( ५८२ ) फजिन सर्व । --मणिः ( पु० ) वह मणि जो सर्प के ! फन में होती है -मण्डलं. ( न० ) सर्प की कुड़री । फणिन् ( पु० ) १ फनधारी सर्प २ राहु ! महा- भाष्यकार पतञ्जलि । – इन्द्रः -ईश्वरः, (पु०) १ शेषनाग का नामान्तर २ अनन्त नाग ३ पतञ्जलि 1-खेलः, ( पु० ) लबा | बढेर |-- तल्पगः, (पु० ) विष्णु का नामान्तर - पतिः, ( पु० ) शेषनाग। वासुकी नाग । प्रियः, ( पु०) पवन हवा 1- फेनः, ( पु० ) अफीम - भाष्यं, (न० ) पाणिनी के सूत्रों पर पतञ्जलि का महामाण्य । -भुज् (पु० ) १ मोर । २ गरुड़ फत्कारिन ( पु० ) पक्षी चिड़िया | फरं ( न० ) ढाल । फलक । फरुबकं ( न० ) पान रखने का ढब्बा । फफरीक ( पु० ) हाथ की खुली हुई हथेली। फफरीकं ( न० ) १ कल्ला | वृक्ष की नयी डाली | २ कोमलता । फर्करीका ( स्त्री० ) जूता जूती । फलू (धा० परस्मै०) [ फलति, फलित ] १ फलना । २ सफल होना । ३ परिणाम निकालना । ४ पकना । फलं ( न० ) १ फल | २ फसल पैदावार ३ परि- णाम | नतीजा | ४ पुरस्कार | ५ कर्म ६ उद्दे- श्य । ७ उपयोग । लाभ फायदा ८ मूल धन • का ब्याज ६ सन्तति । श्रौलाद | १० फल के भीतर का बीज या गूदा ११ फल विशेष । १२ तलवार की धार । १३ तीर की नोंक १४ ढाल । १२ अगढकोष । १६ दान । १७ अङ्कगणित की किसी क्रिया का अन्तिम परिणाम १८ योग- फल । गुणनफल | १६ रजस्वलाधर्म | २० आयफल । २१ हल की नोंक 1- अनुबन्धः, ( पु० ) परिणाम । नतीजा /- धनुमेय, (वि०) फल देख कर निकाला हुआ सार । - अन्तः ( पु० ) बाँस / वल्ली । -अन्वेषिन् (वि० ) ( कर्म का ) फल या पुरस्कार चाहने वाला - प्रशन:, ( पु० ) तोता | सुग्गा । सूत्र - फलक 1 अस्लम् ( न० ) इमली। -अस्थि, ( न० ) नारियल 1-थाकांक्षा, (स्त्री० ) ( अच्छे ) परिणाम की अभिलाषा - आगमः, ( पु० ) १ फलोत्पत्ति । ३ फल फलने का समय या मौसम । शरदऋतु प्राढ्या (स्त्री०) १ कठकेला | २ एक प्रकार के अँगूर जिनमें बीजा नहीं होते :- उत्पत्तिः, ( स्त्री. ) १ फल की पैदावार । २ लाभ | मुनाफा ( पु० ) आम का पेड़- उद्यः ( पु० ) १ फल का दृष्टिगोचर होना । २ परिणाम निकलना । ३ सफलता प्राप्ति या अभी- टसिद्धि । –कालः, ( पु० ) फलों का मौसम -केशरः, ( पु० ) नारियल का वृक्ष - ग्रहः, (पु०) लाभ निकालने वाला। --प्रहि, माहिन, (वि० ) फलवान् । ऋतु में फल देने वाला - द, (वि० ) १ फलदायी। उपजाऊ | फलदार । २ लाभदायी । - दः, ( पु० ) वृत्त । - निवृत्तिः, ( स्त्री० ) परिणाम का अवसान I- निष्पत्तिः, ( स्त्री० ) फलोत्पत्ति -पादपः ( पु० ) फल- दार वृक्ष/- पूरः– पूरकः, (पु० ) नीव या जमीरी का पेड़ । --प्रदानं, (न० ) १ सगाई । २ फल का दान 1 – भूमिः, ( स्त्री० ) वह स्थान जहाँ कर्मों के फल का भोग करना हो । -भृत्, ( वि० ) फलदार । भोगः, ( पु० ) १ फल का भुगतना । २ फलभोग। उपसत्व भोगने का अधि कार । -योगः, ( पु० ) १ फलमप्ति या अभीष्ट- प्राप्ति । २ मज़दूरी । महनताना राजन्, ( पु० ) तरबूज | कलीदा | - वर्तुलम्, ( न० ) तरबूज़ | कजींदा वृत्तः, ( पु० ) फलवान् वृक्ष-वृक्षकः, ( १० ) कटहल का पेड़ - शाडवः, (३०) अनार का वृक्ष - श्रेष्ठः, ( पु० ) आम का पेड़ | -सम्पद, ( स्त्री० ) : फलों का बाहुल्य । २ सफलता /- साधनं, ( न० ) किसी भी अभीष्ट सिद्धि का कोई उपाय । - स्नेहः, ( पु० ) अखरोट का पेड़ 1- हारी, ( स्त्री० ) काली या दुर्गा का नामान्तर । फलकं ( न० ) १ पटल | सत्ता पट्टी २ चौरस सतह । ३ ढाल ४ कागज़ का तख्ता सफा ५ चूतड़ | करिहाँ । ६ हथेली । -पाणि, ( वि० )
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