ILSTOT भोउन मोटनक ( मोटनं ( ० ) ) सलना । रगड़ना । पीसका । मोटनकं (न०) कूटना कचरना | मोट्टायिते (पु० ) साहित्य में एक हाव जिसमें नायिका अनुपस्थित प्रेमी के प्रति अपने आन्तरिक प्रेम को छान रहते भी प्रकट कर देती है। मोदः (g० ) धानन्द । हर्प | २ सुगन्ध | खुशबु -याख्यः (g०) आम का बृद्ध । मोदक (वि० ) [ बी० -- मोदका, मोदकी, ] प्रस कारक | | मोदकं ( न० ) ) ० सय मिठाई विशेष मोदकः (५०) वर्णसङ्कर जाति विशेष जिसकी उत्पति क्षत्रिय पिता और गूद्ध माता से होती है। भोवनं ( न० ) १ | धानन्द २ प्रसन्न रखने की क्रिया | ३ मोम | मोदयन्तिका ) ( मोदयतीचमेली। बी० ) चनमस्जिका जंगली मोदिन ( वि० ) 1 प्रसन्न । इपित २ प्रसन्नकारक | मोदिनी ( स्त्री० ) इ अञ्जमोदा । २ यूयिका | २ मुल्क कस्तूरी | ३ मदिरा महिका । ३ शराब मोरट: ( ५० ) १ एक पौधे की जड़ जो मीठी होती है। २ प्रसव से सातवीं रात के बाद का दूध । मोर ( न० ) गन्ने की जड़ मोपः (पु० ) चोर डॉकू | २ चोरी | लूट | ३ S लूटने या चुराने की क्रिया ४ लूट या चोरी का माल।कृत (पु० ) चोर | मापकः ( पु० ) चोर डाँकू । 1 ३८१ ) मेर ( म०) चुराने या लूटने की किया।२ काटने की क्रिया | ३ नाश करने की क्रिया 2 i भोखरिः फंदा या जाल :- निद्रा ( श्री० ) उत्कट fवश्वास से अधिक आत्मविश्वास ---रात्रिः, (खी०) वह कालरात्रि जव सारा संसार नष्ट हो जायगा ~~शास्त्र (२०) कृठा सिद्धान्त जर अम में डाले। 1 सोहन (वि० ) [ स्त्री० - मोहनी] मोह डरप करने वाला २ परेशान करने वाला न्याकुट करने वाला २ माया में ढालने वाला Ja मन को मोहने वाला। मनोमोहक सोहनं ( न० ) मोह लेने की क्रिया २ परेशानी १ व्यामोह ४ माया भ्रम + बालच । ६ प्रसङ्ग सौत्रिक प्रयोग जिसके द्वारा शत्रु को धवड़ा देते हैं। ( न० ) प्राचीन कालीन विशेष, जिसके द्वारा श हो जाता था। मोहनः (पु० ) शिव जी का नामान्तर २ देव पाँच बाणों में से एक का नाम । ३ धनुरा मोहनकः ( पु० ) चैत्र मास । मोहित (व० ० ) १ व्यामोह । २ परेशान ! विकल । ३ भ्रम में पड़ा हुआ। मोह में पड़ा हुआ। मोहिनी (०) १ एक अप्सरा का नाम । २ मोहने चाली स्त्री विष्णु का एक रूप जो यमृत वॉटने 1 के समय असुरों को मोहिन करने के लिये उनको रखना पड़ा था ३ चमेली विशेष : मौकजिः । ( पु० ) काक: १ मौकुलिः ) भौक्तिक ( म० ) मोती /अवली ( श्री० ) मोतियों की खड़ी। ~गुंफिका, (खी० ) श्री जो मोती का हार बनाकर तैयार करे। -दामन्. (न०) मोतियों की तर:-शक्ति (सी० ) मोती को सीप 1-सरः, ( पु० ) मोती का हार | मोषा ( श्री० ) चोरी | लूट मोहः (पु० ) भ्रम भ्रान्ति | २ परेशानी ! माक्यं ( न० ) गंगापन : मूक उद्विग्नता अवदाह । २ अज्ञान । मूर्खता | ४ भूजलती। २ आश्चर्य विस्मय इसन्ताप पीड़ा ७ तांत्रिक क्रिया विशेष जिससे शत्रु धवड़ा जाता है। कलिलं, (न० ) माया का | मौख्यं (न० ) मुख्यत्व प्रधानता। मौखरिः ( पु०) भारत के एक प्राचीन राजवंश का नाम। सं० ० ०
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