यक्ष य यतः ( पु० ) देवयोनि विशेष जिनके राजा कुबेर हैं। ये लोग ही कुबेर के धनागारों की रखवाली किया करते हैं । २ थामा विशेष ३ इन्द्र के राजभवन का नाम । ४ कुबेर का नाम ।– अधिपः, (पु०) -अधिपतिः ( 50 ) इन्द्र (पु० ) के राजा कुबेर श्रावासः, (पु०) बट का वृक्ष --कः ( पु० ) एक प्रकार का अङ्गलेप जिसमें कपूर, धगह, कस्तुरी और कंकोल समान भाग में पड़ते हैं। यह अङ्गलेप चक्षों को परमप्रिय है। ग्रहः ( १० ) 11 वह जिस पर यह अथवा अन्य किसी प्रेतादि का ऊपरी फेरा हो । २ पुरत्यानुसार एक प्रकार का कल्पित यह कहते हैं कि, जब इस ग्रह की दशा का आक्रमण होता है, तब वह | यनुस् ( न० ) १ यज्ञीय मंत्र | २ यजुर्वेद मनुष्य विचिप्त हो जाता है।-तरुः (पु० ) धूयः (पु० ) गुगल खोयान रसः, ( पु० ) एक प्रकार का मादक पेय पदार्थ | -राजू, ( पु० ) कुबेर का नाम :--रात्रिः ( स्त्री० ) किसी के मतानुसार कार्तिकी प्रमा वास्था और किसी के मतानुसार कार्तिकी पूर्णिमा यथराशि है। वित्तः, (पु० ) वह जिसके पास विपुल धन राशि तो हो, पर वह उसमें से व्यय एक फोदी भी न करे। यक्षिणी (स्त्री० ) यह की स्त्री २ कुबेर की पत्नी का नाम ३ दुर्गा की एक अनुधरी का नाम ४ अप्सरा विशेष जो मर्त्यलोक वासियों से सम्बन्ध रखती है। यती (सी० ) यह की की। यदमः ( पु० ) ) मी नामक रोग । तपेदिक- यक्ष्मन (पु० ) } प्रहः, ( पु० ) यीरोग का आक्र यस्त (वि० ) क्षयका रोगी-झी. ( स्त्री० ) अँगूर | यक्ष्मिन् (वि० ) पयी रोग से पीड़ित यज्ञः यजू (धा० उभय० ) [ यजति, यजते, इट ] १ यज्ञ करना । २ बलिदान करना चढ़ाना | मैवेद्य रखना। ३ पूजन करना। [निजन्त-पाजयति, -याजयते ] यज्ञ करवाना।२ यज्ञ में सहा- यता देना यजत्रः (पु० ) अग्निहोत्री | यज्ञ ( न० ) अग्निहोत्र के अभि को सुरक्षित रखने की क्रिया । यजनं ( ० ) 1 यज्ञ करने की क्रिया | २ यज्ञ | ३ यश करने का स्थान । यजमानः (पु० ) वह व्यक्ति जो यह करता हो। वृशिया आदि देकर ब्राह्मणों द्वारा यज्ञादि किया कराने वाला अती। यण्टा २ धनी संरक्षक | श्राश्रयदाता ३ अपने घर का बड़ा | यतिः ( पु० ) १ यज्ञ करने वाला २ यज्ञ करने की किया। ३ यज्ञ। संहिता | वे मंत्र जो यज्ञ के समय पड़े जायें। ३ यजुर्वेद का नाम-वेदः, ( पु० ) वेदत्रयी में से दूसरा 1 वेद | यजुर्वेद की मुख्य दो शाखाय है-तैत्तरी या कृष्णयजुर्वेद और पाजसनेयि अथवा शुरू यजुर्वेद यज्ञः (g० ) १ यज्ञ | २ पूजन की क्रिया । ३ अग्लि का नाम ।४ विष्णु का नामान्तर - अङ्ग ( पु० ) १ गुलर का पेड़ | २ विष्णु का नामान्तर -हार (पु० ) शिवजी का नाम न ( पु० ) देवता । -प्रात्मन, (पु० ) - ईश्वररा विष्णुभगवान् --उपवीतं, ( स० ) जनेऊ ।--- कर्मन, (वि० ) यज्ञीय कोई कर्म-कोलकर, ( १० ) वह खंभा जिसमें यज्ञीय पशु चौंधा जाता है। कुराडं, (न० ) हवनकुण्ड | अग्नि- कु. ( पु० ) १ विष्णु । २ यज्ञ कराने वाला ऋवित-ऋतुः, ( पु० ) १ यज्ञीय कर्म विशेष | २ यज्ञीय मुख्य कर्म २ विष्णु का नाम /~-मः, ( पु० ) राइस जो यज्ञ कार्यों में बाधा दे।-पतिः, (पु०) भगवान् :--:. ( पु० ) १ वह पशु जिसका यज्ञ में बलिदान किया जाय । २ फोड़ा।पुरुषः, फलदः, ( पु० ) श्री विष्णुभगवान् । -भागः, ( पु० ) १ यज्ञ का अंश जो देवताओं को दिया जाता है । २ देवता /-भुज, (पु०) देवता। -भूमिः, (श्री०) वह स्थान जहाँ यज्ञ किया जाय। -भृत् (पु० )
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