अंतर, अन्तर मनस् ( पु० ) - घणं। घर के द्वार के सामने का खुला हुआ स्थान |–चर (वि. ) शरीर में व्याप्त । — जठरं ( न० ) पेट । -ज्वलनं ( न० ) जलने वाला । सूजन /--ताप (वि० ) सीतर की जलन । -तापः ( पु० ) भीतरी ज्वर । - दहनं (न०) -दाहः (पु.) १ भीतरी गर्मी । २ सूजन /- द्वारं (न०) घर का चोरदरवाज़ा । पर: (४०) -पर्ट (न० ) पर्दा | चिक धाड़ | परिधानम् ( वि० ) पोशाक के सब से नीचे का वस्त्र [--- पुरं (न०) १ महल के भीतर का कमरा । २ महल के भीतर रहने वाली स्त्रियाँ । राजसहिपी। रानी। -- धर्ती, ज्ञनानी ड्योड़ी का दरोगा । पुरिकः ( go ) जनानखाने का दरोगा । -भेदः (५०) भीतरी झगड़े। आपसी का झगड़ा, टंटा (वि०) उदास । उद्विग्न |- यामः (पु०) दस साधना और कण्ठस्वर को रोकना । ~लीन (वि०) भीतर छिपा हुआ । वली (वि.) गर्भिणी स्त्री |-- वस्त्रं, (न०) - वासस् (न०) अंगे आदि के नीचे पहिनने का वस्त्र । कुर्ता बनियाइन आदि - वाणि (वि०) प्रकाण्डविद्वान । -वेगः ( पु० ) अंदरूनी बुखार । भीतर की घबड़ाहट। आन्तरिक- चिन्ता । - वेदिः, - वेदी स्त्री०) [अन्तर्वेद | प्रदेश विशेष | वह प्रदेश जो गंगा और यमुना नदी के बीच में है। घेश्मन् ( न० ) घर के भीतर का कोठा । भीतर का कोठा । – वेश्मिकः ( पु० ) रनवास का प्रबन्धक । - शिला (स्त्री०) एक नदी का नाम जो विन्ध्याचल पर्वत से निकलती है। - सखा ( वि० ) गर्भिणी स्त्री । - सन्तापः ( पु० ) अंदरूनी दुःख, क्षोभ, खेद |–सलिल ( वि० ) वह जल जो ज़मीन के नीचे यहता है। -सार (वि०) भारी । दृढ़ |--- सेनं (अव्यया० ) सेनाओं के बीच में ।—स्थः (अन्तस्थः) (पु० ) स्पर्श और उष्म के मध्य के वर्ण य, व, र, ल आदि। -~-स्वेदः ( पु० ) ( मदमाता ) हाथी । - हासः ( पु० ) गूढ़ हास्य । -हृदयं ( न० ) हृदय के भीतर का स्थान | ( ५१ ) र, अन्तर (वि.) १ भीतरी । भीतर की ओर। २ समीप | पास में | ३ सम्बन्धवाची | समीपी। प्रतय, अन्तय प्रिय ४ समान । ५ भिन्न | दूसरा | ६ बाहिरी | बाहिरस्थित । बाहिर पहिना जाने वाला - अपत्या (वि०) गर्भवती स्त्री । --ज्ञ (वि० ) भीतर का हाल जानने वाला । दूरदर्शी । परिणाम दर्शी। -पुरुषः- पूरुषः, (पु० ) जीव । आत्मा । वह देवता जो पुरुष के भीतर वास करता और उसके शुभाशुभ कर्मों का साठी बना रहता है। -प्रभवः ( पु० ) वर्णसङ्कर जाति वालों में से एक स्थ, स्थाचिन, - स्थित ( वि० ) 9 भीतर चंदर। स्वाभाविक | सहज । २ बीच में स्थित। अंतरम्, अन्तरम् (न०) १ (क) भीतर | भीतरी । (ख) सूराख, सन्धि । २ आत्मा | रूह | हृदय । मन ३ परमात्मा | ४ कालसन्धि | बीच का समय या स्थान | अवकाश का समय ।५ कमरा | स्थान | ६ द्वार जाने का रास्ता । प्रवेश द्वार । ७ ( समय की ) अवधि । ८ मौक़ा | अवसर | समय । ६ ( दो वस्तुओं के बीच ) अन्तर | फर्क | १० (गणित में) भिन्नता | शेष | १९ फर्क | दूसरा | परिवर्तित । १२ विशेषता | प्रकार | क़िस्म । १३ निर्बलता । असफलता । त्रुटि । दोष | १४ ज़मानत | वायित्व स्वीकृति । १५ सर्वश्रेष्ठता १६ परिधान । वस्त्र । १७ अभिप्राय | मतलब । १८ प्रतिनिधि। एक के स्थान पर दूसरे के स्थापन की क्रिया | १६ रहित । विना । । अंतरतः, अन्तरतः (अव्यया० ) १ भीतर | भीतरी | बिल्कुल २ बीच से । बीच में | ३ अंदर | अंतरम अन्तरम (वि०) अत्यन्त निकट | भीतरी । पास अत्यन्त विश्वस्त | अंतरयः अन्तरयः ) ( पु० ) वाधा रोक । अंतरायः, अन्तरायः ऽ अड़चन | रुकावट | अंतरयति, अन्तरयति ( क्रि० ) १ बीच में डालना। दूसरी ओर मुड़वाना स्थगित करवाना | २ विरोध करना । ३ हटाना | ढकेलना । अंतरा, अन्तरा (अव्यया० ) १ निकट | २ मध्य | ३ रहित बिना। -अंसः ( पु० ) वक्षस्थल छाती । - भवदेहः, ( पु० ) –भवसत्वं ( न० )
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