पृषति, पृषन्ति ( पु० ) जलबिन्दु। वृषाकरा ( स्त्री० ) छोटा पत्थर पुरातकम् ( न० ) घी और दही का संमिश्रण। पृषोदरः (पु० ) पवन हवा पृपतिः पृषन्तिः ( ५२३ ) ः (०] ) ऐदी | प ( धा० पर० ) [ पिपर्ति, पुणाति पूर्ण ] : भरना । भर देना पूरा कर देना २ परिपूर्ण करना । (बचन ) पालन करना। (आशा) पूरी करना। फूंक से फूल जाना या फूकना ४ तृत करना। अधाना ५ पालन पोपण करना। पेनकः ( पु० ) १ उल्लू। हाथी की पूँछ की जड़ ४ बादल ५ जूँ। चील्हर । ३ सेज | राय्या पेचक ( पु० ) पेचिलः (पु० ) पॅजूष:- पेशल पेपल पेसल [ हुआ। पीछे का हाथी । पृष्ठ (च० कृ०) १ जिज्ञासित | पूछा हुआ | २ छिड़का पृष्टाहायनः (पु.) १ अन विशेष | २ हाथी । दृष्टिः ( श्री० ) जिज्ञासा प्रश्न | सवाल | पृष्ठ ( न० ) पीठ हिस्सा | २ जानवर की पोठ ३ सतह | नल। ऊपरी भाग ४ पीठ या दूसरी घोर (किसी पत्र या दस्तावेज्ञ का) २ समतल हुन् । ६ पुस्तक का पता-अस्थि (२० ) मेष (गोपः -रक्षः, ( पु० ) वह सिपाही की पीठ की रक्षा पर नियुक्त पेजूषः (पु०) कान का मैल या टेठ । पेटं ( म० ) ) 1 पेटी संदूक लेकरा | थैला । पेड: ( go ) J २ समूह | ( पु० ) फैली हुई डेंग- लियों सहित खुला हाथ ! 7 जो किसी योद्धा होटः पेटकं (न० ) (०) } } । १ डोकरी । पिटारा । थैला यौरा | २ समूह | समुदाय | टोकरा | ( वि॰ ) कुवा 1-~-चक्षुस्, ( पु० ) दिग्दर्शिनी पेटाकः ( ५० ) बैंग | थैला | पेटी | पत्रिका | साथ। - तल्पनं. (न० ) हाथी की पीठ 1 की रग विशेष ।-~-दृष्टिः, ( स्वी’ ) १ कैकड़ा | | पेटका } (सी० ) छोटा थैला । टोकरी ! पेडा (खी० ) यड़ा थैला | पेय ( वि० ) 1 पीने योग्य | २ सोधा | स्वादिष्ट | रूचिकर | पेयं ( न० ) शर्वत । पेया ( स्त्री० ) माँद । लाजाफाँट । येयुः (०) समुद्र २ श्रमि | ३ सूर्य ( न० ) } अमृत । सुधा ( go ) ) जिसको व्याये ७ दिन से अधिक न हुए हो २ ताज़ा घी। - 1 ३ भालू। रोड़।-फलं, (न०) किसी पिंड के | ऊपरी भाग का क्षेत्रफल /-भागः, (पु० ) | पीठ /-मांस, (न० ) १ पीठ का माँस | २ पीठ i की गुमड़ी। - मांसाद, -मांसादन, ( वि० ) | चुगलखोर-मांसादम् - मांसादनम्, ( न०) चुगली 1- यानं, (न० ) सवारी ( घोड़े के पीठ की ) - वास्तु (०) मकान का ऊपर का तल्ला /-वाह, (४०) -वा: (पु० ) बैल : पेष: जिसकी पीठ पर बोका लादा जाता हो ..शय, ( वि० ) पीठ पर सोने चाला। --शृङ्ग, (पु० ) जंगली बकरा शृङ्गन, ( पु० ) 1 मेष | मेदा। २ भैसा ३ हिजड़ा | ४ भीम का २उस का दूध | पेरा (को०) वाययंत्र विशेष । बाजा । पेल (धा० पर० ) [ पेलति, पेलयति- पेलयते ] १ जाना कोपना -- नामान्तर । पृष्ठकं (न० ) पीठ | पृष्ठतस् (अन्य ) १ पीछे पीठ पीछे पीछे से | २ पीठ की ओर। पीछे की ओर ३ पीठ पर। ४ पीठ के पीछे सुपचाप । गुपचुप | पेशल पृष्ठ (पु.) पर समधी की पीट पर } ( वि० पीठ सम्बन्धी । पेपल जाता हो। पेलं (न० ) } अण्डकोप । पेलकः ( पु० ) पेलव ( वि० ) १ सुकुमार सुकुमोल । मिहीन । २ पतला दुबला | पेलि:- पेलिन् (पु० ) घोड़ा । - १ कोमल । मुलायम । सुकुमार | ( वि० ) २ दुबला पतला मना- हर सुन्दर ४ विशेष चतुर निपुण इली। कपटी । २ मुल्फनी
पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५३०
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति