प्रदिन महितं ( न० ) चटनी | मसाला | महीण ( व० कृ० ) व्यक्त | त्यागा हुआ। महीणं ( न० ) नाश । स्थानान्तरकरण | हानि । प्रहुतं ( २० ) ) बहुतः ( पु० ) भूत यज्ञ चलिवैश्व देव । प्रहृत ( च० ० ) १ प्रताड़ित मारा हुआ घायल किया हुआ। महतं ( न० ) प्रहार चोट आघात। प्रहृष्ट ( व० कृ० ) : अत्यन्त प्रसन्न धादित । २ रोमाञ्चित - आत्मन्, वित्त, - ( वि० ) प्रसन्न मन | महकः ( पु० ) काक। कौघ्रा । प्रहेलकः ( पु० ) १ लपसी । २ पहेली बुझौवल । प्रहला ( स्त्री० ) आवारा। जुरे चालचलन की। ३ रंगरस विहार । प्रहेलिः ( स्त्री०,, } पहेली। बुझौवल । ) ( ) प्रहन्न ( ३० कृ० ) हर्षित । प्रसन्न । महादः ( पु० ) १ अत्यन्त आनन्द | प्रसन्नता | } हिरण्यकशिपु के पुत्र का नाम इन्हीं प्रह्लाद को पुराणों में भक्तशिरोमणि की उपाधि दी है। ) ( वि० ) प्रसनकारक आनन्ददायी। हर्षकर | मडादन प्रह्लादन प्रह्लादनं } ( न० ) प्रसन्न करना | आह्लादित प्रह्लादनम् करना । प्रह ( वि० ) १ डालू । उतार का २ झुका हुआ। नम्रता से झुका हुआ | ३ विनम्र | विनीत | ४ आसक्त। अनुरक्त/-~अञ्जलि ( वि० ) अञ्जलि- चद्ध हो सिर नवाये हुए। प्रहयति ( क्रि० ) विनम्र करना। प्रहलिका ( स्त्री० ) पहेली। बुझौवल । महायः ( पु० ) बुलावा । आमंत्रण | प्रॉशु (वि० ) ऊँचा | लंबा | बड़ा | लंबे तड़गे द का या डीलडॉल का । २ लंबा । विस्तृत । प्रांशुः ( पु० ) लंबे डील डौल का आदमी | प्राकू (अव्यया० ) १ पहिले । २ आरम्भ में। हाल ही में। ३ पूर्व। (किसी ग्रन्थ के पिछले भाग में) । ४ पूर्व दिशा में। (अमुक स्थान से ) पूर्व प्राकृत' २ सामने । ६ जहाँ तक हो वहाँ तक। यहाँ तक ( अथा - प्राकू कडारात ) प्राकट्यं ( न० ) प्रादुर्भाव प्रसिद्धि प्रचार प्राकरणिक ( दि० ) [ स्त्री०- प्राकरणिकी] विवाद ग्रस्त विषय सम्बन्धी । - प्राकर्षिक ( वि० ) [ स्त्री० - प्राकर्षिकी ] श्रेष्ठतर समझे जाने का अधिकारी। प्राकर्षिक: ( पु० ) १ लौंडा । मैथुन कराने वाला लौंडा । २ वह पुरुप जिसकी जीविका दूसरों की लियों से चलती हो । धौरतों का दलाल | प्राकाम्यं ( न० ) १ कार्य करने का स्वातंत्र्य । २ स्वेच्छाचारिता | ३ अप्रतिरोधनीय सङ्कल्प। 1 प्राकृत (वि० ) [ स्त्री० -- प्राकृता या प्राकृती | असली । स्वाभाविक । अपरिवर्तित । असंशोध्य २ मामूली साधारण ३ अशिक्षित । गँवार | पड़ ४ तुच्छ | अनावश्यक ४ प्रकृति से उत्पन्न | ५ प्रान्तीय | ६ बोलचाल की भाषा, जिसका प्रचार किसी समय किसी प्रान्त में हो अथवा पूर्वकाल में रहा हो । ६ एक प्राचीन भाषा जिसका प्रचार प्राचीन भारत में था और जिसका प्रयोग संस्कृत नाटकों में स्त्रियों, सेवकों और साधारण व्यक्तियों के मुख से करवाया गया है। - अरिः (१०) नैसर्गिक शत्रु अर्थात् पड़ोसी राज्य का राजा उदासीन: ( पु० ) स्वभावतः तटस्थ । अर्थात् राजा जिसका राज्य बहुत दूर पर हो । ज्वरः ( पु० ) मामूलीबुखार ।-प्रलयः ( पु० ) पुराणानुसार एक प्रकार का प्रलय जिसका प्रभाव प्रकृति पर भी पड़ता है। अर्थात् इस प्रलय में प्रकृति भी ब्रह्म में लीन हो जाती है | - मित्रं ( न० ) स्वाभाविक मित्र | प्राकृतं ( न० ) प्रान्तीय बोलचाल की भाषा जो संस्कृत से निकली हो या जो संस्कृत शब्दों के अपभ्रंश रूपों से बनी हो। हेमचन्द्र ने प्राकृत भाषा की परिभाषा इस प्रकार दी है। -"प्रकृतिः संस्कृतं तत्र भवं तत भागतं च प्राकृतं ।” प्राकृतः ( पु० ) नीच जन गँवार आदमी। साधारण मनुष्य । ।
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