पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५३५

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( ५२८ ) प्रडिक प्रकाण्डक प्रकांड प्रकाण्डर: जिल प्रकरणम् प्रथा । २ सम्मान । ६ मरदारी हरण | वह कावा फुसलाह | प्रकरणाम् ( न० ) 1 किसी विषय को समझने या समझाने के लिये उस पर वादविवाद करना । करना २ विपथ प्रसङ्ग ३ किसी अन्थ के अन्तर्गत छोटे छोटे भागों में से कोई भाग | अध्याय ४ अवसरमौका | वक्तव्य मुखबन्ध ७ काव्य के अन्तर्गत | प्रकामः ( ५० ) अभिलाषा आनन्द । सन्तोष रूपक के दस भेदों में से एक प्रकरणिका }(स्त्री० ) नाटिका ! प्रकरिका ( स्त्री० ) दृश्यकाव्य का स्थल विशेष जा | उसमें लगा दिया जाता है और जो यह बतलाता है कि, धागे क्या होने वाला है। प्रकाशक प्रकर्षः ( ५० ) १ उत्तमता । प्रसिद्धि । उत्कृष्टता २ अधिकता | बहुतायत ३ वल ताकत । ४ केवल ५ लंबाई । दीर्घीकरण । प्रकर्ष (न) १ खींच लेने की क्रिया | २ डल जीतने की क्रिया | ३ अवधि प्रसार ४ उक- पैसा उत्कृष्टता २ विकलता | चित विशेष | आन्ति । प्रकला ( स्त्री० ) एक कला | ( समय ) का साठवौँ भाग । प्रकल्पना ( स्त्री० ) निश्चित करना स्थिर करना। प्रकल्पित ( ० ० ) १ बनाया हुआ किया हुआ। निर्माण किया हुआ | २ निश्चित किया हुआ। निर्दिष्ट किया हुआ। प्रकल्पिता (स्त्री०) एक प्रकार की पहेली या बुद्ध प्रकांड, प्रकाण्डम् ( न० ) 2 का ता । प्रकांडः, प्रकाण्डः ( पु० ) ) स्कन्ध | २ डाली । शाखा (समास के अन्त में ) अपनी जाति में सर्वोकृष्ट ३ बाँद का ऊपरी भाग । } { चु० ) देखे' प्रकाण्ड ( पु० ) वृक्ष | पेड़ | प्रकाम ( पु० ) प्रेमासक । अत्याधिक बहुत | अवाया हुथा | -सुजू, ( वि० ) अधाकर खाने वाला। का (अव्यया० ) अत्यधिक । अत्यधिकता से। २ पर्याक्षरूप से कामनानुसार | ३ स्वेच्छानुसार। रङ्गामंदी से प्रकरी (सी० ) १ नाटक के किसी दो अंकों के बीच | प्रकाश (वि० ) १ चमकीला । भक्फीला । चमकदार । का यह औश जिसमें आगे होने वाली घटना की सूचना दी जाती है। २ नटों की पोशाक एकारों की ड्रेस । ३ मैदान १ ४ चौराहा | २ मान विशेष | 1 f २ सुस्पष्ट प्रत्यक्ष सतेज उज्ज्वल । विशद । स्पष्ट | प्रसिद्ध प्रख्यात प्रकट । खुला हुआ। ६ स्थान जिस पर के वृक्ष काट कर साफ कर दिये गये हों। मैदान ७ फूला हुआ बड़ा हुआ। = मानों जैसा स~यात्मक ( दि० ) मकीता। उज्ज्वल थामन (वि० ) चम कोला। उज्ज्वल (पु०) १ शिक्जी का नामान्तर । २ सूर्य 1- इतर (वि०) अदृश्य । जो देख न पढ़े-कथा ( पु० ) खुलंसुद्धा खरीद 1-- नारी. (स्त्री० ) रंडी वेश्या बिनाक प्रकाश (धन्यवा० ) १ खुलंसुद्धा साफ़ तौर पर २ चिल्ला कर | } 1 प्रकारः ( 5० ) १ ढंग | तौर तरीका प्रयाली । तरह । भाँति । २ भेद क्रिस्म ३ साम्य । सादृश्य तुलना ४ विशेषता | विशिष्टता | प्रकाशः ( पु० ) 1 रोशनी | उजियाला । चर्मक | उज्ज्वलता प्राय घाभा २ (०) व्याख्या | ( यथा प्रकाश ) ३ भूप धाम । ४ प्राकव्य | दर्शन २ कीर्ति । नामवरी। ख्याति गौरव ६ मैदान : ७ सुनहला दर्पण किसी ग्रन्थ का अभ्याय परिच्छेद प्रकाशक (वि० ) [ स्त्री० - प्रकाशिका ] प्रकट करने वाला । दिखलाने वाला । २ व्यक्त करने वाला। निर्देश ३ व्याख्या करने वाला ४ चम- कीला उज्वल । ६ प्रसिद्ध । विख्यात ।