वाला | ३ चतलाने वाला । निर्देश करने वाला। निदर्शनम् ( न० ) १ दिखाने का कार्य | प्रदर्शित करने का कार्य प्रकट करने का कार्य २ सवृत । साक्षी उदाहरण | नज़ीर ४ शकुन शुभ 1 सूचना | आप्तवचन | आदेश | निदाघः ( पु० ) १ गर्मी ऊष्मा | २ ग्रीष्मऋतु । २ पसीना -करः, (पु०) सूर्य 1 --कालः, (पु०) ग्रीष्मऋतु । निदानं ( न० ) 1 बँधना । रस्सी । बागडोर । २ बहुदा बाँधने की रस्सी आदिकारण कारण। ३ ४ रोगलक्षण रोगनिर्णय रोग की पहचान। । ५ अन्त । छोर । ६ पवित्रता | शुद्धि । ) (०) बहुत अधिक । अत्यन्त अधिकता | दिग्ध ( व० कृ० ) १ छपा हुआ। लेप किया हुआ। २ जमा किया हुआ । बढ़ाया हुआ ।
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