पत्र ( न० ) [ पत् न् ] वृक्ष का पत्ता | पुष्प की पखुरी कमल की पाँखुरी ३ का ४ पत्र दस्ताव । १ सुवर्ण या अन्य किसी धातु का पत्र | जिसपर कुछ खोदा जाय । ६ ढैना । पर तीर के पर ७ सवारी ( जैसे गाड़ी, घोड़ा, ऊँट) ८ मुख में चन्दन या अन्य कोई सुगन्ध पदार्थ का मलना। ३ तलवार या छुरी की धार । १० छुरी कटार । ( न० ) भोजपत्र का पेड़ | २ लालचन्दन ३ कमलगट्टा ४ पतंग । बक्कम 1-~~-अङ्गुलिः, ( पु० ) माथे पर त्रिपुण्डू लगाना। -अञ्जनम् ( न० ) १ स्याही । २ कालिख पोतना। आय (न० ) पीपला- मूल २ पर्वततृण । ३ तृणाख्य | ४ पतंग। चक्रम | ५ नरसल । ६ तालीस पत्र /- प्रावलिः ( स्त्री० ) १ सिन्दूर । २ पत्र रचना पत्तियों की परनार ३ शरीर पर चन्दनादि से विशेष रूप से कोरें कर शरीर का शृङ्गार करना ।-आवली, (स्त्री० पत्रों की पंक्ति या श्रेणी पीपल के कोमल पत्रों का जव और शहद के साथ संमि श्रय - आहारः (g०) पत्तों को खाकर निर्वाह | करना - • काला, के परों की ऊम् (न०) रेश्मी वस्त्र )~~उल्लासः ( पु० ) कली या चेंचुआ । ( स्त्री० ) वह शोर जो पक्षी फड़फड़ाहट अथवा पत्तों से हो / – कृच्छ्रम्, ( न० ) एक व्रत जिसमें केवल पत्तों का काढ़ा पीकर रहना पड़ता है। - घना, (स्त्री० ) पौधा जिसमें सघन पत्ते हों /- अङ्कारः ( पु० ) नदी की धार । -दारकः. (पु०) धारा । - नाडिका, पत्रिणी ( बी० ) अँखुआँ । अङ्कुर | ( स्त्री० ) पत्ते की नसें 1-परशुः, ( पु० ) छैनी /पालः, ( पु० ) बड़ी कटार। लंबी घुरी |~-पाली, ( श्री० ) १ बाण का वह भाग | जिसमें पर लगे हों । २ क्क्रैची।-पाश्या, (स्त्री०) पत्ती (स्त्री० ) लेख | पत्नी ( स्त्री० ) भार्या । जोडू | पत्सलः ( पु० ) मार्ग | रास्ता । माथे का आभूषण विशेष-पुटं, (न० ) दौना | पथ ( धा० परस्मै० ) [ पथति] १ गमन करना । या पत्ते का बना कोई पात्र - पुष्पा ( श्री० ) गतिशील होना| २ फेंकना | टपकाना। पंथ कस्तूरी कसर आदि के लेप अथवा सुनहले सम्हल पत्तरो ( कोरिया) से भाल, कपाल आदि पर बनाती हैं। सारी २ पत्रभङ्ग बनाने की क्रिया । -~-यौवनं, ( न० ) कोपल रञ्जनम् (व० ) पृष्ठ की सजावट। पने का शृङ्गार ~~ रथः, (पु०) पक्षी रथइन्द्रः, (पु० ) गरुड /- रथइन्द्र- केतुः (पु० ) विष्णु-लता, (खो० ) लंबी धुरी बिया या कटार। -रेखा, लेखा, वलरी, वल्ली, (स्त्री० ) देखो पत्रभङ्ग - वाज, (वि० ) (बाण ) जो परों से सम्पन्न हो - अहः (पु० ) १ पक्षी २ तीर । ३ हल्कारा | डाँकियाँ । चिठ्ठीरसा - विशेषकः ( पु० ) देखेर पत्रभङ्ग - वेटः ( पु० ) एक प्रकार का कर्णभूषण-शाकः, ( पु० ) पत्तों की भाजी | -शिरा ( स्त्री० ) पते की नसें 1-श्रेड, ( पु० ) विश्ववृक्ष | वेलका पेड़ सूचि, ( स्त्री० ) काँटा । -हिसं. ( न० ) हेमन्त ऋतु । पत्रकम् ( न० ) १ पत्ता २ शरीर का सौन्दर्य बढ़ाने को शरीर पर बनायी गयी रेखाएँ विशेष | पत्रणा ( स्त्री० ) : देखो पत्रभङ्ग २ तीर को परों से सम्पन्न करने की क्रिया। पत्रिका (स्त्री० ) 1पना कागज़ का पृष्ठ | २ चिठ्ठी या दस्तावेज | - - भङ्ग, भङ्गि, भंगी, (स्त्री) वे चित्र या mume - रेखा जो सौन्दर्यवृद्धि के उद्देश्य से स्त्रियाँ | - " पत्रिन् (वि० ) [ स्त्री० - पत्रिो ] परोंदार। जिसमें पत्र या पने हों। (०) १ तीर | २ पक्षी | ३ बाज पक्षी ४ पर्वत १५ रथ | ६ वृक्ष - वाहः, ( पु० ) पक्षी । छोटे पत्ते की तुलसी-वन्धः (पु० ) पुष्पों | पथः ( पु० ) मार्ग सड़क | रास्ता " की सजावट। ~ बालः, -वालः, (पु० ) डाँड़ | अतिथिः ( पु० ) यात्री। राहगीर-कल्पना, (सी० ) इन्द्रजाल जादू का खेल 1- रास्ता बतलाने वाला दर्शक:, ( पु० ) रहनुमा । सं० श० कौ०-५६
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