भय कासि ( पु० ) हाथी । (०) प्रथा- -नागः, - यारण पु० ) मदमप्त वारणाः । पु० ) - वारं ( म० ) विताल भवन का होता या घेरा २ वहीं या भारी जो किसी विशाल भवन के ऊपर है | ३ | वरंडा कजसवार भवन - चारणं, (न० ) कटी हुई सुपारी 1- मन्यं ( न० ) १ हँगा । पाटा | २ ज्ञान प्राप्ति का 1 साधन २ ज्ञान का मस्सः ( पु० ) नच्छ | २ क देश का राश मत्सर (वि० ) डाइल | जलन | लोभी | कृपण कंजुस ३ संगदिल सीमा ४ मत्सरः ( पु० ) 2 डाह । हसद | जलन | २ शत्रुता | और ३ अभिमान ४ लोभ । २ क्रोध | गुस्सा | ६ डांस मदुर - मद. अादेश पुराों में से एक जो महापुराणों में परिगणित है। -बन्धः, वन्धन (०) मारने वाला मछली पकड़ने वाला-बन्धनं, ( न० ) सती पकड़ने की वंसी चिनी (स्त्री० ) मी रखने की टोकरी बन्धनी, . यज़ार ।-प्रशनः, (पु) मलो खाने वाला । -असुरु, (पु०) एक दैत्य का नाम ।-आधानी, धानो, (को०) मी रखने की टोकरी - उरिन्, (पुः) बिराट का नामान्तर - उदरी, ( श्री० ) सत्यवती | उदरीयः, (पु० ) वेद- व्यास --उपजा बन्. (पु० ) -प्राजीवः (पु० ) मधुच्या । मञ्जुवाहा । —करण्डिका, (बी०) महतियों रखने की कंडी-गन्ध, (वि० ) महराइन-गन्धा, (खो० ) सत्यवती :- घातिन्, -जं वित्, ~ जीविन, १०) मधुया झालं, ( न० ) मधुली पड़ने का जाल - देश: (पु० ) मध्ध्य देश जहाँ का राजा बिराट था। ~ नारो, (स्त्री० ) सत्यवती - नाशक, -~नाशन, ( पु० ) कुरर पक्षी-पुराणं, (न०) - रङ्कर रङ्गकः ( पु० ) मदरंगा राम- चिड़िया संघातः, ( पु० ) मलियों का गढ़ या गोल। 1 मत्स्वरिडका ) ( स्त्री० ) मोडी और बिना साह की हुई चीनी । | मथ् देखो मन्यू | मथन (वि.) [ स्त्री० मथनी ] १ मथने की क्रिया। २ चोटिल करने वाला। ३ नाशक विध्वंसक घातक 1- अवलः, - पर्वतः, ( पु० ) मन्दरा - चल पर्वत । 1 मत्सरिन (दि० ) १ ढाही जलने वाला १२ शत्रु बैरी ३ स्वार्थी लालची मत्स्यः (पु० ) मच्छ | २ विशेष जाति की मछली। देशको राजा सोमलता विशेष अद्, का प्रती (श्री) श्रदन, भाइ, ( वि०) मछली खाने वाला । ~ अवतारः, (पु०) मथितं ( न० ) विशुद्ध माठा या छाछ । विष्णु भगवान के दस अवगरों में से प्रथम मत्स्या-मथिन् ( पु० ) १ रई | मदा बिलोने की लकी विशेष २ पवन | ३ पुरुष की जननेन्द्रिय ४ बिजली । वन । , मथनः (१० ) वृत्त विशेष मनियारी नामक पेड़। मथिः ( पु० ) रर्द मथने की लकड़ी विशेष । मथित ( ५० कृ० ) १ मथा हुआ । २ भालोड़ित | घोल कर भली भाँति मिलाया हुआ। ३ पीड़ित सन्तप्त | ४ वध किया हुआ १५ जोड़ से उखड़ा हुचा। मथुरा ) सप्तपुरियों में से एक। -ईशः, नाथः, (पु०) मथुरा ) ( स्त्री०) श्रीकृष्ण की जन्मभूमि और मोचदा श्रीकृष्ण - मद् (घा० परस्मै० ) [ माद्यति, मत्त ] नशा पीना । नशे में चूर होना २ पागल होना ३ धूम मचाना। विजास करना। ३ आनन्द मनाना | मदः ( पु० ) नशा २ विचितता | पागलपन | ३ संपत्ता | कामुकता ४ हाथी का मद अथवा यह गन्धयुक्त द्राव जो मतवाले हाथियों की कन युटियों से बहता है। ५ अनुराग प्रम६ अभि- मान अहङ्कार ७ हपतिरेक मदिरा | शराब! सं
पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/६४१
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति