( ५४ ) प्रथमवार अन्न खिलाने की विधिवत् क्रिया सम्पा- दन की जाती है। जूठा 1-~-भुज् ( वि० ) १ श्रम का खाना | २ शिव की उपाधि । - मलं ( न० ) १ विष्ठा | मन । पाखाना ( २ ) मंदिरा विशेष | अः (पु० ) सूर्य । अनमय (वि० ) [ स्त्री० -- अन्नमयी ] अन की बनी हुई। कोशः, कोषः ( पु० ) स्थूल शरीर । ध्यन्नमयम् ( न० ) अश का बाहुल्य | भोज्य पदार्थों की बहुतायत । अन्य (वि० ) ( अन्यत् न० ) १ भिन्न | दूसरा २ विलक्षण । असाधारण यथा । " अन्दा अगतिमयी मनसः प्रवृत्तिः क्षेत्रं -भामिनीविलास । ३ साधारण कोई ४ अतिरिक्त | नया अधिक । - असाधारण (वि०) जो दूसरों के लिये साधारण न हो । विचित्र । विलक्षण । - उदय (वि०) दूसरे से उत्पन्न |र्यः (अन्यर्थः पु० ) ५ सौतेली मा का पुत्र । सौतेला भाई) ( स्त्री० ) सौतेली यहिन /-ऊढा ( वि० ) दूसरे को विवाही हुई। दूसरे की पत्नी । ( न० ) १ दूसरा खेत २ दूसरा राज्य विदेशी राज्य | ३ दूसरे की स्त्री। -ग, -गामिन् (वि०) १ दूसरे के पास जाना। २ व्यभिचारी | छिनरा | जार। लंपट पापी-गोत्र ( वि० ) दूसरे वंश का - चित्त ( वि० ) मनविशेष | -ज, - - जात । ( वि० ) दूसरी उत्पत्ति का । दूसरी जाति का जन्मन् ( न० ) जन्मान्तर - दुर्वह ( वि० ) दूसरों द्वारा न ढोने या उठाने योग्य |~नाभि ( वि० ) दूसरे वंश या कुल का । – पर ( वि० ) १ दूसरों के प्रति भक्ति मान् । दूसरों से अनुरक्त। दूसरी वस्तु को प्रकट करना या हवाला देना / पुष्ट: ( पु० ) -पुछा (स्त्री०.) - भृतः, ( १० ) -भृता ( स्त्री० ) दूसरों से पाली हुई । कोयल । - पूर्वा ( स्त्री० ) कन्या का जिसकी सगाई दूसरी जगह हो चुकी है। बीजः, - दीज- अन्याय समुद्भवः समुत्पन्न: ( 50 ) गोद लिया हुआ पुत्र | दत्तक पुत्र भृत ( पु० ) कौया । काक । - मनस्, – मनस्क, मानस (वि०) चन्चल । जो ध्यान न दे। प्रसावधान - मातृजः ( पु० ) सौतेला भाई। रूप ( वि० ) परिवर्तित बदला हुआ । - लिङ्ग, - लिङ्गक (वि० ) दूसरे शब्द के लिङ्गानुसार वापः ( पु० ) कोयल 1- विवर्धित (वि० ) कोयल J अन्यतम् ( वि० ) बहुत में से एक । अन्यतर ( दि०) दो में से एक। अन्यतरतः (अन्य ) दो तरह में से एक। अन्यतरेद्यः अन्यथा० ) दो में से किसी एक दिन। एक दिन या दूसरे दिन | धन्यतः (अन्य ) १ दूसरे से ५ एक ओर दूसरे आधार पर या दूसरे उद्देश्य से अन्यत्र ( अन्य० ) दूसरी जगह । अन्यस्थान | २ व्यतिरेक | दूसरा | ३ विना | धान्यथा (अन्य ) १ प्रकारान्तर । पक्षान्तर । २ मिथ्यापन से। झूठपन से | ३ अशुद्धता से । भूल से । -भावः ( पु० ) परिवर्तन | अदलबदल | अन्तर 1 - वादिन ( वि० ) प्रकारान्तर से बोलने वाला । मिथ्यावादी वृति ( वि० ) परिवर्तित । उत्तेजित । उद्विग्न -सिद्धिः ( स्त्री० ) ( न्याय में ) एक दोष विशेष, जिसमें यथार्थं नहीं, प्रत्युत अन्य कोई कारण दिखला कर किसी विषय की सिद्धि की जाय । - स्त्रोत्रं ( न० ) व्यंग्य | 1 धन्यदा ( अव्यया० ) 1 दूसरे समय। दूसरे अवसर पर। अन्य किसी दशा में । २ एक यार। कभी एक बार | ३ कभी कभी धन्यई (अन्यया० ) दूसरे समय । धन्याहृत ( वि० ) परिवर्तित । असाधारण । धन्याशे ) विलक्षण | अन्यादृश् धन्याय ( वि० ) धनुपयुक्त । बेठीक । धन्यायः (पु० ) कोई अनुचित या झाईन विरुद्ध कार्यं ।
पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/६१
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति