पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/६०४

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वेल्य 1 वाला I या बेल वह की लकड़ी का बना हुआ। २ वेलक पेड़ो से आच्छादित | वैल्य ( न० ) वेल वृत का फल । बोध: ( पु० ) १ जानकारी ज्ञान | जानने का भाव । २ विचार । ३ बुद्धि समझ ४ जागृति चैत ५ खिलना फैलना खुलना ६ निर्देश अनुमति । ७ उपाधि | संज्ञा । अतीत. ( वि० ) ज्ञान के परे। -कर, (वि० ) जनाने बतलाने वाला । करः, (पु० बंदी- जन जो राजाओंों को जगाया करते थे। २ शिक्षक। अध्यापक ---गम्य, (वि० ) जो समझ में आ जाय -पूर्व (वि० ) इरादतन जानबूझकर -वासरः, ( पु० ) देवोत्थानी एफावशी, जो कार्तिक शुक्ल पक्ष में होती है, बोधक (वि० ) [ श्री० --वांधिका ] १ बतलाने वाला धागाह करने वाला । २ सिखलाने वाला शिक्षक ३ सूचक ४ जगाने वाला। बोधकः ( पु० ) जासूस। भेदिया। बोधनं (न० ) ज्ञापन जताना सूचित करना । २ जगाना | ३ उड़ीपन | ४ धूप देना बोधनः (पु० ) दुधग्रह बोधनी (स्त्री० ) १ कार्तिक शुक्ला ११ शी पीपल बोधानः (पु० )द्धमान पुरुष २ बृहस्पति का ( ५९७ ) नामान्तर | बोधिः ( पु० ) : पूर्ण ज्ञान | २ वट वृक्ष | ३ मुर्गा ४ बुद्ध देव का नामान्तर - तरुः, द्रुमः, - वृत्तः, ( पु० ) वृक्ष जिसके नीचे बुद्ध भगवान् ने बुद्धत्व प्राप्त किया था।-दः (g०) जैनियों का अहंत सखः, (५०) यह ओ बुद्धव प्राप्त करने का अधिकारी हो. परन्तु बुद्ध न हो सका हो । बोधित ( ० ) अनाया हुआ प्रकट किया हुआ। २ स्मरण दिलाया हुआ। ३ आदेश दिया हुआ। सूचित किया हुआ | बौद्ध (वि० ) [ श्री० -ौद्ध]बुद्धि या O से सम्बन्ध रखने वाला २ युद्ध से सम्बन्ध रखने चाला | महान् बोद्ध ( पु० ) बौद्ध धर्म का मनने यात्रा यो (पु० ) पुरूवाकर सामान्सर | वौधायन: ( पु० ) एक प्राचीन लेखक का नाम । ब्रः ( 50 ) 1 सूर्य 1 वृधामूल पेड़ की जय | ३ दिवस ४ मदार का पौधा ५ सीसा जस्ता ६ घोदा । ७ शिव या पक्षा ब्रह्म ( न० ) परमात्मा । ब्रह्मण्य (वि० ) १ ब्राह्मण के योग्य ब्रह्म सम्बन्धी । २ पवित्र ३३ ४ों से प्रीति करने वाला। - देवः, (५०) विष्णु भगवान् | ब्रहाण्यः (१० ) १ वह जो वेदों में निष्णात हो । २ २ शहतूत का वृक्ष ३ साड़ का पेड़ शनिग्रह । ६ विष्णु का नामान्तर | ७ कार्तिकेय में ब्रह्मण्या (स्त्री० ) दुर्गा देवी की उपाधि | ब्रह्मरावत् (२०) शनि का नामान्तर | ब्रह्मना ( श्री० ) ब्रह्मत्वं ( न० ) ब्रह्मन् (न० ) ३१ शुद्ध ब्रह्म भाव २ श्राह्मणत्व ३ मझ में जीनता । परमात्मा परब्रह्म २ स्तुति की प्रणव | प एक ऋऋचा ३ धर्म ग्रन्थ | ४ वेद १ श्रद्वार ६ आक्षण वर्ग ७ वही शक्ति १ कीर्ति । शुचिता । १० मोक्ष | ११ वेरों का यादय भाग | १२ सम्पत्ति धन दौलत | १३ महाविद्या ( पु० ) 1 विष्णु । २ ब्राह्मण । ३ भक्तजन | ४ सोमयज्ञ के चार ऋविज्यों में से एक। ५ ब्रह्मविया जानने वाला ६ सूर्य ७ प्रतिभा | ८ सप्त प्रजापतियों का नामाम्बर [ सत प्रजापति --मरीचि, अत्रि, अंगिरस पुलस्य, पुलह, ऋतु और वसिष्ठ ] १ वृहस्पति का नामान्तर | 10 शिव /- अक्षरं ( न० ) प्रणव | भार अङ्गभू, (पु० ) 1 घोड़ा । २ वह पुरुष जिसने मंत्रोचारण पूर्वक धोड़े के मिन भिन्न शरीरा- वयवों का स्पर्श किया हो।अञ्जलिः, ( पु० ) मंत्र पढ़ते हुए हाथ जोड़ना वेदपाटारम्भ और वेदपाठ समाप्ति के समय गुरु को प्रणामअवडं, ( न. ) वह अॅदा विशेष जिसके भीतर से यह सारा जगत् उत्पन्न हुआ। पुराणं (ब्रह्मपुरायाम) ( न० ) धठारह पुराणों में से एक 1- अदि, या