मंगल्यकः मङ्गल्यकः } ( शु० } मसूर ! मंघ ) (धा० परस्मै० ) [ मंत्रति ] १ सजाना। मञ्जरिः मङ्क् ( पु० ) १ छोटे पौधे या लता आदि का ) शृङ्गार करना । (श्रात्म-मंघते) १ छलना । | मञ्ञ्जरी ) नया निकला हुआ कहा। कोंपल । २ धोखा देना। २यारम्भ करना। ३ कलङ्क लगाना। दोषी ठहराना फटकारना ४ चलना जाना । शीघ्रता पूर्वक चलना १ रवाना होना। मच् ( धा० आत्म० ) [मचते] दुष्टता करना होना। २ धोखा देना चुलना ३ शेखी मारना। अभिमान करना ४ अभिमानी बनना। वृद्ध विशिष्ट में फूलों या फलों के स्थान में एक सोंके में लगे हुए अनेक दानों का समूह । ३ समानान्तर रेखा या पंक्ति | ४ मोती | ५ लता। ३ तुलसी । ७ तिलक पौधा । मन्त्रः, ( पु० ) वेतस पौधा । मचर्चिका (स्त्री० ) संज्ञा के अन्त में लगाया जाने वाला शब्द विशेष, जिसके अर्थ होते हैं। सर्वश्रेष्ठ | सर्वोत्तम । अपनी जाति में सब से अच्छा। जैसे गोमचर्चिका अर्थात् सर्वश्रेष्ठ गो 1 ● मगल्यक, मङ्गल्यक मज्जा ( न० ) १ हड्डी के भीतर का गुदा माँस का गुदा | २ पौधे के बीच की नस । - जं. वीर्य । -रजस, (न० ) नरक विशेष ( ९० ) वीर्य धातु- ( न० ) - रसः, - सारः, ( पु० ) ( ६३० ) मजु, मञ्जु | मंजरं ( न० ) फूलों का कप्पा २ मोती । ३ मञ्जरं । तिलक पौधा मच्छ (पु० ) मत्स्य | मज्जनं ( न० ) १ स्नान । गोता । बुड़की २ माँस मजिका } ( स्त्री० ) १ वेश्या । रंडी | या हड्डी के भीतर का कोमल चिकना गूदां । मंजिमन् मज्जनः (पु०) १ नस्ली की हड्डी के भीतर का गुदा जो | मजिम } ( S० ) सौन्दर्ये । मनोहरता। बहुत वंचिकना हुआ करता है। पौधे के मंजिष्ठा ) ( स्त्री० ) मजीठ 1-मेहः, ( पुं० मञ्जिष्ठा ) प्रमेह रोग विशेष - रागः, ( पु० ) बीच की नस । -कृत, ( न० ) हड्डी - समुद्भवः ( पु० ) वीर्य । " मजीठ का रंग 1 (अल० ) ऐसा पक्का प्रेम या अनुराग जैसा कि मजीठ का पक्का रंग होता है। स्थायी या टिकाऊ प्रेम था अनुराग मंचः ) ( पु० ) १ सेज शय्या स्थान प्रतिष्ठा का स्थान सिंहासन व्यास गड़ी। मञ्चः मंच मंचकं मंचकं कायफल | मंधू } ( धा० आम०) ( मंचते ) १ पकड़ना | २ मजील: } (पु०) यह गाँव जिसमें धोबी रहते हों। मञ्च ) बढ़ा या लंबा होना। चलना जाना | ) ४ चमकना । ५ सजाना । ( वि० ), प्रिय । मनमोहक । मधुर ! }} क -केशिन, ( पु० ) कृष्ण |-गमन, ( वि० ) मनोहर चाल 1-- गमना, ( स्त्री० ) १ हंस २ सारस जाति का जलपछी लाल मेढ़क | - गर्तः, ( पु० ) नेपाल देश का प्राचीन नाम। -गिर, (वि० ) वह जिसकी मधुर वायी हो। -- गुञ्जः, ( पु० ) मधुर गुआर - घोष, ( वि० ) मधुर स्वर - " नाशी, ( स्त्री० ) १ सुन्दरी स्त्री | २ दुर्गा । ३ शबी इन्द्राणी पाठकः ( पु० ) तोता। मंचिका मञ्चिका 1 (२०) १ सेज खाट २ सिंहासन | ऊँचा बना हुआ चबूतरा अग्नि रखने का स्थान । -आश्रया, (पु०) खाट के खटकीरा या खटमल । } ( स्त्री० ) १ जुर्सी 1 २ कठौता । पलंग ३ उच्च मचान । रंग- मंजरित | ( त्रि० ) १ फूलों से सम्पन्न । २ कलियों मञ्जरित से युक्त | भंजरी से युक्त । मंजा । (स्त्री० ) १ बकरी । २ फूलों का झुप्पा । ३ मञ्जा ऽ बेल । मंजिः ) ( स्त्री० ) १ फूलों का झुप्पा । २ लता । बेलें-फला, (स्त्री० ) केले का वृक्ष । मञ्जी ! मंजीरः ( पु० मंजीरः (पु० मंजीर ( न० ) मञ्जोरं ( न० मंजु मन्जु नूपुर । बिछिया । ( न० ) वह खंभा जिसमें मथानी या रई की रस्सी लपेटी जाती है। .
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