यद्रिक - विष्णु का नाम । -भाँकु, ( पु० ) विष्णु का नाम --रवः (पु० ) रेनल ( न० ) सोम -वराहः, ( पु० ) भगवान् विष्णु का वराहा- वतार --चल्लिः - वल्ली (बी०) सेल्जीया लता -वादः (पु० ) ग्रशमण्डप का हाता वाहनः ( पु० ) श्री विष्णु पुनः (५०) शरणं, (न० ) पचनस्डपशाला, ( बी० ) यज्ञमण्डप-शेषः (पु०) शेयं, ( स०) यज्ञ करने के बाद बचा हुआ उपस्कर - श्रेष्ठ (स्त्री० )ता-सदस्, (न०) यशकृत्य में भाग लेने यादी जन ।- सम्भारः, ( 5 ) यक्षिकः ( पु० ) पलास का पेड़ यक्षिय ( वि० ) १ यज्ञ का यज्ञ सम्बन्धी यज्ञकर्म के योग्य २ पवित्र २ पूजनीय अर्चनीय ४ धर्मात्मा भक्त | 1 यशियः (g० ) १ देवता २ द्वापर युग- देशः, { पु० ) वह देश जर्दा यज्ञ करना चाहिये मनु- स्मृति में इस देश की व्याख्या इस प्रकार की गयी २ --शाला. ( ० ) यज्ञमण्डप | यो (पु० ) यज्ञ सम्बन्धी । यहीचः (पु० ) गूजर का पेड़। ( ० ) पेड़ यज्वन् (चि० ) [ सी० - यज्वरी] यज्ञ करने वाला पूजन करने वाला। (पु०) १ वह जो वैदिक विधान से यज्ञ करता हो। श्री विष्णु भगवान् : यत् ( धा० करना ( पु०) यज्ञ की सामग्री। सास (०) श्री य ( म० ) हाथी को पैर की एह से चलाने का विष्णु भगवान 1-सिद्धिः (०) यज्ञ की किया। समाप्ति ( पु० ) राजा द्रुपद की उपाधि सूत्रं, (न० ) यशोपवीत सेनः, स्था ( पु० ) यज्ञस्तम्भ /-हनु, ( १० ) -- हमः: ( पु० ) शिव । भान्स ) [ यतते, यतित ] उद्योग seगा। कोशिश करना । . यन्नः उस होना। यति होना। ३ परिश्रम करना। ४ सतर्क होना प्रयक्ष | २ क- : यह (व० ० ) १ रोका हुआ। काबू में किया हुआ। संयत २ परिमित /-धान्मन् ( वि० ) जितेन्द्रिय-माहार. ( वि० ) मिताहारी । - इन्द्रिय त्रि०) इन्द्रियों को अपने वश में रखने वाला जितेन्द्रिय पवित्र मामा-चित्त- एन-मानस (वि० ) मन को वश में रखने वाला~पाङ्, ( वि० ) बासी को वश में रखने वाला मौनी-शत (वि० ) व्रत रखने वाला सङ्कल्प को पूरा करने बाबा · } 1- यतन (०) प्रयत्न उद्योग याम (वि० ) यम (०) बहुतों में से कौन या कौन सा । " यनर (वि० ) } यतरतू (३० ) 5 1 यदसू (अव्यया) से किस दिशा से ३ क्योंकि चूंकि २ कि जिससे 1 दो में से कौन सा यह कौन । ! 1 कहाँ से किससे किस स्थान २ इस कारण इसलिये । किस समय से। जब से (सर्वनाम विशेष) जितने जितनी बार | मिलने । यनि: (०) रोक | ग्राम नियंत्रण २ रेंद्री ३ पथप्रदर्शन | ४ सङ्गीत में स्थायी पद ग्य में विरामस्थान ६ विधवा यतिः ( 5०) संन्यासी, जिसने अपनी इशियों को अपने वश में कर रखा है। और जो सांसारिक जंजाल से विरड हो । यति ( दि० ) यहित यन किया हुआ। जिसके लिये उद्योग किया गया हो। यतिन् (५० ) यती संन्यासी | यतिनी (श्री० ) विधा । यमः ( पु० ) १ थरन उद्योग २ धुन परिश्रम | + बृढ़ता २ सावधानी सतर्कता मनोयोग ? उत्साह जागरितावस्था | ४ कष्ट कठिनाई ।
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