पलकपम्, पलड्डूपम् - ( पु० ) वह नाहह्मण जो अमावास्या आदिपर्व दिवसा मे किया जाने वाला धर्मानुष्ठानविशेष, व्यक्तिगत लाभ के लोस में फँस, किसी भी दिन कर डाले। -गामिन (पु० ) पर्व के दिन श्रीप्रसङ्ग करने वाला ( पर्व के दिन स्वीमसङ्ग करना वर्जित है । ) - घिः, ( पु० ) चन्द्रमा -योनिः ( पु० ) नरकुल. सरपत या बेत ।-शहू, (१०) अनार का पेड़ | सन्धिः (वि० ) १ पूर्णिमा अथवा अमावास्या और प्रतिपदा के बीच का समय वह समय जब कि पूर्णिमा या अमावास्या का अन्त हो चुका हो और प्रतिपदा आरम्भ होती हो। २ चन्द्र या सूर्यग्रहणकाल । पर्श: ( पु० ) १ कुल्हाड़ी तयल २ हथियार- पाणिः (पु० ) १ गणेश जी २ परशुराम पर्शका ( स्त्री० ) पसनी । - पर्वतः (50) १ पहाड़ | २ चट्टान | ३ कृत्रिम पर्वस ४ सात की संख्या १ वृक्ष (पु० ) | इन्द्र का नामान्तर । -थात्मजः, (पु० ) मैनाक | पर्वत का नामान्तर ।-भात्मजा, ( स्त्री० ) पार्वती देवी-थाघारा, (स्त्री० ) पृथिवी- श्राशयः, (पु० ) बाबुल प्राश्रयः, (पु० ) शरभ नामक जन्तु विशेष काकः, (पु० ) जंगली कौघ्रा /-जा; (स्त्री० ) नदी | - पतिः, हिमालय-मोचा, (खी० ) केला विशेष राज्. (पु०)-राजः, (१०) १ विशाल पर्वत । २ पर्वों का स्वामी अर्थात् हिमालय पर्वत स्थ ( वि० ) पर्वधः (पु०) देखो परश्वध पर्षद् ( स्त्री० ) देखो परिषद् | पलः ( पु० ) पुआल । भूसी । पजम् (२०) माँस शोरत : २ एक सोल जो ४ कर्म के बराबर होती है।३ तरल पदार्थों का भाँप विशेष ४ समय का माँप विशेष प्रशि ( पु० ) पित्त । -ङ्ग ( पु० ) कड़वा |- प्रदः, --प्रशन:, ( पु० ) राइस 1-तार, ( पु० ) खून गडः ( पु० ) लेपक | मिट्टी का पलस्तर करने वाला राज | थवई । - प्रियः, ( पु० ) १ राक्षस २ बनकाक । --भा, ( स्त्री० ) धूप घड़ी के शत्रु ( कील ) की तत्का लीन छाया जब मेसंक्रान्ति के मध्यान्हकाल में सूर्य ठीक विपुक्त् रेखा पर होता है। - पर्वतवासी या पहादी। पर्यन् ( म० ) १ अन्थि । जोद । गुपद । विशरीग, एलंकड } ( वि० ) भीरु | डरपोक । ब्रुमृदिल । ३ भाग ४ पुस्तक का भाग। जैसे महाभारत में 5 भाग । अवधि) पलकुदः ( S० ) पिस । निर्दिष्ट काल। विशेष कर प्रतिपक्ष की मी और चतुर्वशी तथा पूर्णिमा एवं श्रमावस्था । ॐ यश | पलकषः } ( 50 ) ३ रावस । प्रेत । पिशाच । विशेष | ८ पूर्णिमा अमावास्या और संक्रान्ति | १ चन्द्र या सूर्य ग्रहण । १० उत्सव | पुण्यकाल ।। 39 अवसर / कालः, (पु०) चतुर्दशी, अष्टमी, पूर्णिमा, अमावास्या और संक्रान्ति । ~ कारिन् | पलंकपतू ) ( न० ) १ माँस | २ कीचड़ । २ तिल- पलङ्कपम् ) कुट या तिल और चीनी की बनी मिठाई । ज्वरः (पु० ) पित्तज्वर पित्त प्रियः, ( पु० ) १ वनकाक ( २ राक्षस | ( ४८८ ) युपस्थानम् पयुपस्थानम् (न० ) सेवा टहव उपस्थिति । पयुपासनम् ( न० ) १ पूजा श्रवन मान ( सम्मान सवा २ मना । सो जन्म । चारों और आसीन । पर्युतिः ( श्री० ) बोने की किया । पर्युपणम् ( न० ) पूजन | अर्थन सेवा पर्युषित (च० ) १ वासी । एक दिन पहले का । जो ताज्ञा न हो । २ फीका । ३ मूर्ख ४ व्यर्थ । पर्युषणम् ( म० ) } १ तर्क द्वारा अनुसन्धान | २ ! (स्त्री० ) ) खोज । काकात | ३ सम्मा- नप्रदर्शन | पूजन | पर्योटि: (स्त्री० ) खोज तलाश अनुसन्धान | पर्वकं (ज०) घुटना | पर्वणी (स्त्री० ) पूर्णिमा पूर्णमासी । २ उत्सव | ३ आँख की सन्धि में होने वाला एक रोग विशेष |
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