( ८१९ ) (30) ब्रह्मन् २ वेतनभोगी या स्वार्थसेवी ब्राह्मण, ( पु० ) १ कार्तिकेय २ विष्णु 1-ज्ञानं. ( न० ) ब्रह्मविद्या | - ज्योतिस (न०) शिव । -तत्वं. (न० ) बझ सम्बन्धी सत्यज्ञान :-दः ( पु० ) दीवा गुरु-गड ( पु० ) ? ब्राह्मण का शाप । २ब्राह्मण की प्रशंसा ३ शिव -दानं, ( न० ) पढ़ाना - दायः. ( पु० वेदों की शिक्षा | २ ब्राह्मण की सम्पत्ति १ दायादः (पु० ) १ ब्राह्मण जिसकी वेद पैतृक सम्पत्ति है। २ ब्राह्मणपुत्र --- -दारु:, ( पु० ) शहतूत का पेड़-दिनं. (न० ) प्रक्षा का एक दिन जो १०० चतुर्युगियों का माना जाता है । -देय ( वि० विवाह के नियमानुसार विवाहित - ब्रह्मदैत्यः ( पु० ) ब्राह्मण जो होगया हो -डिव् - द्वेषिन्, ( त्रि० ). ब्राह्मणों से घृणा करने वाला नास्तिक द्वेषः. ( पु० ) माहायों से घृणा | - नदी ( स्त्री० ). सरस्वती नदी। - नाभः, ( पु० ) विष्णु निए, (वि०) बझ के ध्यान में मग्न रहने वाला। -निष्ठः, ( 50 ) शहतूत का पेड़ -पदं, ( २० ) १ ब्रह्मत्व | २ ब्राह्मणस्त्र । - पवित्रः, ( पु० ) दर्भ | कुश । परिषद् ( श्री० ) ब्राह्मणों की सभा - पाइप पत्रः ( पु० ) पलाश का पेद-पाशः, (पु० ) वसा का पाश नामक अख– पितृ, (५०) विष्णुपुत्रः } -- C ( पु० ) १ ह्मण का वेटा एक नद का नाम । यह मानसरोवर से निकल कर हिमालय के पूर्वी मान्त आसाम में दो कर भारत में प्रवेश करता : [1] है और बंगाल को खाड़ी में ( स्त्री० ) सरस्वती नदी -पुरं, ( न०) --पुरी, (स्त्री०) १ ब्रह्मोक । २ बनारस पुराणं, (न० ) पुराण विशेष | प्राप्तिः (स्त्री० ) या में लीनता :-वन्धु, ( पु० ) पतित द्याक्षय | बीजं ( न० ) प्रणव । श्रकार 1-ध्रुषः, --ध्रुवाणः, (पु० ) बनावटी ब्राह्मण - भागः, ( पु० ) १ शहतूत का पेड़ २ यज्ञ कराने वालों में प्रधान का भाग।-मङ्गल- देवता, (स्त्री०) लक्ष्मी देवी का नामान्तर ।-महः, विदु विदु - के उपलय में किया हुया उत्सव -मीमांसा (०) वेदान्त दर्शन- सूर्धभृत् • पु० शिव : -मेखनः, ( पु० ) सूत्र तृया | ---यज्ञः, ( पु० ) १ पञ्चमहायज्ञों में से एक | २ विधि पूर्वक वेदाभ्यास ---येरगः ( पु० ) श्राध्या- त्मिक ज्ञान की उपलब्धि - योनि (वि० ) ह्म से उत्पन्ध्र २० ) प्राण्ड द्वार मू या छेद मस्तक के मध्य में माना हुआ गुल छेद जिससे प्राण निकलने पर ब्रह्मलोक में उस जीव का जाना माना जाता है। रातः, (पु० ) शुकदेव जी 1- राशिः ( पु० ) परशुराम का एक नाम बृहस्पति से साकान्त श्रवण नक्षन | -रीतिः (श्री० ) पीतल विशेष -रेखा - लेखा (स्त्रो० ) -लिखितं, ( न० ) - (पु० ) भाव धभाग्य का लेख जिसके बारे में प्रसिद्ध है कि यह्मा किसी जीव के गर्भ में आते ही उसके मस्तक पर लिख देते हैं -- लोकः, ( पु० ) यक्षा का लोक ।-वक्तृ, (पु०) वेदों का व्याख्याता (-चयः, ( पु० ) चव्या, -वर्चस् (न० ) – वर्चसं, (न० ) वह तेज या शक्ति जो ब्राह्मण तप एवं स्वाध्याय द्वारा प्राप्त करता है। ब्रह्मतेज 1-वर्धनं ( न० ) साँवा - वादिन, (पु० ) १ वेदों को पढ़ाने या सिखाने वाला २ वेदान्ती विद्, विद ( वि० ) या को जानने वाला ( पु०) ऋषि । ब्रह्मवेत्ता दार्शनिक - विधा, स्त्री० ) वह विद्या जिसके द्वारा कोई ना को जान सके। -~-हन्या, ( स्त्री० ) ब्राह्मण की हत्या । ले f- 4 1 - J गिरता है :- पुत्री, बिंदुः ) ( 50 ) बेद्र पाठ करते समय मुँह से - पुरं, ( म० ) हृदय - i विन्दुः ) गिरा हुआ थूक का छींटा - विवर्धनः - ( पु० ) इन्द्र का नामान्तर । - वृक्षः ( पु० ) १ पलाश या ढौंक का पेड़ २ गूलर वृष- वृत्तिः, (स्त्री० ) ब्राह्मण की आजीविका वृदं ( ४० ) वाह्मणों का समुदाय :~-वेदः, (पु०) १ वेद का ज्ञान २ ब्रह्मशान ३ अथवा वेद का नाम ।~-वेदिन. (वि० ) वेदों का जानने वाला 1- वैवन, ( स० ) अष्टादश पुराणों में से एक। - शिरस्- शीर्षन्, ( न० )
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