मोलित हुए ३ला धनखिला | ४ लुप्त जो दृष्ट हो चुका हो । मीलितं ( न० ) एक अलङ्कार इसमें दो पदार्थों की समानता के कारण, उन दोनों में भेद नहीं जान पड़ता। मीव ( धा० - पर० ) [ सीवति ] १ गमन करना २ मोटा ताज्ञा होना। शीवरः (पु० ) सेनानायक नमूपति । मीवा (स्त्री० ) पेट में का कीडा । २ वायु | हवा ! सुः ( पु० ) १ शिव जी का नाम बन्धन कारागार । ३ मोक्ष १ ४ चिता | मुकंदकः ) ( पु० ) १ व्याज २ साठीधान | मुकुन्दकः । मुकुः ( पु० ) मोक्ष | मुकुटं ( म० ) १ साज | शिरोभूपण | २ कलँगी । चोटी | ३ शिखर | शृङ्ग। मुकुटी (सी० ) उँगली चटकाना । मुकुंदः ( 50 ) १ विष्णु भगवान का नाम । श्रीकृष्ण जी का नाम । २ पारा | पारद | ३ रत्न विशेष | ४ नवनिधियों में से एक निधि | ढोल विशेष । मुकुरः (पु० ) १ दर्पण: २ कली | ३ कुम्हार के चाक का डंडा | ४ वकुलवृद्ध मुकुल: (पु० ) १ कली | २ कोई वस्तु जो कली मुकुलं (न० ) ) के आकार की हो । ३ शरीर ! | देह | ४ आत्मा। जीवात्मा }} मुकुलित ( वि० ) १ वह वृक्ष जिसमें कलियाँ था गयी हों। २ असुंदा । मुकुष्ठः ( पु० ) मोंठ । मुकुष्ठकः । मुक्त (व० इ० ) 1 ढीला बंधन से छूटा हुआ । २ छोड़ हुआ। स्वतंत्र किया हुआ ३ त्यागा हुआ । ४ फेंका हुआ शिप्त । छोरा हुआ. २ गिरा हुआ। ६ दिया हुआ • भेजा हुआ। = मां प्राप्त किये हुए अस्वरः पु० ) मुकि दिगंबर जैन साधु 1-ग्रामन् (वि: ) वह जिसकी माँस हो । ( पु० ) यह जीव जो सौंसारिक या पापों से छूट चुका हो । -प्रासन, (वि० ) वह जो अपने आसन से उठ खड़ा हो -कन्छः ( ० ) बौद्ध कञ्चकः, (पु. ) केचुली छोड़े हुए प -कण्ठ, (वि० ) चिहाने वाला कर, --हस्त. ( वि० ) उदार । -चतुस्, ( पु० ) सिंह 1--वसन. (वि. ) जैनी दिगम्बर साधु | मुकः ( पु० ) वह जीव जो सांसारिक बंधनों से छूट कर, मोक्ष पावे | मुक्तकं (न० ) १२ एक प्रकार का काव्य जो एक ही पद्य में पूरा हो । ३ फुटकर कविता । प्रवन्ध का उलटा जिसे उद्घट भी कहते हैं। मुक्ता ( स्त्री० १ मोती | २ वेश्या | रंडी। -अनारः - श्रागारः, ( पु० ) सीपी जिसमें से मोती निकलता है। प्रावलिः, -घावली, (स्त्री०) -कलापः ( पु० ) मोतियों का हार। -गुणा, ( पु० ) मोतियों की माला या लढ़ी।-जालं, ( न० ) मोतियों की लड़ी |--दामन. ( न० ) मोतियों की तर:-पुष्प ( पु० ) कुन्द का फूल /- प्रसूः ( स्त्री० ) सीप । शुक्ति /- लम्बः, ( पु० ) मोतियों की लर। - फलं, ( न० ) १ मोती | २ हरफा रेवरी | लवनीफल ३ ३ एक प्रकार का छोटी जाति का लिसोड़ा. ४ कपूर | मणिः ( पु० ) मोती 1- मातृ, ( स्त्री० ) सीप । जता, ( स्त्री० ) - स्रज्, ( स्त्री० ) - हारः, ( पु० ) मोती का हार :-- शुतिः - स्फोटः (पु० ) सीप । मुक्तिः (स्त्री० ) १ छुटकारा | रिहाई | २ स्वतंत्रता । ३ मोर | ४ त्याग : ५ फेंकने की क्रिया छोड़ने की किया ! ६ खोलने की क्रिया बंधन से मुक्त करने को किया ७ अदायगी । ( कर्ज का ) अदा करना । -- क्षेत्र : २० ) काशी का नाम । - मार्गः, (पु० ) सोश का रास्ता । – मुक्तः, ( पु० ) शिलारस सिहक
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