बाहुक ( बह की भूपा (बी०) ३ लड़ाई घुसघुस्सा बल ( म०) शक्ति | कुम्बत बाजू /-भूप, बाजूबंद-भेदिन (पु० ) विष्णु का नामान्तर । ~मूलं (म० ) बग़ल |-युद्ध. (म० ) मन्त युद्ध-याधः, योधिन् (पु० ) घूंसों से जवने वाला देता (स्त्री० ) बाहु जैसी लता । वीर्य, (न० ) बों का ज़ोर व्यायामः, ( पु० ) कसरत विशेष :- शालिन्, (पु० ) १ शिव। २ भीम - शिखरं. (न० ) कंधा- सम्भवः, (पु० ) इत्रिय जाति का आदमी- सहभूम ( पु० ) कार्तवीर्य राजा चाहुकः ( पु० ) १ बंदर । २ राजा नल का बदला | विन्दुः विडालकं (न० ) पोलीमरहम | विडालक (०) दिल्ली। पलकों पर लेप दाने की क्रिया | विडोजस् ( इ० ) इन्द्र बिंदु ) (धा०] परस्मै० ) [ विन्दति ] १ चीरना | विन्दु ) २ विभाजित करना। बिंदु: 1 हुआ नाम । बाहुगुण्यं ( न० ) अनेक गुणों की सम्पन्नता बादत (०) स्मृति जिसके रचयिता इन्द्र कहे जाते हैं। ) ( पु० ) बूँद ) कुतरा । सूक्ष्म परिमाणु । । २ बिंदी। विन्दु हाथी पर रंगीन बुढे जो उसे सजाने को बनायी जाती हैं। ४ शून्य । सिफर :- चित्रकः ( पु०) चित्तल बारहसिंगा | -जालं,-जालकं, (न० ) 3 अनेक बिन्दु | २ हाथी के नाये और सेंड का चित्रण तंत्रः, ( पु० ) १ पौसा २ शतरंज की -देवः (पु० ) महादेव 1-पत्रः, ( पु० ) भोजपत्र का वृत विशेष --फलं, ( ३० ) मोतीरेखकः, ( 50 ) धनुस्वार | २ पड़ी विशेष ---वासरः (80) गर्भस्थापन का दिवस । वियोकः ( पु० ) अभिमान या अहङ्कारवश अपनी प्रेयसी की ओर से अनास्था । हावभाव | । ५६३ ) विति विडं ( न० ) लवगा विशेष विडालः ( पु० ) : विहीर पः (पु०) पदकं (न० जो १६ माशे की होती थी। बाहुदन्तेयः (पु० ) इन्द्र | बाहुदा ( श्री० ) एक नदी का नाम । बाहुभाव्य (न० ) बकवादीपन | बातूनीपन | बाहुरूप्यं ( ० ) अनेकता। विभिन्नता । बाहुल: (पु० ) अग्नि । २ कार्तिक मास । बाहुलं (न०) १ अनेकता । २ हाथ के लिये परित्राण --श्रीवः, ( पु० ) मोर मयूर बाहुलकं (न०) अनेकता चाहुलयः ( 50 ) ) कार्तिकेय बाहुल्यं ( न० ) विपुलता। प्राचुर्य बाहवाहव (अव्यया० ) हाथापाही । वाह्य ( वि० ) १ बाहिर का बाहिरी २ अजनवी अपरिचित । विदेशी ३ समाज वहिष्कृत बाह्यः (१०) अजनवी विदेशी १ पवित | जाति से निकाला हुआ। बाच्यं ( म०) ऋग्वेद की परम्परागत शिक्षा | विद् ( धा० परस्मै० ) ( वेडन ) १ शपथ खाना | २ शपथदेना । ३ चिह्नाना | तोड़ फोड़ा | विद्रकं (न० ) बिटकः ( पु० ) विटका ( श्री० ) केला तौज विशेष विभित्सा ( श्री० ) भीतर प्रवेश करने की इण्डा विभीषण: ( पु० ) लङ्कापति रावण के सबसे छोटे भाई का नाम । विचक्षुः विनिः } ( पु० ) अग्नि आग | विविः (पु० ) )का या सूर्य का विवं, विस्वम् (न० ) ऽ मण्डल | २ मण्डल | गोलाकार कोई वस्तु | ३ मूर्ति। छाया राई | ४ दर्पण | २ घड़ा । ( न० ) कुंदरू 1- (दि० ) 1 = वी) जिसके कुदरू के फल जैरे लाल घोट हो । निजकं (न० ) चन्द्र या सूर्य मण्डल | २ ग्रिकम् ) कुंदरू फज विचिन ) ( वि० ) १ प्रतिछाया पड़ा हुआ। २ चिम्मित चित्र खींबा हुआ। सं० श० कौ०-७५
पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/६००
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति